शुक्रवार, 19 अप्रैल 2013

Auto-Rickshaw Problem In Delhi & NCR

        


                            कभी कभी आप को कही किसी जरूरी कम से जाना है और आप  ने सोचा की आप बस से जायदा जल्दी पहुचना चाहते है और अपनी गाड़ी या तो आप के पास है नहीं या फिर आप पार्किंग की समस्या के मदेंज़र आप उसे नहीं ले गए तो सोच की थ्री व्हीलर से ही चल पड़ते है, बस  आप ने थ्री व्हीलर वाले को हाथ दिया बस सोच लीजिये की आप का दिन ख़राब होना सुरु हो गया, आपने बोल मैं ______ जगह जाना है तो फट से थ्री व्हीलर वाला उस के रेट आप को बता देगा आप बोलेंगे मीटर से चलिए तो उस के पास एक हज़ार  बहाने है की वो मीटर से नहीं चल सकता क्योकि मीटर ठीक  नहीं है, आप जहा जाना चाहते है वह पर ट्रैफिक बड़ा रहता है, गैस के रेट बढ गए है और न जाने और कितने है ! आप ने सोचा की चलो इसे जाने देते है किसी और थ्री व्हीलर से चल पड़ते है दुसरे को हाथ दिया तो उस का मन नहीं था,  तो इस  लिए उस ने नहीं रोका ही नहीं,  अब आप लेट हो रहे है कहा आप जल्द से जल्द पहुचने का सोच रहे थे और कहा आप लेट हो रहे है बड़ी मुश्किल से एक थ्री व्हीलर वाला रुका  ड्राईवर साहब को देख कर लगता है इस ने  पिछले 7 दिनों से नहाया नहीं है थ्री व्हीलर के अन्दर से बीडी सिगरेट की बदबू आ रही है, यात्री : ______ जगह  चलना है, ड्राईवर : इतने पैसे लगेंगे यात्री :आप मीटर से चलिए ड्राईवर:  आप को क्या बताये मीटर से जाते है तो कुछ बचता नहीं है गैस के रेट बढ, पुलिस वाले बड़ा परेशान करते है. आखिर कार आप लेट हो रहे है और लेट नहीं होना नहीं चाहते इस  लिए आप ने वो थ्री व्हीलर ले लिया और आप चले गए!!!


       सब से बड़ी समस्या तो ये है जब आप को कही जल्दी जाना होता है तो ये लोग अपनी मन मर्ज़ी का किराया वसूलते है, या फिर बोलेंगे की गैस ख़तम हो गयी है इस  लिए नहीं जा सकते और आप इन लोगो के साथ अपना सर खपा कर थक जायेंगे लेकिन ये नहीं मानेंगे इन को किसी भी कानून का डर नहीं है !  और सब से जायदा सर तो तब खपाना पड़ता है जब आप की यात्रा की दुरी कम हो तो फिर तो ये और भी मन माँगा किराया वसूलते है!

      सरकार बड़े बड़े दावे करती है की सब थ्री व्हीलर वाले मीटर से चलते है अगर आप को किसी तरह की शिकायत हो तो आप ट्रैफिक हेल्प लाइन पर फ़ोन करो पर ये नंबर कभी लगते ही नहीं अगर गलती से लग भी गया तो वह पर कोई आप का फ़ोन ही नहीं पिक करेगा 

Help Line : 42-400-400... round the clock on the HELPLINE number of Government of Delhi.

 जनता परेशान लेकिन इस बात  से सरकार का कोई लेना देना नहीं है, न ही थ्री व्हीलर वालो को, न ही  किसी कानून का डर है, इस जदोजहद मैं अगर कोई सब से जायदा परेशान है वो है यात्री जिस के पास परेशान होने के सिवा कोई चारा नहीं है और जो अपनी मेहनत की कमाई को थ्री वीलर वालो को न चाहते हुए भी दे रहा है!

