मंगलवार, 3 मई 2016

"उत्तराखंड राज्य और भारतीय रेलवे एक सपना"

                                         
                                          
                                             उत्तराखंड राज्य और भारतीय रेलवे एक सपना

   जब भी  किसी नये राज्य का गठन होता है तो वहां  के लोगो में  उम्मीदें जागती   है की अब उस राज्य के विकास को कोई नहीं रोक सकता, क्योकि आखिर उस नये राज्य का गठन उन्ही उम्मीदों  के साथ हुआ था.

आज बात एक ऐसे ही एक   राज्य की जिसे भारत का 27  वा  राज्य होने का गौरव मिला  उत्तराखंड,  उत्तर प्रदेश  से अलग हो के बना राज्य है ! उत्तराखंड के लोगो के  आंदोलन व संघर्ष्  से एक नए राज्य का उदय हुआ जिसे के उत्तराखंड व देव भूमि के नाम से पुकारा जाता है, जब केन्द  सरकार ने यह निर्णय लिया उस समय उत्तराखंड  के लोगो में उम्मीद की किरण दिखाई दी। अब उन्हें लगने लगा  की   अब  प्रदेश का विकास और भी बढ़िया तरीके से हो सकता है और उन्होंने इस के लिए के लड़ाई लड़ी और आख़िरकार वो दिन भी आया जब लोगो के मन की बात को सरकार से समझा और 9 नवंबर  2000 को एक नए उत्तराखंड राज्य का उदय हुआ.

नया राज्य नयी उम्मीदों के साथ एक नया राज्य पर गठन के 16  साल के बाद भी आज भी कोई खास विकास इस राज्य ने नहीं देखा है, तथा 2015  के सरकारी आंकड़ों के हिसाब से करीबन 2600 गाओं का पलायन हो चूका है  उसकी एक बड़ी वजह यहाँ की राजनीतिक अस्थिरता  और और कुछ राजनेताओ की इच्छासक्ति की कमी भी है.

कांग्रेस की सरकार के समय जब 2009 का रेल बजट सदन में रख गया था उस समय उत्तराखंड को रेल मार्ग से जोड़ने की बात हुई थी और ओर  तत्कालीन रेलमंत्री सुश्री ममता बनर्जी ने सदन को यह विश्वास दिलाया था की अगर प्रदेश सरकार सहयोग करे तो भारत सरकार उत्तराखंड को रेल मार्ग से जोड़ने को तैयार है.

पर अभी तक जैसा की उत्तराखंड में कोई रेल परियोजना दूर दूर तक नहीं है इस से तो यही   प्रतीत होता है की किसी भी राज्य सरकार सरकार  ने रेल मंत्रालय के साथ  विचार विमश नहीं किया।

दूसरा अगर राज्य सरकारों को लगता है की वह इस योजना के लिए उन्हें काफी  धन खर्च करना पड़ेगा तो ये सही है पर भारत की सरकार जनकल्याणकारी सरकार है और इस में ऐसा कुछ भी नहीं की राज्य सरकार कुछ नहीं कर सकती हो.


जहां तक उत्तराखंड की सरकार का और इस प्रदेश के विकास का मुदा है अभी तक की सभी सरकारे ऐसा  करने में विफल रही है और एक ब्लोगर होने के नाते में यह कहना चाहता हु की अगर आप किसी भी ऐसे राज्य की तुलना करेंगे जहां पर रेलमार्ग है और और जहां पर नहीं है तो आप पायंगे की वो राज्य जयादा विकासरत है जहां पर की रेलमार्ग है।  उदहारण  जैसे की हिमाचल प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, और असम.
रेलमार्ग के बन जाने से इस पहाड़ी राज्य का पर्यटन के क्षेत्र   काफी विकास की सम्भावनाएं है

और जहां तक धन और रोजगार की बात है मेरा एक और सुझाव है क्यों न मनरेगा को रेल के विकास से जोड़ दिया जाये इस से दो फायदे होंगे एक तो पहाड़ के लोगो को रोजगार मिलेगा वही दूसरा इस प्रदेश में धन का प्रवाह शुरू हो जायेगा जिससे इस प्रदेश जो की मुखयतः पहाड़ी लोगो का प्रदेश है उन को फायदा होगा.

उत्तराखंड रेलमार्ग बन जाने से राज्य की दशा और दिशा का बदलना तय है यहाँ की ारथवय्वस्था का बढ़ाना  तय है इस लिए उत्तराखंड की तरक्की और यहाँ के लोगो की आर्थिकं वयव्था को बढ़ाने के लिए आप का  सहयोग जरूरी है।



सन 2009  उस समय का समाचार पत्र का फोटोकॉपी आप सभी के लिए. 


इस घोषणा के बाद प्रदेश के कुछ समाजसेवियों ने भी कोशिस की और कुछ पत्राचार भी किया उस मैं से एक पत्राचार की छाया प्रति सलगन :-






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