गुरुवार, 22 नवंबर 2012

"Terrorism"




आख़िरकार 26/11 के अपराधी, पकिस्तानी आतंकवादी अजमल कसाब को फासी दे दी गयी,  अजमल कसाब को उसके द्वारा किये गए अपराधो के लिए भारतीय न्याय व्यवस्था ने अपना फेसला सुनाया और जेल कर्मियों ने अपना, पर एक सवाल मेरे मन एक सवाल बार बार उठ रहा है, की  आखिर एसा क्यों रोज़ भारत पाकिस्तान बार्डर पर न जाने कितने ही भारतीय और पाकिस्तानी सेनिक शहीद हो जाते है, क्या एसा ही होता रहेगा, क्या भारत मैं एसे ही 26/11 जेसे हमले होते रहेंगे क्या एसे  ही कसाब  जेसे लोगो को टाइम टाइम पर  फासी दी जाती रहेगी?

   आज विश्व कई तरह के समस्यों से जूझ रहा है जिस मैं आतंकवाद एक बड़ा मुदा है, और सायद ही विश्व को कोई देश हो जो इस कलंक से आछुता हो, इस के लिए कई कारण  जिमेवार है,  आज विश्व मैं आतंकवाद होने के तीन  मुख्य कारण  है:-



  • आर्थिक असंतुलन
  • धार्मिक रूडिवाद
  • सीमा विवाद


अब अगर बात करे आर्थिक असंतुलन की तो लोगो लगेगा की कुछ नया बताओ ये सब को मालूम है, तो दोस्तों जरा सा आप को अतीत मैं ले जाना कहता हु जब विश्व शक्ति समझे जाने वाले अमेरिका को आतंकवाद का सामना करना पड़ा, उस से पहले ये समझा जाता था की आतंकवादी वो लोग होते है जो अन्पड होते है, जिन्हें जो समझया जाता है उन के समझ मैं वही आता है उन का खुद का कोई वजूद नहीं होता है और कुछ लोग उन के न समझी का फायदा उठा लेते है, पर 11 सितम्बर के अमरीका पर हुए हमले ने लोगो के इस धारणा को बदल कर रख दिया, अब आतंकवादी अन्पड नहीं बल्कि पढ़े लिखे लोगो की जमात है, जिस मैं हर तबके का आदमी और हर छेत्र से जुदा हुआ आदमी जुड़ता जा रहा है और उस का मुख्य कारण  है आर्थिक असंतुलन जो हमला वर्ल्ड ट्रैड सेंटर पर हुआ था उस मैं पड़े लिखे लोग थे जो, जिन लोगो ने इस आतंकवादी हमले को अंजाम दिया उन लोगो का  किसी व्यक्ति विशेष से कोई दुश्मनी नहीं थी न ही वो किसी जमीन के लिए लड़ रहे थे वो ला रहे थे, वो लड़ रहे थे उस वयवस्था से जो आज अमेरिका द्वारा  वर्ल्ड ट्रैड सेंटर के द्वारा फेलाई जा रही है, जिस से विश्व  मैं  आर्थिक असंतुलन बढता जा रहा है।  और ये अंतर्र्श्तिये स्तर आतंकवाद  था, इस मैं कोई दो राय नहीं की जो भी घटना थी वो गलत थी और इस की जितनी निंदा की जाये उतनी कम है, क्योकि कभी भी विरोध करने का तरीका ये नहीं हो सकता की आप किसी भी देश मैं जा कर उस देश की लोगो की जान ले लो और वहा की सम्पति को नुकसान पहुचाओ, अगर आप को अपना विरोध करना ही है तो उस के लिए कई और मंच है जिस मैं जा कर आप अपनी आवाज उठा सकते है, बरहाल हम बात कर रहे थे की किस तरह से आर्थिक असंतुलन आतंकवाद को बढावा दे रहा है।


    आतंकवाद होने का दूसरा सब से बड़ा करण  है, धार्मिक रूडिवाद से मेरा मतलब ये है की  हर धर्म अपने विचारो और सिधान्तों को सही मानता है, और ये ठीक भी है हर किसी को आजादी है की वो किसी भी धर्म को अपनाये,  पर एन विचारो और सिधान्तों को दुसरो को अपनाने के लिए बाध्य करना कितना सही है, ये मेरी समझ से बाहर है आज के समय मैं एक नयी जंग है की लोग जेसे नसलवाद मैं विश्वास रखते थे और है वेसे ही दुसरे धर्म के लोगो को हीनता के दिर्ष्टी से देखा जाता है जो की टिक नहीं है, और वो एक करण है जो समाज और देशो के बीच आतंकवाद को बढावा दे रहा है!