अब आप ही बताये इस समस्या से निपटने के लिए क्या किया जा सकता है क्या आप को लगता है की इस मैं कुछ हो सकता  या ये एसा ही चलता रहेगा अपने कमेंट जरूर दे,,,





बुधवार, 20 मार्च 2013

Telemarketing Is Stupid


आज का ये मेरा समर्पित है नाकाम सरकार और तेज तर्रार टेली-मार्कटिंग कम्पनियों और बेचारे मोबाइल उपभोग्ताओ को बेचारे इस  लिए क्योकि इन  के पास परेशान होने के सिवा कुछ भी नहीं है। सुबह 9:30 आप रस्ते मैं ड्राइव करते हुए ऑफिस के लिए जा रहे है तभी एक फ़ोन आता है, नंबर पहचान का नहीं है समझ में नहीं आ रहा की फ़ोन उठाऊ या नहीं, ट्रैफिक बड़ा है, ट्रैफिक  पुलिस वाले मामा शिकारी की तरह से आँख लगा के बेठे है की कोई तो मुर्गा फसे तो आज की बोनी-बटा सुरु हो, इस जदोजहद मैं की फ़ोन उठाऊ या नहीं,  दिमाग ट्रैफिक में कम और मोबाइल की तरह जायदा चला गया चलो कॉल भी मिस कॉल बन कर रह गयी, लगा की चलो जब ऑफिस पहुच जाऊंगा तो वह आराम से बात कर लूँगा, पर तभी फिर एक और कॉल, मोबाइल की घंटी बजने लगी अब ये कोन फ़ोन कर रहा है सब को अभी फ़ोन करना है  देखा तो ये भी नंबर अनजान है!

           कुछ तो बात है बार बार फ़ोन आ रहे है, गाड़ी साइड मैं लगायी (वो आप किस्मत वाले है अगर आप कार से जाते है मेरी तरह बाइक से जाते तो और भी मुश्किल थी ) फ़ोन उठया उधर से मीठी सी आवाज आई गुड-मोर्निंग सर आप _____ बोल रहे है?,  हांजी मैं _____ देश बोल रहा हु! बताये।,  सर मैं आप को एक गारंटी सेविंग प्लान के बारे मैं बताना चाहती  हु , नहीं मैं नहीं में कोई सेविंग नहीं करना कहता हु, पहले तो ये बताये की आप के पास मेरा नंबर आया कहा से, सर ये तो कंपनी ने प्रोवाइड करवाया है, देखिये कुमारी_____ आप से मेरा विनम्र निवेदन है की क्रप्या कर के आप मेरा नंबर अपने डाटा से हटा दे ताकि आप लोग दुबारा से मुझे कॉल न करे।।। पर आपकी किस्मत ऐसी  कहा की आप के पास दुबारा फ़ोन न आये उस नंबर से नहीं तो सायद की और नंबर ये आप के पास फिर से एक टेली-मार्कटिंग कॉल  और आप फिर से एक बार असहाय 
टेली-मार्केटिंग कंपनियों को एस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता की आप ड्राइव कर रहे है जरूरी मीटिंग मैं बेठे है, कुछ जरूरी काम कर रहे है  उन का काम बस आप उन का फ़ोन उठा लीजिए उस के बाद वो आप को परेशान कर देंगे।

  सरकार के बड़े बड़े दावे की आप अपने मोबाइल नंबर को DND में दर्ज करा दीजिये आप को कोई भी टेली -मार्केटिंग या प्रमोशनल कॉल नहीं आएँगी, मेरे जेसे कई लोगो ने एस मैं अपना नंबर रजिस्टर भी करवाया इस उम्मीद में की सायद कॉल नहीं आएँगी, पर अफ़सोस आज में दुसरो का तो नही बता सकता पर DND में रजिस्टर कराने के बाद टेली-मार्केटिंग कॉल और भी बाद गयी है। 
  
