पेट्रोल की आसमान छूती कीमतों ने एक बार फिर से आम आदमी का जीना दुर्भर कर दिया है.वेसे ही आम आदमी इतना परेशान है और अब ये पेट्रोल की कीमतों का भार कब तक इसे ही आम आदमी सहता रहेगा!
जो आज तक मेरी समझ मैं बात नहीं आई वो की आखिर हम किस और जा रहे है, क्या
इस सरकार ने जनहित की सभी सेवाओ को ख़तम करने का सोच लिया है (सब्सिडी)
अब तो कुछ एसा लगने लगा है की सरकार का नारा ही अब बदल गया है पहले नारा
था " गरीबी हटाओ देश बचाओ" अब तो एसा लगता है "गरीबो को हटाओ देश बचाओ" और ये जो कुछ भी हो रहा है एसा लगता है उसी रंडनीति के अंतर्गत हो रहा है.
बात शुरु हुई थी हमारी अर्थवयवस्था के सुधार के दोर से और आज के तात्कालिक
प्रधान मंत्री श्री मनमोहन सिंह जी जिन्हें आप "मन-मोहन सिंह के नाम से
भी जानते है, जब ये स्वर्गीय श्री राजीव गाँधी की सरकार थी इसी समय सरदार
मनमोहन सिंह लोगो के सामने ये विचार लाये की हमारा देश विकास के इस दोर
मैं पिछड़ रहा है और हमें उस मैं सुधार लाना पड़ेगा इस के लिए और 1991 जब
श्री मनोहन सिंह जी वित मंत्री थे तो उन्होंने इस देश के अर्थ्वय्स्था को
सारे संसार के लिए खोल दिया ताकि सभी को बराबरी को मोका मिल सके, सोच अची
थी पर होता क्या है जब भी हम सोचते है की कुछ भी करने का तो उस के दो पहलु
होते है सिक्के की तरह से कुछ अछे और कुछ बुरे इस मैं कोई दो राय नहीं की
श्री मनोहन सिंह जी एक अछे अर्थ्वय्स्था के जानकर है पर कुछ कडवे सच है जो
हम आप और हम दो चार हो रहे है.
अब बात की आखिर कार पेट्रोल की कीमतों मैं बेह्तासा बढोतरी क्यों हो रही है.
विश्व मैं कच्चे तेल की कीमतों मैं उच्छाल :-
अर्थ्वय्स्था जिस बात से शुरु और ख़तम होती है वो है "मांग और पूर्ति" सुने
और देखने मैं एक छोटा सा नियम लिकिन ये ही है जो पूरी अर्थ्वय्स्था को
चलता है अब बात पेट्रोल की की जेसे जेसे देश अपनी अपनी उन्नती की राह पर
चल पड़े है वेसे वेसे उर्जा की मांग बदती जा रही है, और इस मांग मैं सब से
बड़ा हिस्सा पेट्रोल और उस से बनी चीजो की है जिस की ही वजह से तेल की
कीमते बढती जा रही है.. और जो थोड़े से तेल निर्यातक देश है वो इस बात का
फायदा उठा रहे है उन्होंने एक सयुक्त संगठन बना लिया है जिसे है ओपेक के
नाम से भी जानते है, जो की तेल की कीमतों पर फेसला करता है.
भारत के सामने और भी समस्याए है हमारे देश का रुपया अंतरराष्ट्रीय
बाजार मैं दिन परती दिन कमजोर होता जा रहा है जिस की कारन हमें डालर को
खरीदने के लिए जायदा पैसा चुकाना पड़ रहा है, इस के आलावा जेसे की सभी तेल उत्पादक देश भारत से काफी दुरी पर है जिस कारन उसे इस तेल पर ढुलाई पर बड़ा पैसा खच करना पड़ता है,
जिस के कारन भी हमें पेट्रोल के दम जादा चुकाने पद रहे है तीसरा और सब से
बड़ा कारन हम अपने देश मैं उपभोग होने वाले तेल मैं सिर्फ 15-20 % का ही
उत्पादन कर पाते है जिस से हमारी निर्भरता तेल उत्पादक देशो पर जायदा हो
गयी है और हम जायदा दामो पर तेल को खरीदने के लिए मजबूर है.
निपटने के उपाय:-
आप सभी जानते है आज भी भारत की 70 % से जायदा लोग गरीबी रेखा से नीच रह रहे
है अब बात वो अलग है की अगर सरकार 36 रुपये रोजाना कामने वाले को गरीब
नहीं समझती है तो वेसे अगर आप जिस हिसाब से आज की महंगाई का दोर है चाहे वो
गरीब हो या आमीर सब परेशान है, अब बात ये है की इस तेल के खेल या इस कीमत
को हमरे देश मैं केसे कण्ट्रोल किया जाये, उस पैर केसे नियंत्रण रखा जाये
तो सरकार को चाहिये की वो बाजार मैं पेट्रोल की दो प्रकार की कीमते रखे
सरकार कुछ एसा कर सकती है जिस भी परिवार के पास 1 से अधिक गाडी है उसे
पेट्रोल के लिए जयादा कीमत चुकानी पड़े और सब लोगो को मास्टर कार्ड टाइप
पेट्रोल कार्ड दिए जाये जिस पर कुछ रीयत दी जाये अगर वो एक सीमा तक पेट्रोल
का उपभोग करते हो तो अगर वो उस सीमा से जायदा पेट्रोल का उपभोग करे तो उस
से जायदा कीमत वसूली जाये, पेट्रोल की कीमत लुक्सुँरी गाडियों के लीये अलग
राखी जाये और ordanry गाडियों के लिए अलग देश मैं जायदा से जायदा पेट्रोल
के बोलग खोजे जाये, उर्जा के नए सोअरतो के विकास और खोज पर जायदा ध्यान
दिया जाये, पब्लिक ट्रांसपोर्ट को और मजबूत बनाया जाये ताकि लोग अपनी गाड़ी
से जायदा पब्लिक ट्रांसपोर्ट का उपयोग करे और भी बहुँत सरे उपाय हो सकते
है ये तो बस एक नमूना है, इस से देश और सभी लोगो का पैसा बचेगा और देश और
उनती की और बढेगा.