   सीमा विवाद एक ऐसा कारण है जो न जाने आज तक कितने लोगो की जान ले चूका है, आज सायद ही विश्व का कोई ऐसा  देश है जिस का किसी न किसी देश से सीमा विवाद न हो, जो दो तरह के दवंद को बढावा देता है, एक है सेनिक दवंद और दूसरा है आतंकवाद सेनिक इस  लिए की सेनिक आपस मैं बोडर पर लड़ते रहते है, और आतकवादी दुसरे देश मैं गुस्पेट कर उन के देशो  को  कमजोर बनाने की कोसिस करते है ताकि वो दुसरे देश को भीतर से कमजोर बना सके और उस देश पर अपना कब्ज़ा बना सके! और एस का जीता जगता उदहारण भारत और पाकिस्तान, फिलिस्तीन और इजराइल!!!


    अब भी अगर टाइम रहते एन सभी समस्यों का समाधान नहीं किया गया तो ये समस्या और भी विकराल रूप ले लेगी, इस लिए जिनती जल्दी हो एस मैं परिवर्तन की जरूरत है, और ये परिवर्तन होंगे  वयवस्था परिवर्तन के द्वारा!!!

सोमवार, 5 नवंबर 2012

Bhangarh Ke Bhoot (Hon-ted Place in India Bhangarh)

 

जब आप किसी भी बात के बारे मैं बहुँत सोचते है तो  रोमांच अपने आप भी बढने  लगता है, वैसे  ही हम सब दोस्तों का रोमांच एस बात से बाद गया क्योकि हम ने सुना था की राजस्थान मैं एक जगह है जहा पर भूत होने का दावा किया जाता है, मन बड़ा ही रोमांचित था, की आखिर एसा भी कुछ हो सकता है तो ऑफिस के सभी दोस्तों  ने प्लान किया की क्यों न एस बात की तह तक जाया जाये,  और क्यों न राजस्थान के भानगढ़ जाया जाये, तो दोस्तों प्लानिंग सुरु और एक वो भी दिन आ गया जब हम वहा  के लिए तेयार हो गए, बहुँत सारी  बाते, गूगल और दोस्तों से पता चला  की वहा पर सच   मैं बहुँत भूत होने का दावा किया रहा है और कई लोगो ने के भूतो देखने का दावा भी किया है, किसी ने कहा ध्यान से जाना किसी ने कहा बड़ा ही डरावना रास्ता  है वह  पर बड़े ध्यान से जाना रस्ते मैं कई रूकावटे आती है, पेड़ टूट जाता है, पर मन मैं था की जाना है और ये सारी बाते हमारे रोमांच को बड़ा रही थी, रोमाच भी भूत को देखने का, जाने से पहले सारी  तेयारिया जेसे की, गूगल से सारी  जानकारी जुटाना यूटूब से वीडियो देखना और गूगल पर बहुँत सरे ब्लॉग जिस मैं एस बात का बड़ा चड़ा का बताया गया था की रात की बात छोड़ो  वहा तो  दिन मैं भी भूत का एह्सास होता है,

वेसे भी मैं बड़ा आस्तिक बन्दा हु तो भगवान  मैं बड़ा विस्वास करता हु तो भूतो मैं भी करता हु क्योकि जब आप भगवन को मानते है तो भूतो को भी मानने पड़ेगा। एस लिए मन मैं बड़ा रोमांच था। की क्या पता सच मैं भूत देखने मैं मिल जाये।

सन्डे की सुबह (04/11/2012) को वो दिन भी आ गया जब हम रोमाच से भरे उस सफ़र पर चल पड़े और सब के मन मैं जाने का उत्साह और डर पर सब एक दुसरे के सहारे जा रहे थे, सुबह हम  यहाँ टेम्पो ट्राव्लेर  के साथ चल पड़े चलने से पहले सब को माचिस की तीलिया दी गयी ताकि कुछ गलत न हो क्यों के सब के सब डरे हुए थे और हम ने सुना है की दर मैं ऐसी चीजे और डरती है तो अपने मन को पक्का करने के लिए टोटका, और हम ग्रुप मैं 16 दोस्त थे जिस मैं 5 लडकिया और 11 लड़के थे, रस्ते मैं बड़ा एन्जॉय किया सब ने बड़ी मुस्ती करी और दिन मैं करीब हम 1:45 हम भानगढ़ पहुचे रस्ते की मस्ती और करीब 250-275 किलोमीटर के सफ़र ने हमें थका दिया था फिर भी  एक बार भानगढ़ पहुच कर सब पहले की तरह तरोताजा लग रहे थे सब के मन मैं एक ही बात क्या आज हम भूत देख पाएंगे!