   उस के बाद सरकार ने एक और कदम उठया  की सभी टेली-मार्केटिंग कम्पनी कोई भी कॉल करेगी तो उस का नंबर 140 से स्टार्ट होगा ताकि लोग पहचान सके की ये टेली-मार्केटिंग कॉल है अब ये आप पर निर्भर करता है की आप फ़ोन उठाओ या नहीं  पर ये वाला कदम भी कारगर साबित नहीं हुआ क्योकि  140  वाला नंबर सिर्फ और सिर्फ रेपुटेड कम्पनी ही यूज़  करती है लेकिन मार्किट में तो टेली-मार्केटिंग कंपनिया कुकुर्मुतो की उग आई है और उस पर सरकार का कोई नियंत्रण नहीं है। बाते बड़ी बड़ी पर इस से एक आम मोबाइल यूजर को कोई फायदा नहीं!

 पहले तो सिर्फ टेली-मार्केटिंग कॉल आती थी (ये खरीद लो वो खरीद लो ) अब एक और परेशानी वो है NGO वालो की कॉल सर मैं ________ NGO से बोल रही हु हमारे वह एक बच्चा आया है उस का जरूरी आपरेशन करना है उस का खर्चा 1,50000/- जिस में हम ने 1,30000/- जुटा लिए है सर आप कुछ मदद कर के पुण्य के भागी बने और आप को इनकम टेक्स मैं छुट भी मिलेगी, इन बातो मैं कितनी सचाई है ये तो भगवन ही जानता  है मेरा एक व्यतिगत अनुमान है की इन 500 कॉल मैं सिर्फ 1 या दो सही होती है क्योकि मैंने देखा है ये सिर्फ पैसा कमाने का एक तरीका बन कर रह गया है, इन से उन लोगो का नुकसान हुआ है जिन को असल मैं मदद की जरूरत है।

में आपको अपना एक उदाहरण देता हु एक बार मैं एक हॉस्पिटल के सामने बस का इंतजार कर रहा था इतने में एक ओरत मेरे पास आई बोली बेटा मैं राजस्थान से आई हु मेरा बेटा बीमार है उस के लिए डॉक्टर ने दवाई मंगवाई है में दवाई की दुकान में गयी थी बेटा  मेरे पास सिर्फ 200/- रुपये है मेरे को और 80/- रुपये की जरूरत है मैंने पहले तो उसे बड़े ध्यान से देखा कही है ओरत मुझे पागल तो नहीं बना रही पर फिर मेरे को लगा की सायद इस  ओरत को सही मैं रुपये की जरूरत थी मैंने अपना पर्स खोल तो देखा की मेरे जेब मैं एक 50 का और एक 500/- का नोट था मैंने उसे 50 का नोट दे दिया और बोल की मैं इस से जायदा आपकी मदद नहीं कर सकता इस पर वो ओरत बोली की इतने मैं तो दवाई नहीं आएगी मैंने बोल अम्मा जी मैं आप की इस से जायदा मदद नहीं कर सकता और फिर वह ओरत वह से चली गयी और मैंने उसे कुछ देर तक देखता रहा वह कई लोगो के पास गयी कई लोगो ने उसे पैसा दिया और कुछ नहीं भी दिया, उस दिन मेरी बस लेट हो गयी और मैंने थोड़े देर बाद क्या देखा की वह ओरत पान की दुकान पर खड़ी है उस के साथ एक और ओरत है और वो दोनों वहा  से गुटखा खरीद रहे है, और थोड़ी देर बाद फिर से अपने काम पर लग गयी तब मुझे अपने आप पर बड़ा अफ़सोस हुआ की आज मैं पागल बन गया तो दोस्तों होता क्या है इस से उस ओरत का तो कुछ नहीं बिगड़ा पर सायद मैं अब किसी पर विश्वास न करू और किसी को जरूरत होने पर भी मदद न कर सकू क्योकि मुझे लगेगा की कही मैं दुबारा से गलत हाथो मैं तो पैसा नहीं दे रहा हु। 

