भारत सरकार के बड़े-बड़े दावे और उन दावो का दम निकालता सच, आज बात बिहार की और बिहार मैं उन बच्चो की जो आज भी जिन्दगी और मोंत के लिए लड़ रहे है, हमें सोचना है उन हरएक बच्चे के माता पिता के बारे मैं जिन्होंने अपने बच्चो को स्कूल भेजते हुए उनके उज्जवल भविष्य के बारे मैं सोचा था, पर उनको क्या मिला, अब ये हम सब के सामने है, और उन माँ बाप का दर्द उन के सिवा कोई नहीं समझ सकता जिन की बच्चे आज जिन्दगी और मोत के लिए लड़ रहे है।
रह-रह कर हर बार एक ही बात निकल कर आती है की आखिर जो कुछ हुआ उसकी जिमेवारी किसकी और जिस की जिमेवारी है क्या उसे सजा मिलेगी_______ तो ये एक एसा प्रश्न है जिस का जवाब बता पाना मुस्किल है। सरकार अपने मीड डे मील की स्कीम पर अपनी पीठ थपथपाती रहती है की ये वर्ल्ड की सबसे बड़ी स्कीम है जो बच्चो मैं पोषण देती है पर इस का सच आप के सामने है की वो बच्चो को कितना पोषण दे रहे है!!!
जो कुछ भी बिहार के छपरा के एक सरकारी स्कूल मैं हुआ उस के लिए सरकार (प्रसाशन) जिमेवार है, सरकार का काम सिर्फ योजनाये बनाने भर का नहीं है उसे इस बात का भी ध्यान रखना है की जो योजनाए वो बना रही है उस का क्रियान्वयन भी सही प्रकार से हो, रहा है या नहीं, अगर नहीं तो इस मैं क्या कमिया है और क्या और सुधार इस को ठीक करने के लिए किये जा सकते है उन सब को करना चहिये
ये बात नयी नहीं है की सरकारी स्कूल मैं मैं जो भोजन बच्चो को मीड डे मील के नाम पर जा रहा है उस की गुणवक्ता ठीक नहीं है और ये बात बार बार निकल कर आती रही है पर आज तक इस को सुधारने के लिए क्या-क्या कदम उठाये गए इस बात की जानकारी सायद ही किसी को हो।
ये हमारी फिदरत मैं हो गया है की हम घटना होने की कुछ दिन तक तो उस घटना को लेकर हल्ला मचाते है फिर कुछ दिन बात उस घटना को भूल जाते है, जिस से इस तरह की घटनाओ को पुनरावर्ती होती रहती है, और हमें एस बात को भी समझना होगा की ये स्कीम बहुँत बड़ी स्कीम है और एस के साथ बहुँत ज्यादा पैसा जुड़ा हुआ है इस लिए इस स्कीम पर और जायदा निगरानी रखने की जरूरत है ! और जो लोग भी इस मैं लापरवाही मैं पकडे जाये उन को सख्त स सख्त सजा मिलने चहिये ताकि वो हमारे (भविष्य) बच्चो की जिन्दगी के साथ न खेल सके…