जब भानगढ़ पहुचे तो बहार से देखा तो सच मैं डरावना लगा, और गेट पर घुसते ही हनुमान जी का मंदिर, हनुमान जी को प्रणाम कर हम आगे बड़े तो वह पर टूटे हुए कुछ खंडहर नज़र आये और उस के भर भारतीय पुरातव वालो ने लिखा था की ये उस टाइम का बाज़ार था, कही पर लिखा था की यहाँ पर नर्तकी रहती थी, उन की बातो का विश्वास  करते हुए हम आगे बड़े, वह पर एक मंदिर है जो की खंडित था  हम सभी लोग वहा  गए और देख कर कुछ एसा लगा की सायद जो यहाँ की कहानी मैं बताया गया है सायद वो  सच है, की यहाँ पर कुछ भी सही सलामत नहीं है सब खंडित है, आगे बड़े तो एक किला है जो की दो मंजिला है, पूरा एक दम खंडहर है उस मैं कुछ भी नहीं बचा था लोग वह पर हमरी तरह घूम रहे थे हम जा -जा कर अंधरे कमरों मैं भूतो को ढूँढ  रहे थे, पर ये हमारी खुस्किमती कहो या भूतो का दुर्भग्य की न वो हमें नज़र आये उन का पता नहीं की वो हमें देख पाए या नहीं।

शाम होते होते सब के सब हेरान परेशान की भूत  कब मिलंगे, पर एस का जवाब किसी के पास नहीं था, तो सोच की जब इतनी दूर से आये है और इतना इतना टाइम दिया है तो थोडा सा देर और रुक जाते है क्योकि हम ने पड़ा था की शाम ढलने के बाद और सुबह होने से पहले वह पर जाना वर्जित था  तो सोच की सायद शाम ढलने के बाद कुछ नज़र आ जाये फिर भी रोमांच की उस ललक मैं हम ने यहाँ  थोडा और देर रुकने का फेसला लिया की सायद हमरी भूत वाली ललक पूरी हो जाये पर सायद ये भगवान को ये भी मंजूर नहीं था और शाम को करीब हम ने 6:30 पर वहा से वापस लोट जाने का फेसला किया और हम वहा से लोट आये !!!

एस पुरे ट्रिप मैं भूत तो नहीं मिला पर हा अपने दोस्तों के बड़े सारे रंग मिले, और रास्ते मैं सभी दोस्तोने बड़ा एन्जॉय किया और ज़िन्दगी का एक और दिन हसी खुसी गुजर गया, मेरा और हमरी टीम का कुछ एसा तजुर्बा रहा की सायद लोगो की सरारत है ताकि लोग भानगढ़ आये और राजस्थान मैं पर्यटन बड़े। इस से जायदा कुछ नहीं।

जब आप किसी के बारे मैं बहुँत सोचते है तो  रोमांच अपने आप भी बढने  लगता है, वैसे  ही हम सब दोस्तों का रोमांच एस बात से बाद गया क्योकि हम ने सुना था की राजस्थान मैं एक जगह है जहा पर भूत होने का दावा किया जाता है, मन बड़ा ही रोमांचित था, की आखिर एसा भी कुछ हो सकता है तो ऑफिस के सभी दोस्तों  ने प्लान किया की क्यों न एस बात की तह तक जाया जाये,  और क्यों न राजस्थान के भानगढ़ जाया जाये, तो दोस्तों प्लानिंग सुरु और एक वो भी दिन आ गया जब हम वहा  के लिए तेयार हो गए, बहुँत सारी  बाते, गूगल और दोस्तों से पता चला  की वह पर सच   मैं बहुँत भूत  रहते है, किसी ने कहा ध्यान से जाना किसी ने कहा बड़ा ही डरावना रास्ता  है वह  पर बड़े ध्यान से जाना रस्ते मैं कई रूकावटे आती है, पेड़ टूट जाता है, पर मन मैं था की जाना है और ये सारी बाते हमारे रोमांच को बड़ा रही थी, रोमाच भी भूत को देखने का, जाने से पहले सारी  तेयारिया जेसे की, गूगल से सारी  जानकारी जुटाना यूटूब से वीडियो देखना और गूगल पर बहुँत सरे ब्लॉग जिस मैं एस बात का बड़ा चड़ा का बताया गया था की रात की बात छोड़ो  वहा तो  दिन मैं भी भूत का एह्सास होता है,