          एसे ही टली-मार्केटिंग कंपनियों का विस्वास नहीं किया जा सकता, मजे की बात तो ये है अब NGO ने टेली-मार्केटिंग कंपनियों को काम देना सुरु कर दिया है इस का मतलब साफ़ साफ़ है की अब ये परमार्थ का काम नहीं बलिक अपनी जेब भरने का काम  सुरु हो गया है, अगर आप सच मैं किसी की मदद करना चाहते है तो खुद NGO मैं जाये और पैसा नहीं बल्कि वस्तु के रूप मैं अपनी मदद दे कर आये। और सरकार को चहिये की वो इस तरह की कॉल के लिए और भी सखत कानून !!!

शनिवार, 19 जनवरी 2013

India-Pakistan Relation

              



      

       पिछले कुछ दिन पहले जो पाकिस्तान के दवारा हमारे सहीद सेनिको के साथ किया उस से हमारा पूरा देश स्तब्ध है, युद्ध विराम होने के बाबजूद पाकिस्तान के दवरा बार-बार उस का उलंघन करना आम बात हो गयी है, लेकिन जिस तरह पाकिस्तानी सेना द्वारा कुछ  दिन पहले लाइन ऑफ़ कण्ट्रोल पर जघयन्य  हत्या की गयी उस से पूरी मानवजाति को सर्मिन्दा किया है, पाकिस्तान हमेशा ऐसा  कुछ न कुछ करता रहता है जिस किए कारण दोनों देशो के रिश्ते आज तक सामान्य नहीं हो पाए, और एस बात से अगर किसी को सा से जायदा परेशानी का सामना करना पड़ता है तो वो लोग है दोनों देशो के आम नागरिक, दोनों देशो के रिश्ते सामान्य नहीं होने के कारण दोनों देशो के बीच हथियारों की होड़ सुरु हो गयी है, आज दोनों देश अपने बजट का सबसे जायदा प्रतिशत अपने रक्षा बजट पर वयय करते है, वो पैसा जिस से दोनों देशो की करोडो गरीबो के लिए विकास किया जा सकता था आज हथियार बनाने और खरीदने मैं लग जाता है!

        भारत की सरकार को दो स्तरों पर इस  का सामना करना पड़ता है एक तो सनिक आधार पर दूसरा आतकवादी घुसपैठ /आतंकवादी हमले, अब एस तरह बार बार होने वाले छदम युद से बचने के दो तरीके हो सकते है या तो दोनों देश लाइन ऑफ़ कण्ट्रोल का वास्तव मैं सम्मान करे या फिर दोनों देशो को एक और युद कर लेना चहिये और जो भी एस युद को जीत ले कश्मीर उस का क्योकि मेरे को बातो से कुछ होता नज़र नहीं आ रहा है, ऐसा नहीं की मैं युद का पक्षधर हु मैं ये भी मानता हु की अगर आज युद्ध हुआ तो इस से दोनों देशो की आर्थिक व्यवस्था बिगड़ जाएगी और दोनों कम से कम 20-30 साल पिछड़ जायेंगे, एर जिस तरह का रविया पाकिस्तान का रहा है वो युद्ध से कम भी नहीं है और इस से सब से जायदा नुकसान भारत को उठाना पड  रहा है !

  पाकिस्तान के अंदर लोकतान्त्रिक सरकार के सामान एक और सरकार चल रही है जिस की वह के वहा चरमपंथी चला रहे है या सीधे सीधे कहे तो आतंकवादी चला रहे है जिस पर  की वह की  लोकतान्त्रिक सरकार का कोई नियंत्रण नहीं है, वो जब जेसा चाहते है वेस करते है, उन का सरकार , ISI , और सेना पर पूरी पकड़ है पाकिस्तानी सरकार उन के हाथ की कटपुतली है!

