बुधवार, 20 मार्च 2013

Telemarketing Is Stupid


आज का ये मेरा समर्पित है नाकाम सरकार और तेज तर्रार टेली-मार्कटिंग कम्पनियों और बेचारे मोबाइल उपभोग्ताओ को बेचारे इस  लिए क्योकि इन  के पास परेशान होने के सिवा कुछ भी नहीं है। सुबह 9:30 आप रस्ते मैं ड्राइव करते हुए ऑफिस के लिए जा रहे है तभी एक फ़ोन आता है, नंबर पहचान का नहीं है समझ में नहीं आ रहा की फ़ोन उठाऊ या नहीं, ट्रैफिक बड़ा है, ट्रैफिक  पुलिस वाले मामा शिकारी की तरह से आँख लगा के बेठे है की कोई तो मुर्गा फसे तो आज की बोनी-बटा सुरु हो, इस जदोजहद मैं की फ़ोन उठाऊ या नहीं,  दिमाग ट्रैफिक में कम और मोबाइल की तरह जायदा चला गया चलो कॉल भी मिस कॉल बन कर रह गयी, लगा की चलो जब ऑफिस पहुच जाऊंगा तो वह आराम से बात कर लूँगा, पर तभी फिर एक और कॉल, मोबाइल की घंटी बजने लगी अब ये कोन फ़ोन कर रहा है सब को अभी फ़ोन करना है  देखा तो ये भी नंबर अनजान है!

           कुछ तो बात है बार बार फ़ोन आ रहे है, गाड़ी साइड मैं लगायी (वो आप किस्मत वाले है अगर आप कार से जाते है मेरी तरह बाइक से जाते तो और भी मुश्किल थी ) फ़ोन उठया उधर से मीठी सी आवाज आई गुड-मोर्निंग सर आप _____ बोल रहे है?,  हांजी मैं _____ देश बोल रहा हु! बताये।,  सर मैं आप को एक गारंटी सेविंग प्लान के बारे मैं बताना चाहती  हु , नहीं मैं नहीं में कोई सेविंग नहीं करना कहता हु, पहले तो ये बताये की आप के पास मेरा नंबर आया कहा से, सर ये तो कंपनी ने प्रोवाइड करवाया है, देखिये कुमारी_____ आप से मेरा विनम्र निवेदन है की क्रप्या कर के आप मेरा नंबर अपने डाटा से हटा दे ताकि आप लोग दुबारा से मुझे कॉल न करे।।। पर आपकी किस्मत ऐसी  कहा की आप के पास दुबारा फ़ोन न आये उस नंबर से नहीं तो सायद की और नंबर ये आप के पास फिर से एक टेली-मार्कटिंग कॉल  और आप फिर से एक बार असहाय 
टेली-मार्केटिंग कंपनियों को एस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता की आप ड्राइव कर रहे है जरूरी मीटिंग मैं बेठे है, कुछ जरूरी काम कर रहे है  उन का काम बस आप उन का फ़ोन उठा लीजिए उस के बाद वो आप को परेशान कर देंगे।

  सरकार के बड़े बड़े दावे की आप अपने मोबाइल नंबर को DND में दर्ज करा दीजिये आप को कोई भी टेली -मार्केटिंग या प्रमोशनल कॉल नहीं आएँगी, मेरे जेसे कई लोगो ने एस मैं अपना नंबर रजिस्टर भी करवाया इस उम्मीद में की सायद कॉल नहीं आएँगी, पर अफ़सोस आज में दुसरो का तो नही बता सकता पर DND में रजिस्टर कराने के बाद टेली-मार्केटिंग कॉल और भी बाद गयी है। 
  
   उस के बाद सरकार ने एक और कदम उठया  की सभी टेली-मार्केटिंग कम्पनी कोई भी कॉल करेगी तो उस का नंबर 140 से स्टार्ट होगा ताकि लोग पहचान सके की ये टेली-मार्केटिंग कॉल है अब ये आप पर निर्भर करता है की आप फ़ोन उठाओ या नहीं  पर ये वाला कदम भी कारगर साबित नहीं हुआ क्योकि  140  वाला नंबर सिर्फ और सिर्फ रेपुटेड कम्पनी ही यूज़  करती है लेकिन मार्किट में तो टेली-मार्केटिंग कंपनिया कुकुर्मुतो की उग आई है और उस पर सरकार का कोई नियंत्रण नहीं है। बाते बड़ी बड़ी पर इस से एक आम मोबाइल यूजर को कोई फायदा नहीं!

