शनिवार, 9 अगस्त 2014

डेल्ही में ट्रैफिक जाम की समस्या और हमारे नेता



    दोस्तों आप में से मेरे कई दोस्त ऐसे होंगे जो की  दक्षिणी डेल्ही की एक खास समस्या से जूझ रहे है और हम इस समस्या को कई बार नज़र अंदाज़ भी कर देते है, आज का ये मेरा ब्लॉग है डेल्ही मैं लगने वाले उच्च राजनीयको के रूटों को ले कर.जिन को लेकर जनता को कई बार दो चार होना पड़ता है!

   मेरा ऐसा मानना है की आप जरूर कभी न कभी डेल्ही मैं इन उच्च राजनीयको के रूटों के कारण जाम मैं फसे होंगे, जाम में फसना वैसे तो ये डेल्ही वालो की रोजमर्रा की जिंदगी का हिस्सा हो गया  है, पर कई बार जब ये पता चलता है की ये जाम सिर्फ उच्च राजनीयको के रूटों की वजह से लगा है तो बड़ा गुस्सा आता है.

  दोस्तों वैसे मैं कई बार इस जाम का हिस्सा बना हु पर आज जो मैंने देखा वो बड़ा ही दुखद था, डेल्ही छावनी से धौला कुंआ की तरफ करीबन ४५-६० मिनट का जाम वो भी सिर्फ इन  उच्च राजनीयको के रूटों के कारण, इस जाम की वजह से पूरा यातायात मानो एक घंटे के लिए ठहर गया था किसी को कुछ पता ही नहीं की आखिर ये जाम क्यों लगा हुआ है लोग अपनी गाड़ी बीच सड़क में खड़ी कर के इस दूसरे से पूछते हुए दिखे की  आखिर हुआ क्या है जाम क्यों है तो पता चला किसी बड़े  नेता का रूट लगा है.

उस बड़े नेता के चक्कर में अगर किसी का नुकसान हुआ है तो वो है आम जनता का जिन्होंने ट्रेन पकड़ने के लिए अलग अलग डेल्ही के स्टेशन पर जाना था,किसी को कही जाना था किसी को कही सब को कही न  जाना था मुझे  यह देख कर बड़ा दर्द हुआ की वो लोग जिन की ट्रेन  का टाइम निकलता जा रहा था वो तो बस और गाड़ी के अंदर ही रोने लग पड़े, की उन की ट्रेन निकल जाएगी और वो अपने घर या अपनी गंतव्य स्थान तक नहीं पहुंच पाएंगे  इस मैं उन लोगो की कोई गलती नहीं वो अपने सही समय से घर से अपने गंतवय स्थान के लिए निकले थे पर उन्हें नहीं पता था की आज उच्च राजनीयको के रूटों लगने वाला है। आप तो वैसे ही जानते है की भारतीय रेल मैं कन्फर्म टिकट लेना कितना मुश्किल काम है और उस के बाद अगर आप का ट्रेन सिर्फ इन राजनेताओ की रूट के वजह से छूट जाये तो किसी भी व्यक्ति की मनोदशा  को समझ सकते है .

आखिर उस वयक्ति की क्या गलती, ये तो कुछ  बी ही भी नहीं कई बार जब इस तरह की रूटों की बीच एम्बुलेंस आ  जाती है फिर भी हमारे पुलिस के अधिकारी उस एम्बुलेंस को नहीं जाने देते चाहे उस के अंदर वाला मरीज किसी भी हालत में क्यों न  हो!

क्या यही है हमारी वयवस्था की हम आम लोगो को इन नेताओ के लिए परेशान करे, आखिर कौन है जो जनता के लिए सोचेगा, कब तक मुसाफ़िर ऐसे है जाम मैं फस कर अपनी बस ट्रेन और मरीज अपनी जान गवाते रहंगे!

 शायद आप ने इन बातो पर गोर न किया हो मैंने भी नहीं किया था पर आज जब मैंने लोगो को रोते हुए देखा और उन के दर्द को महसूस किया तब मेरे को लगा की नहीं,  शायद मुझे ही इस की शुरुवात करनी पड़ेगी  मैंने अपना काम किया अब आप लोग अपना काम करे इस ब्लॉग को इतना शेयर करे ताकि आम जनता का दर्द
हमारी सरकार तक पहुंचे और वो इस रूट वयवस्था की कमियों को दुरुस्त करे





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