   एक तरफ तो भारत और पाकिस्तान अपने सम्बंदो को ठीक करने की कोसिस करते है लेकिन बीच बीच मैं पाकिस्तान इस  तरह के कृत्य कर अपने सम्बंदो मैं रूकावट डालता है उस के दवरा भारत के द्वारा दी गयी 20 आतंकवादियों के ऊपर कोई कारवाही नहीं की है जब की भारत पाकिस्तान को उन आतंकवादियों की हरकतों की बारे मैं टाइम टाइम पर सबूत/चूका  देता रहता है पर पाकिस्तान इसे बार बार यह कर कर नकार देता है की ये सबूत न काफी है और सबूत चहिये!

    जहा तक बात भारत सरकार के रविये की है वो आज तक मेरी समझ मैं नहीं आया की आखिर वो चाहते क्या है, पाकिस्तान बार-बार ऐसी हरकते करता रहता है और हम चुप चाप सह जाते है, जायदा से जायदा पाकिस्तानी राजदूत को बुला कर एक सरकारी पत्र पकड़ा देते है जिस मैं लिखा होता है की हम नाराज़ है अप्किस्तानी अपनी हरकतों से बाज़ आये नहीं तो हम खेल सम्बन्ध खत्म  कर लेंगे राजनयिक संबंद खत्म कर लेंगे,  पर सवाल जस का तस की आखिर कब तक हमारे सेनिक एसे ही सहीद होते रहेंगे मुझे तो डर  है की कही इस तरह के रविये से भारत के वीर सनिको का मनोबल कम न हो जाये की सरकार को उन की सहादत से कोई मतलब नहीं !!!

हमें अपने वीर सेनिको के लिए मिसाल कायम करनी होगी जेसा की अमेरिका ने की है वो अपने एक एक सेनिक की रक्षा  के लिए कोई कोर कसर  नहीं छोड़ता है वेस ही हमें करना होगा ताकि हमारे  वीर सेनिको का मनोबल बना रहे और हमारे सेनिक, देश और सरहदों की रक्षा पूर्ण  निष्ठा से करे!!!

सोमवार, 31 दिसंबर 2012

"Happy New Year 2013"

" Rape Cases In India"



            


         देलही मैं बीते दिनों जो कुछ भी हुआ उस से पूरा देश शरमशार है, भारत की राजधानी जिस देश मैं सब से सुरक्षित जगह माना जाता है, वहा  पर बलात्कार जेसी घटनाये आये दिन न्यूज़ पेपर की सुर्खियों मैं होती है, जिस प्रकार से वसंत विहार जेसे पोश एरिया मैं 6 लोगो को द्वारा बलात्कार कर फिर उस लड़की के साथ जो किया वो मानव जाति के इतिहास मैं सायद इस से पहले कभी हुआ हो, इस से पता चलता है की हमारे समाज का पतन किस प्रकार तेजी से हो रहा है, और लोगो के मन मैं कितनी हिंसा भर गयी है, ऐसा नहीं है वो वो 6 लोग जो की एस बलात्कार कांड मैं आरोपी बताये जा रहा है उन की माँ बहन नहीं है या वो एस समाज का हिस्सा नहीं है, लेकिन बावजूद उन लोगो ने एस घिनोने कृत्य को अंजाम दिया।

सरकार को चहिये की योन उत्पीड़ना वाले मामलो के लिए अलग से नायालय बनाये जाये ताकि दोषियों को जल्द से जलद उनकी करनी का फल मिले और लोग मैं कानून का भय बने ताकि  एसी घटनाओ को होने से रोक जा सके।।।