 पहले तो सिर्फ टेली-मार्केटिंग कॉल आती थी (ये खरीद लो वो खरीद लो ) अब एक और परेशानी वो है NGO वालो की कॉल सर मैं ________ NGO से बोल रही हु हमारे वह एक बच्चा आया है उस का जरूरी आपरेशन करना है उस का खर्चा 1,50000/- जिस में हम ने 1,30000/- जुटा लिए है सर आप कुछ मदद कर के पुण्य के भागी बने और आप को इनकम टेक्स मैं छुट भी मिलेगी, इन बातो मैं कितनी सचाई है ये तो भगवन ही जानता  है मेरा एक व्यतिगत अनुमान है की इन 500 कॉल मैं सिर्फ 1 या दो सही होती है क्योकि मैंने देखा है ये सिर्फ पैसा कमाने का एक तरीका बन कर रह गया है, इन से उन लोगो का नुकसान हुआ है जिन को असल मैं मदद की जरूरत है।

में आपको अपना एक उदाहरण देता हु एक बार मैं एक हॉस्पिटल के सामने बस का इंतजार कर रहा था इतने में एक ओरत मेरे पास आई बोली बेटा मैं राजस्थान से आई हु मेरा बेटा बीमार है उस के लिए डॉक्टर ने दवाई मंगवाई है में दवाई की दुकान में गयी थी बेटा  मेरे पास सिर्फ 200/- रुपये है मेरे को और 80/- रुपये की जरूरत है मैंने पहले तो उसे बड़े ध्यान से देखा कही है ओरत मुझे पागल तो नहीं बना रही पर फिर मेरे को लगा की सायद इस  ओरत को सही मैं रुपये की जरूरत थी मैंने अपना पर्स खोल तो देखा की मेरे जेब मैं एक 50 का और एक 500/- का नोट था मैंने उसे 50 का नोट दे दिया और बोल की मैं इस से जायदा आपकी मदद नहीं कर सकता इस पर वो ओरत बोली की इतने मैं तो दवाई नहीं आएगी मैंने बोल अम्मा जी मैं आप की इस से जायदा मदद नहीं कर सकता और फिर वह ओरत वह से चली गयी और मैंने उसे कुछ देर तक देखता रहा वह कई लोगो के पास गयी कई लोगो ने उसे पैसा दिया और कुछ नहीं भी दिया, उस दिन मेरी बस लेट हो गयी और मैंने थोड़े देर बाद क्या देखा की वह ओरत पान की दुकान पर खड़ी है उस के साथ एक और ओरत है और वो दोनों वहा  से गुटखा खरीद रहे है, और थोड़ी देर बाद फिर से अपने काम पर लग गयी तब मुझे अपने आप पर बड़ा अफ़सोस हुआ की आज मैं पागल बन गया तो दोस्तों होता क्या है इस से उस ओरत का तो कुछ नहीं बिगड़ा पर सायद मैं अब किसी पर विश्वास न करू और किसी को जरूरत होने पर भी मदद न कर सकू क्योकि मुझे लगेगा की कही मैं दुबारा से गलत हाथो मैं तो पैसा नहीं दे रहा हु। 

          एसे ही टली-मार्केटिंग कंपनियों का विस्वास नहीं किया जा सकता, मजे की बात तो ये है अब NGO ने टेली-मार्केटिंग कंपनियों को काम देना सुरु कर दिया है इस का मतलब साफ़ साफ़ है की अब ये परमार्थ का काम नहीं बलिक अपनी जेब भरने का काम  सुरु हो गया है, अगर आप सच मैं किसी की मदद करना चाहते है तो खुद NGO मैं जाये और पैसा नहीं बल्कि वस्तु के रूप मैं अपनी मदद दे कर आये। और सरकार को चहिये की वो इस तरह की कॉल के लिए और भी सखत कानून !!!