सोमवार, 30 जुलाई 2012

"Anna" 2012 Indian anti-corruption movement

   


                 दोस्तों आज अन्ना जी के अनशन मैं भाग लेने गया  था सच  बोलू तो, एसा लगा की मैं (हम) क्या कर रहे है, अभी तक टीवी पर समाचार पत्रों मैं हि इसे पद रहे है पर अब टीवी और समाचार मैं देख कर नहीं ,  मैं अपील करता हु उन लोगो से जो अभी तक अन्ना के एस आन्दोलन मैं शामिल नहीं हुए है, आप जा कर देखो तब आप को पता लगेलोगो ने क्या बलिदान किया/ कर रहे  है, कितने  सारे  लोग वह पर आप और मेरे लिए अनशन पर  बेठे है, उन मैं से कई लोगो की उम्र इतनी है की उनका भूखा  रहना खतरे से खाली नहीं है पर वो लोग भी एस देश के लिए अपना बलिदान देने के लिए तेयार है, इस 121 करोड़ की जनता मैं  हमें उन से कुछ  शिखना  होगा नहीं तो हम आने वाले टाइम को जवाब नहीं दे पायंगे, न हमारे पास वो मोका होगा जिस के करना हम किसी को दोसी बता सके क्योकि जब आपसे ये सवाल पूछा जायेगा की आप ने एस देश और अन्ना के आन्दोलन मैं कितना सहयोग दिया तब तुम्हारे पास कोई जवाब नहीं होगा तो दोस्तों समय आ गया है, ताकि हम एस देश के लिए अपने गणराज्य के लिए क़ुरबानी देने के लिए तेयार हो जाये अगर आप एस क़ुरबानी मैं देश के काम भी आये तो ये देश और आने वाली पीध्दिया आप के एस बलिदान के लिए  आप को  सदा याद रखेंगी, अब टाइम आ गया है के लोगो को सड़क पर आना पड़ेगा, एस के लिए आप को अपने घरो से निकलना पड़ेगा और अपने साथ अपने साथियों  को भी लाना पड़ेगा क्योकि सरकार के कानो मैं अभी तक जू भी नहीं रेंगी है, उस ने अपने एक कान मैं तेल और एक कान मैं पानी डाल लिया है! अभी तक सरकार की तरफ से कोई भी बातचीत की पहल नहीं की गयी है पता नहीं सरकार को किस बात का इंतजार है.

   दोस्तों एस बात को समझना होगा की देश आप का साथ मांग रहा है, अगर आप अभी साथ नहीं आये तो कब आओगे देश के लिए एक जुट होना ही पड़ेगा,  बार बार अन्ना जनम नहीं लेते, आपके पास मोका है अन्ना के साथ मिल कर कुछ एसा कर दिखने की की आप का नाम भी अमर हो जाये और अगर आप का नाम किसी को पता नहीं भी चला तो कम से कम आप अपने आप के जमीर को तो जवाब दे सकते है, जरा वह पर जा कर देखो एक ७० साल का आदमी आप के लिए अपना आज कुर्बान कर रहा है और आप कहा है फिल्म देखने मैं वयस्त है, घरो मैं है , ऑफिस मैं है, कब आखिर कब आप इस मुहीम का साथ देंगे, दोस्तों हमें अन्ना और अन्ना की टीम का साथ देना होगा वो आप से कुछ नहीं मांग रहे न पैसा न और कुछ बस मांग रहे है तो आप का साथ ताकि एस सोती हुई सरकार की नीद खुल जाये.

 आखिर क्या बात है की पिछले ४४ सालो  से ये बिल आज तक अटका पड़ा है, आखिर  इस  बिल मैं एसा क्या है की कोई भी सरकार इसे पास करवाने की हिमत नहीं जूठा प् रही है, कांग्रेस के सामने जब से यह बिल आया है, तब से ले कर आज तक एस बिल पर लीपा  पोती हो रही है, सरकार को लोगो को ये दिखाना होगा की ये सरकार लोगो के हित के लिए किसी भी प्रकार का कानून लेन से नहीं डरेगी, और डरे भी क्यों डरे तो वो लोग जो गलत काम  करते है, आखिर इसी कोन सी बात है के उन १५ लोगो के खिलाफ ये लोग कोई कारवाही नहीं कर रहे है एसा क्या है उन मैं क्या वो एस देश के कानून से उप्पर है क्या कारन है, अब ये सिर्फ अन्ना और अन्ना की टीम नहीं पुच रही है अब पूरा देश ये पुच रहा है की आखिर कब तक एसा ही चलता रहेगा.  