वेसे भी मैं बड़ा आस्तिक बन्दा हु तो बागवान  मैं बड़ा विस्वास करता हु तो भूतो मैं भी करता हु क्योकि जब आप भगवन को मानते है तो भूतो को भी मानने पड़ेगा। एस लिए मन मैं बड़ा रोमांच था।

सन्डे की सुबह (04/11/2012) को वो दिन भी आ गया जब हम रोमाच से भरे उस सफ़र पर चल पड़े और सब के मन मैं जाने का उत्साह और डर पर सब एक दुसरे के सहारे जा रहे थे, सुबह हम  यहाँ टेम्पो ट्राव्लेर  के साथ चल पड़े चलने से पहले सब को माचिस की तीलिया दी गयी ताकि कुछ गलत न हो क्यों के सब के सब डरे हुए थे और हम ने सुना है की दर मैं ऐसी चीजे और डरती है तो अपने मन को पक्का करने के लिए टोटका, और हम ग्रुप मैं 16 दोस्त थे जिस मैं 5 लडकिया और 11 लड़के थे, रस्ते मैं बड़ा एन्जॉय किया सब ने बड़ी मुस्ती करी और दिन मैं करीब हम 1:45 हम भानगढ़ पहुचे रस्ते की मस्ती और करीब 250-275 किलोमीटर के सफ़र ने हमें थका दिया था फिर भी  एक बार भानगढ़ पहुच कर सब पहले की तरह तरोताजा लग रहे थे सब के मन मैं एक ही बात क्या आज हम भूत देख पाएंगे!

जब भानगढ़ पहुचे तो बहार से देखा तो सच मैं डरावना लगा, और गेट पर घुसते ही हनुमान जी का मंदिर, हनुमान जी को प्रणाम कर हम आगे बड़े तो वह पर टूटे हुए कुछ खंडहर नज़र आये और उस के भर भारतीय पुरातव वालो ने लिखा था की ये उस टाइम का बाज़ार था, कही पर लिखा था की यहाँ पर नर्तकी रहती थी, उन की बातो का विश्वास  करते हुए हम आगे बड़े, वह पर एक मंदिर है जो की खंडित था  हम सभी लोग वहा  गए और देख कर कुछ एसा लगा की सायद जो यहाँ की कहानी मैं बताया गया है सायद वो  सच है, की यहाँ पर कुछ भी सही सलामत नहीं है सब खंडित है, आगे बड़े तो एक किला है जो की दो मंजिला है, पूरा एक दम खंडहर है उस मैं कुछ भी नहीं बचा था लोग वह पर हमरी तरह घूम रहे थे हम जा -जा कर अंधरे कमरों मैं भूतो को ढूँढ  रहे थे, पर ये हमारी खुस्किमती कहो या भूतो का दुर्भग्य की न वो हमें नज़र आये उन का पता नहीं की वो हमें देख पाए या नहीं।

शाम होते होते सब के सब हेरान परेशान की भूत  कब मिलंगे, पर एस का जवाब किसी के पास नहीं था, तो सोच की जब इतनी दूर से आये है और इतना इतना टाइम दिया है तो थोडा सा देर और रुक जाते है क्योकि हम ने पड़ा था की शाम ढलने के बाद और सुबह होने से पहले वह पर जाना वर्जित था  तो सोच की सायद शाम ढलने के बाद कुछ नज़र आ जाये फिर भी रोमांच की उस ललक मैं हम ने यहाँ  थोडा और देर रुकने का फेसला लिया की सायद हमरी भूत वाली ललक पूरी हो जाये पर सायद ये भगवान को ये भी मंजूर नहीं था और शाम को करीब हम ने 6:30 पर वहा से वापस लोट जाने का फेसला किया और हम वहा से लोट आये !!!

एस पुरे ट्रिप मैं भूत तो नहीं मिला पर हा अपने दोस्तों के बड़े सारे रंग मिले, और रास्ते मैं सभी दोस्तोने बड़ा एन्जॉय किया और ज़िन्दगी का एक और दिन हसी खुसी गुजर गया, मेरा और हमरी टीम का कुछ एसा तजुर्बा रहा की सायद लोगो की सरारत है ताकि लोग भानगढ़ आये और राजस्थान मैं पर्यटन बड़े। इस से जायदा कुछ नहीं।