                  दोस्तों हमारा समाज जिस और बड़ रहा है, अगर इस मैं जल्द बदलाव नहीं लाये गए तो इस का रूप और भी घिनोना होता चला जायेगा अभी तो समय है जब लोगो को जागरूक कर समाज मैं बदलाव ला सकते है हमें इस बात को समझना और कारण जानने होंगे की आखिर एस क्यों हो रहा है? हद तो तब हो जाती है की जब हम न्यूज़ मैं ये सुँनने और न्यूज़ पेपर मैं ये पड़ने को मिलता है की परिवार के पुरुषों दवार ही परिवार के स्त्रियों का योन शोषण की बात निकल कर आती है! इस के लिए मजबूत कानून की जरूरत है और सिर्फ कानून की ही नहीं बल्कि उसे कार्यान्वित करने की भी जरूरत है इसे बहुँत सारे कानून है जो है तो सही पर कार्यान्वित नहीं हो पते उदहारण के तोर पर जहा पर भी अपराध होते है जरूरी नहीं की वहा  पर पुलिस मोजूद हो हा लेकिन वहा पर मोजूद हो सकता है "कानून का डर"  की अगर कोई भी नागरिक कानून का पालन नहीं करता है तो हमरा कानून उसे दण्डित करेगा और वह बच नहीं पायेगा कानून के सिखंजे से,    कानून बनाते समय एस बात का भी ध्यान रखना चहिये की इस मैं किसी प्रकार की त्रुटी नहीं रह जाये क्योकि आकडे एस बात के गवाह है की दहेज़ कानून का स्त्रियो के दवरा गलत यूज़ किया गया और जिस के कारन कई लोगो को परेशानी उठानी पड़ी और उठानी पड़ रही है  


              दोस्तों हमरा समाज वो समाज है जिस मैं तेजी से बदलाव आ रहा है और बड़ा ही परगतिशील समाज है इस  से पहले हमारी प्रगति मैं महिलाओ की हिसेदारी न के बराबर थी, लेकिन अब समय बदल रहा है महिलाओ की हिसेदारी बड  रही  है महिलाये अपने अधिकारों के बारे मैं जागरूक हुई है, और वो घर से बाहर निकली है, उन्होंने पुरषों से कंधे से कन्धा मिलाया है और मिलाना भी चहिये पर कुछ नेतिक मूल्य है जो स्त्री और पुरुष के लिए सामान है और इस का स्त्री और पुरष के दवारा पालन किया जाना चहिये! अगर हम इन नेतिक मूल्यों पर चले हो हम समाज से कई साडी बुरइयो का अंत कर सकेंगे ये मेरा विस्वास है।।।




         क्योकि आज के दोर  मैं अगर किसी बात का पतन हमारे समाज  मैं  सबसे  जायदा हुआ है तो वो है हमारी नेतिकता का पतन और ये सारी  बाते हमरी नेतिकता से ही जुडी हुई है हमें अपने बचो और अपने साथियों को नेतिकता के बारे मैं बताना चहिये समाज मैं नेतिकता का रिश्ता एस रिश्ता है जेसे जीवन मैं सांसो का!!! 







गुरुवार, 22 नवंबर 2012

"Terrorism"




आख़िरकार 26/11 के अपराधी, पकिस्तानी आतंकवादी अजमल कसाब को फासी दे दी गयी,  अजमल कसाब को उसके द्वारा किये गए अपराधो के लिए भारतीय न्याय व्यवस्था ने अपना फेसला सुनाया और जेल कर्मियों ने अपना, पर एक सवाल मेरे मन एक सवाल बार बार उठ रहा है, की  आखिर एसा क्यों रोज़ भारत पाकिस्तान बार्डर पर न जाने कितने ही भारतीय और पाकिस्तानी सेनिक शहीद हो जाते है, क्या एसा ही होता रहेगा, क्या भारत मैं एसे ही 26/11 जेसे हमले होते रहेंगे क्या एसे  ही कसाब  जेसे लोगो को टाइम टाइम पर  फासी दी जाती रहेगी?