दोस्तों अपना सहयोग एस आन्दोलन मैं जरूर दे और एस आन्दोलन को सफल बनाने मैं अन्ना जी और उनकी टीम का साथ दे क्योकि एस मैं जीत अन्ना जी के साथ साथ आपकी भी है 

वन्दे मातरम  जय हिंद!!!

शुक्रवार, 27 जुलाई 2012

MEDIA IN INDIA


भारत देश और मीडिया 


आज के इस सुचना क्रांति के युग मैं जहा की खबरे प्रकाश से भी तेज गति से चलती है, और विश्व इस सुचना क्रांति से आगे बाद रहा है, इस मैं कोई भी दो राय नहीं है की अगर ये सुचना क्रान्ति  का दोर  नहीं आता तो सायद हु इतनी तेजी से विकास नहीं कर पते जितनी तेजी से आज कर पा रहे है इस का श्र्ये सवार्गीये श्री राजीव गांधी जो को जाता है जिन्होंने भारत के लिए इस के दरवाजे खोले ये उन की दूर दर्शिता का ही नतीजा है की आज हम सूचना क्रांति के अग्र्दिम राष्टो मैं गीने जाते है, इस सूचना क्रांति के साथ हमारे देश ने बड़ी तरकी भी की है, ये बात आप से अच्छा कोई नहीं समझ सकता आज विश्व भारत की सुचना क्रांति का लोहा मानता  है, अब बात सूचना क्रांति मैं मीडिया की......  जहा लोगो को इस ने देश विदेश की खबरों से अवगत कराया वही उस ने लोगो मैं जनचेतना का काम  भी किया,  टीवी के सुरवाती दोर मैं जब टीवी को व्यपार के रूप मैं नहीं लिया गया था तब तक सब कुछ ठीक था पर जेसे जेसे इस ने व्यपार का रूप धारण किया इस मैं विसंगतिय आ गयी, इस के बाद यह मीडिया वो काम  करने लगा जिस मैं उसे फायदा नज़र आने लगा और एसा होना भी चाहिये हर किसी को ये अधिकार है की वो एसा कम करे जिस से उस की जीविका चलती रहे, पर एसा भी नहीं होना चाहिये की इस फायदे की दोड मैं हम सब कुछ दाव पर रख दे एसा करने  से हमारा देश खोखला हो जाये... हमारा सामजिक, आर्थिक, नेतिक  दांचा बदल जाये... जो सकारातमक कम और नमरात्मक जायदा हो रहा है... 

    

मैं हमेशा  से एक बात मानता हु की आज के समाज को बनाने मैं सब से बड़ा हाथ मीडिया का है क्योकि हम ऑफिस और परिवार  के अलावा अगर सब से जायदा टाइम अगर किसी को देते है वो है मीडिया मैं, जहा पर  आपको  क्या देखने को मिलता  है, आप देखेंगे तो इस इस तरह की नाटक आते है जिस का कोई सर पैर  नहीं है पर लोग देख रहे है, स्त्रियों को देवी से हटा कर सिर्फ और सिर्फ भोग   की वस्तु बना दिया गया हैिखाया जाता है  स्त्री पहले के मुकाबले ससक्त हो गयी है और अच्छा है , वही पुरष  को नीचा दिखाने की वाकायद चल रही है पर इस बात को कोई समझने को तेयार नहीं हो रहा है, की ये क्या हो रहा है लोग उसे एन्जॉय कर रहे है   अगर एसा ही चलता रहा तो वो दिन दूर नहीं है जब जिस देश मैं अराजकता का माहोल होगा, मैं ये भी नहीं कहता की सब टीवी चैनल एक एसा काम कर रहे है लिकिन अगर मैं 100  टीवी चैनल की बात करू तो उस मैं 98 टीवी चैनल एसा कर रहे है और दर्शको के पास इस के सिवा और कुछ नहीं है दखने को अगर वो कुछ देखना भी चाहज़ ते है वो उन के पास वो ही एक जेसे रियल्टी शो, सास बहु की कहानी वो टीवी पैर अभद्र  डांस हिंसा, घरेलु हिंसा और हमरी नयी पीड़ी इस को देख कर वेसा ही करने की कोसिस कर रही है जिस से हमरी सामजिक और संस्कर्तिक पहचान दुमिल होती जा रही है, माँ-बाप के पास अपने बच्चो के लिए टाइम नहीं है क्योकि इस बाज़ार वाद मैं जब तक दोनों नहीं कमाएंगे तब तक सुख सुविधा की सारी वस्तुए नहीं खरीद पायेंगे, जिस की कारण हम बच्चो को सही शिक्षा नहीं दे पा रहे है उन मैं कही न कही सामजिक, नेतिक शिक्षा की कमी है! बच्चो मैं हिंसा का परसार हो रहा है, छोटे छोटे बच्चो के दिमाग मैं हिंसा आ रही है, अभी मैं कुछ दिन पहले की किसी पेपर मैं पद रहा था की 5 क्लास के बच्चे ने छोटी से बात पर अपने दोस्त को जान से मार  डाला, अब ये हिंसा कहा से आ रही है कोई बताये ये बात, ये वो बाते है हो बच्चे अपने बड़ो और टीवी के मादय्म से देखते है!


