मंगलवार, 25 सितंबर 2012

Helping Hand... Life In Real India


                     

                      

                                   बात बीते हुए शुक्रवार  की घर से रोज के टाइम से थोडा सा पहले चला सोचा की आज कल ऑफिस मैं ऑडिटर आया हुआ है तो थोडा  सा जल्दी चला जाता हु, अब आप इस  का मतलब ये मत समझना की मैं ऑफिस टाइम से नहीं जाता हु मैं अपनी पूरी कोशिस करता हू की टाइम रहते ऑफिस पहुच  जाऊ और जहा से मैं जाता और वो रास्ता भी बढ़िया है पूरा राजनेताओ के  घरो के बीच और सरकारी ऑफिस के रास्तो से निकलता हुआ झंडेवालान, तो शुक्रवार  को घर से चले तो सब कुछ रोज की तरह सब कुछ ठीक  चल रहा था अचानक मेरी मोटर साइकिल ने कर्रेंट छोड़ दिया मैंने बहुँत कोशिस की, की ये सटार्ट हो जाये पर मेरी सारी मेहनत बेकार,  अपने आप मैं जितना जनता था मैंने उस को ठीक करने का कोशिस की  पर सब कुछ बेकार रहा, आखिर मैं हार कर मैंने अपने दोस्त को फ़ोन किया जो की मेरे ही रस्ते से आता था तब टाइम हो रहा था  ८:३५,  दूसरी बार की रिंग मैं उसने  मेरा फ़ोन  उठया और मैंने  उन को आप बीती बताई इस पर उन्होंने मुझे बोला की मैं आता हु थोड़ी देर मैं.... आप वेट करो... 

                                    सोचा की जब तक वो आएगा  इतनी देर  मैं  मोटर साइकिल को साइड मैं खड़ा कर के बेठ जाता हू और मैंने  एसा ही किया पर थोड़ी देर बाद मेरे से बेठा नहीं जा रहा था तो सोचा क्यों न जब तो मेरा दोस्त आएगा तब तक मैं थोडा सा आगे की और चलता हू और मैंने एसा ही किया और अपनी मोटर साइकिल को ले कर (धक्का दे कर ) आगे जाने लगा थोई ही देर बाद मैं पूरी तरफ से पसीने मैं था पर मैं आगे ही बढता जा रहा था की कही तो कोई मेकेनिक मिल जाये, इतनी देर मैं कई लोग मेरे सामने से निकले और आगे बाद गए और थोड़ी देर बाद एक भाई साहब आग खड़े थे बोले की क्या हुआ आप की मोटर साइकिल को तो मैंने बताया कुछ नहीं बस  ये स्टार्ट नहीं हो रही है तो बोला आप ने एस का प्लउग चेक किया मैंने बोला हा वो तो किया पर स्टार्ट नहीं हो रही है तो बोले कोई बात नहीं आप मोटर साइकिल पर बेठ जाओ मैं अपनी मोटर साइकिल से आप की मोटर साइकिल धक्का दे कर आगे ले कर चलता हु मैंने बोला की नहीं मैंने अपने दोस्त को फ़ोन किया है और वो आने वाला है उस ने बोला की कोई बात नहीं अगर आप बोले तो मैं आप को आगे तक ले कर चल सकता हु मैंने उन को अपना अभिनन्दन दिया और बोला की मैं अपने दोस्त का वेट कर लेता हु उस के बाद उस सज्जन वह से चले गए.

               एस के थोड़ी देर बाद फिर और एक सज्जन मेरे पास आये और फिर से मुझे (धक्का दे कर) आगे तक ले जाने की बात करने लगे मैंने उन सज्जन को भी मना कर दिया और वो सज्जन भी चले गए उन के जाने के बाद मैंने सोचा की ये क्या था!

               क्योकि अगर मैं अपनी बात करू तो मैं किसी के लिए कभी  नहीं रुका की अगर किसी की मोटर साइकिल या गाड़ी  खराब हो गयी हो उस दिन मुझे उस पीड़ा का अहसास हुआ की कितनी पीड़ा होती है जब आप कही जा रहे हो बात ये नहीं की आप मोटर साइकिल पर जा रहे हो या कार पर अगर आप को रस्ते मैं कोई एसा मिले उस के पास जा कर उस की मदद जरूर करे आप उस समय समझ नहीं पायेंगे की आप उस के लिए क्या क्या कर रहे है उस समय आप उस आदमी के लिए (जिस की गाड़ी ख़राब ) है भगवान का रूप है....... तो दोस्तों अगर कभी एसा मोका मिले तो जरूर मदद करे क्योकि मैं तो अपने तजुर्बे ये सीखा.....