   आज विश्व कई तरह के समस्यों से जूझ रहा है जिस मैं आतंकवाद एक बड़ा मुदा है, और सायद ही विश्व को कोई देश हो जो इस कलंक से आछुता हो, इस के लिए कई कारण  जिमेवार है,  आज विश्व मैं आतंकवाद होने के तीन  मुख्य कारण  है:-



  • आर्थिक असंतुलन
  • धार्मिक रूडिवाद
  • सीमा विवाद


अब अगर बात करे आर्थिक असंतुलन की तो लोगो लगेगा की कुछ नया बताओ ये सब को मालूम है, तो दोस्तों जरा सा आप को अतीत मैं ले जाना कहता हु जब विश्व शक्ति समझे जाने वाले अमेरिका को आतंकवाद का सामना करना पड़ा, उस से पहले ये समझा जाता था की आतंकवादी वो लोग होते है जो अन्पड होते है, जिन्हें जो समझया जाता है उन के समझ मैं वही आता है उन का खुद का कोई वजूद नहीं होता है और कुछ लोग उन के न समझी का फायदा उठा लेते है, पर 11 सितम्बर के अमरीका पर हुए हमले ने लोगो के इस धारणा को बदल कर रख दिया, अब आतंकवादी अन्पड नहीं बल्कि पढ़े लिखे लोगो की जमात है, जिस मैं हर तबके का आदमी और हर छेत्र से जुदा हुआ आदमी जुड़ता जा रहा है और उस का मुख्य कारण  है आर्थिक असंतुलन जो हमला वर्ल्ड ट्रैड सेंटर पर हुआ था उस मैं पड़े लिखे लोग थे जो, जिन लोगो ने इस आतंकवादी हमले को अंजाम दिया उन लोगो का  किसी व्यक्ति विशेष से कोई दुश्मनी नहीं थी न ही वो किसी जमीन के लिए लड़ रहे थे वो ला रहे थे, वो लड़ रहे थे उस वयवस्था से जो आज अमेरिका द्वारा  वर्ल्ड ट्रैड सेंटर के द्वारा फेलाई जा रही है, जिस से विश्व  मैं  आर्थिक असंतुलन बढता जा रहा है।  और ये अंतर्र्श्तिये स्तर आतंकवाद  था, इस मैं कोई दो राय नहीं की जो भी घटना थी वो गलत थी और इस की जितनी निंदा की जाये उतनी कम है, क्योकि कभी भी विरोध करने का तरीका ये नहीं हो सकता की आप किसी भी देश मैं जा कर उस देश की लोगो की जान ले लो और वहा की सम्पति को नुकसान पहुचाओ, अगर आप को अपना विरोध करना ही है तो उस के लिए कई और मंच है जिस मैं जा कर आप अपनी आवाज उठा सकते है, बरहाल हम बात कर रहे थे की किस तरह से आर्थिक असंतुलन आतंकवाद को बढावा दे रहा है।


    आतंकवाद होने का दूसरा सब से बड़ा करण  है, धार्मिक रूडिवाद से मेरा मतलब ये है की  हर धर्म अपने विचारो और सिधान्तों को सही मानता है, और ये ठीक भी है हर किसी को आजादी है की वो किसी भी धर्म को अपनाये,  पर एन विचारो और सिधान्तों को दुसरो को अपनाने के लिए बाध्य करना कितना सही है, ये मेरी समझ से बाहर है आज के समय मैं एक नयी जंग है की लोग जेसे नसलवाद मैं विश्वास रखते थे और है वेसे ही दुसरे धर्म के लोगो को हीनता के दिर्ष्टी से देखा जाता है जो की टिक नहीं है, और वो एक करण है जो समाज और देशो के बीच आतंकवाद को बढावा दे रहा है!


   सीमा विवाद एक ऐसा कारण है जो न जाने आज तक कितने लोगो की जान ले चूका है, आज सायद ही विश्व का कोई ऐसा  देश है जिस का किसी न किसी देश से सीमा विवाद न हो, जो दो तरह के दवंद को बढावा देता है, एक है सेनिक दवंद और दूसरा है आतंकवाद सेनिक इस  लिए की सेनिक आपस मैं बोडर पर लड़ते रहते है, और आतकवादी दुसरे देश मैं गुस्पेट कर उन के देशो  को  कमजोर बनाने की कोसिस करते है ताकि वो दुसरे देश को भीतर से कमजोर बना सके और उस देश पर अपना कब्ज़ा बना सके! और एस का जीता जगता उदहारण भारत और पाकिस्तान, फिलिस्तीन और इजराइल!!!