और सब से बुरी हालत अगर हुई है तो वो है न्यूज़ चंनेलो की, अगर आप देखंगे तो उन के पास कुछ है ही नहीं, किसी भी खबर को ब्रेअकिंग न्यूज़ बना देते है, उदाहरण जेसे की अमिताब बच्चन आज मंदिर गए, राकेश रोशन का कुत्ता खो गया, सलमान ने नयी टी-शर्ट पहनी, और भी एस तरह के कई उद्धरण है पर मैं आपको बताऊ आप मेरे से बेहतर समझते है एस तरह का न्यूज़ चेंनलो से आम लोगो को खबर पहुच रही है एस से क्या पता चलता है की या तो ब्रेअकिंग न्यूज़ के मायने बदल गए है या साडी खबरे ब्रेअकिंग न्यूज़ हो गयी है, अब मैं एस मैं मेरी जायदा तिपंडी करना टिक नहीं है नहीं तो वो मेरे खिलाफ भी बोलने लगेंगे, मैं कुछ टाइम से देख रहा हु की ये संचार चैनल ही है जो किसी को भी पल मैं हीरो और पल मैं जीरो बनाने का मादा रखते है, वो बात अलग है की आप को वो लोग क्या बनाना कहते है, न्यूज़ चंनेलो की विस्वसनीयता पर अब सवाल उठने लगे है और उठे भी क्यों न जिस तरह से न्यूज़ चैनल पैसा ले कर कुछ भी दिखाने को तेयार है कोई भी इन को शक की नजरो से देखेगा, तो टाइम है बदलाव का अगर ये बदलाव जल्दी से नहीं आया तो हमरे देश से न्यूज़ चेंनलो से आम जनता का विस्वास उठ जायेगा...


इस लिए मैं एक बात कहना चाहता हु की अच्छा है की हमरा देश तरकी कर रहा है ये बात भी मानता हु की टाइम के साथ बदलाव जरूरी है पर ये बदलाव सही दिश मैं होने चाहिये ताकि हम अपनी  आने वाली पिडीया के लिए कुछ सहेज कर रख सके, उन्हें बता सके की हमारी संस्क्रति का लोहा पूरा संसार मानता है... और इस मैं एक बड़ा रोल अदा करेगा और वो है हमारा  मीडिया, मीडिया को इस बात को समझना होगा की फायदा अपनी जगह है और समाज अपनी जगह और उस समाज के लिए कुछ करना पड़ेगा जिस का की वो खुद भी हिस्सा है  ताकि हमारा आने वाला कल सुरक्षित हो सके....


रविवार, 15 जुलाई 2012

"Sawan"


         

           दोस्तों महिना सावन का, मस्त फुहारों का चारो तरफ हरियाली का मंजर, और आप जानते है की हमारे मूड मैं मोसम का कितना बड़ा रोल होता है, ये तो आप  से बेहतर कोन बता सकता  है! तो बात सावन की "सावन" का महिना और बात झूलो की, जो अब सिर्फ सोच मैं रह गए है, वो आम की डाली वो नीम  की डालियों मैं झूलो का होना वो सहेलियों के साथ मुस्कारना मस्ती और मस्ती, कच्ची अमिया का खाना, चिडयो का काह्चाहना एसा लगता है जेसे बीते हुए टाइम की बात हो गयी क्या सच मैं एसा है आपको एसा लगता है क्या???  
 वेसे मेरे को इस  "सावन" से सुभा मुद्गल का वो गीत याद आता है:
अब के सावन इसे बरसे बह जाये रंग मेरी चुनर से... कितनी हसीं पंक्तिया सच  मैं जब सावन मैं बारिश हो रही हो और ये वाला गाना चल रहा हो तो आप को सच  मैं पता चलेगा आप ने क्या मिस कर दिया टाइम के साथ, सावन मैं भीगने  का क्या मजा है, जब आप मुस्त बारिश के ठंडी ठंडी बूंदों मैं नहा रहे हो और मस्त बारिश हमें भीगा रही हो...  जब हम स्कूल मैं पड़ते थे तो माँ हमें भीगने  से मना करती थी, बोलती थी की तबियत ख़राब हो जाएगी और हम बारिश को सिर्फ खिडकियों से देखा करते थे, और खिड़की मैं बेठ कर आने जाने वालो और भीगने वालो के बारे मैं सोच कर बड़ा अच्छा महसूस कर रहे होंगे पर  हम भी कम उस्तात नहीं थे जब भी सावन का महीना सुरु होता था हम अपनी स्कूल बैग मैं एक प्लास्टिक की पन्नी रख लेते थे और जब भी स्कूल से आते हुए बारिश होती थी तो मोका बिलकुल भी नहीं गवाते थे, मस्त  बारिश का मजा घर आ आकर "माँ आज तो मैं भीग गया एक दम से बारिश सुरु हो गयी",  और मैं ये मांगता हु की सिर्फ मैं एसा नहीं करता होऊंगा आप मैं से भी कुछ लोग इसे होगे जो एसा करते होंगे और अपनी लाइफ मैं बारिश के पानी से रंग भरते होंगे, जेसे गीत मैं कहा की "बह जाये रंग मेरी चुनर से" वो रंग चुनर से निकल कर आप को भी रंग देती है, फिर देखो सब कुछ कितना हसीं लगता है!
   अब तो बारिश मैं भीगे हुए भी जमाना हो गया है, ऑफिस से घर और घर से ऑफिस, बस इतनी सी दुनिया,  बारिश नहीं होती तो "क्या यार बरिश नहीं हो रही है इतनी गर्मी हो रही है" बारिश हो जाये तो "यार बारिश ने भी बड़ा दिमाग ख़राब कर रखा है साला ऑफिस आते जाते हुए सुरु हो जाती है कही आ जा भी नहीं सकते" अब तो हमें एसा लगता की सब कुछ हमरे हिसाब से हो पर सायद अभी ये हमरे बस मैं नहीं है, आने वाले टाइम मैं एसा हो जाये तो कोई बड़ी बात नहीं है, 
इंदर देव भी अब थोड़े से मुड़ी हो गए है पहले तो बारिश नहीं करते और जब करते है तो बाड आ जाती है, और ये तो नियति हो गयी है, एस के लिए हर कोई एक दुसरे को गलत बता रहा है कोई कहता  है की इंदर देव मस्ती के मुड मैं है कोई कहता है की गोलोबल वार्मिंग हो गयी है एस लिए एसा होता है कोई कहता है की MCD और NDMC के इंतजाम टिक नहीं है, पर आप और मैं भी जानते है इस के लिए कोई नहीं हम सब जीमेवर है वो बात अलग है की हमरी तो आदत हो गयी है अगर कुछ अच्छा  तो हम ने किया अगर कुछ बुरा तो आप ने किया, अब किसी को तो गलत बताना है और अपने को सही और एसा तो करना ही पड़ेगा क्योकि आप कभी गलत हो ही नहीं सकते, हा हाहा हा ....अब किसी ने ये तो बताया नहीं की आप ने जो चिप्स खाने के बाद रेपर को रोड पैर फेक दिया था उस ने नाली बोलक कर दी,  घर का कूड़ा सीधे खिड़की के रास्ते दुसरो के घर के आगे फेक दिया और उन भी साहब ने उसे अपने घर के सामने से हटा कर रोड के तरफ कर दिया, बेचेआरे बदनाम मकद और NDMC वाले अब करे भी तो करे क्या कई बार लोगो को समझाने की कोसिस की लोग को जागरूक करने की कोसिस की, और एक बात एक दम से मेरे ध्यान मैं आई हमारी डेल्ही सरकार ने कुछ दिन पहले एक कानून पास किया की कोई भी दुकान से आप को पोलोथिन नहीं मिलेगी, मस्त वाला मजाक था किसने एस कानून को फोल्लो किया आप से जायदा कोई नहीं बता सकता, थोड़ी से बात ग्लोबल वार्मिंग की, दोस्तों मुझे पक्का यकीन है आप को एस के बारे मैं क्या बताऊ आप मेरे से जायदा जानते है, और अगर नहीं तो मैं कोसिस करूँगा की अपने आने वाले किसी ब्लॉग मैं एस के बारे मैं लिखूंगा.
तो बात इंदर देव के जिस ने मुंबई मैं कहर डाल रखा है चारो तरफ पानी ही पानी और कही पर सुखा डेल्ही मैं अभी तो हालत टिक है पर कब तक तो एस पर मुझे एक शेर ध्यान आ रहा है वो इसे है 
"ये बारिश तेरी हालत पे रोना आया, ये बारिश तेरी हालत पे रोना आया"
कभी तेरे न होने पर रोये -कभी तेरे न होने पर रोये 
कभी तेरे होने पर रोना आया "
सच  बात है कभी न हुई तो सुखा और हो गयी तो बाड