    अब भी अगर टाइम रहते एन सभी समस्यों का समाधान नहीं किया गया तो ये समस्या और भी विकराल रूप ले लेगी, इस लिए जिनती जल्दी हो एस मैं परिवर्तन की जरूरत है, और ये परिवर्तन होंगे  वयवस्था परिवर्तन के द्वारा!!!

सोमवार, 5 नवंबर 2012

Bhangarh Ke Bhoot (Hon-ted Place in India Bhangarh)

 

जब आप किसी भी बात के बारे मैं बहुँत सोचते है तो  रोमांच अपने आप भी बढने  लगता है, वैसे  ही हम सब दोस्तों का रोमांच एस बात से बाद गया क्योकि हम ने सुना था की राजस्थान मैं एक जगह है जहा पर भूत होने का दावा किया जाता है, मन बड़ा ही रोमांचित था, की आखिर एसा भी कुछ हो सकता है तो ऑफिस के सभी दोस्तों  ने प्लान किया की क्यों न एस बात की तह तक जाया जाये,  और क्यों न राजस्थान के भानगढ़ जाया जाये, तो दोस्तों प्लानिंग सुरु और एक वो भी दिन आ गया जब हम वहा  के लिए तेयार हो गए, बहुँत सारी  बाते, गूगल और दोस्तों से पता चला  की वहा पर सच   मैं बहुँत भूत होने का दावा किया रहा है और कई लोगो ने के भूतो देखने का दावा भी किया है, किसी ने कहा ध्यान से जाना किसी ने कहा बड़ा ही डरावना रास्ता  है वह  पर बड़े ध्यान से जाना रस्ते मैं कई रूकावटे आती है, पेड़ टूट जाता है, पर मन मैं था की जाना है और ये सारी बाते हमारे रोमांच को बड़ा रही थी, रोमाच भी भूत को देखने का, जाने से पहले सारी  तेयारिया जेसे की, गूगल से सारी  जानकारी जुटाना यूटूब से वीडियो देखना और गूगल पर बहुँत सरे ब्लॉग जिस मैं एस बात का बड़ा चड़ा का बताया गया था की रात की बात छोड़ो  वहा तो  दिन मैं भी भूत का एह्सास होता है,

वेसे भी मैं बड़ा आस्तिक बन्दा हु तो भगवान  मैं बड़ा विस्वास करता हु तो भूतो मैं भी करता हु क्योकि जब आप भगवन को मानते है तो भूतो को भी मानने पड़ेगा। एस लिए मन मैं बड़ा रोमांच था। की क्या पता सच मैं भूत देखने मैं मिल जाये।

सन्डे की सुबह (04/11/2012) को वो दिन भी आ गया जब हम रोमाच से भरे उस सफ़र पर चल पड़े और सब के मन मैं जाने का उत्साह और डर पर सब एक दुसरे के सहारे जा रहे थे, सुबह हम  यहाँ टेम्पो ट्राव्लेर  के साथ चल पड़े चलने से पहले सब को माचिस की तीलिया दी गयी ताकि कुछ गलत न हो क्यों के सब के सब डरे हुए थे और हम ने सुना है की दर मैं ऐसी चीजे और डरती है तो अपने मन को पक्का करने के लिए टोटका, और हम ग्रुप मैं 16 दोस्त थे जिस मैं 5 लडकिया और 11 लड़के थे, रस्ते मैं बड़ा एन्जॉय किया सब ने बड़ी मुस्ती करी और दिन मैं करीब हम 1:45 हम भानगढ़ पहुचे रस्ते की मस्ती और करीब 250-275 किलोमीटर के सफ़र ने हमें थका दिया था फिर भी  एक बार भानगढ़ पहुच कर सब पहले की तरह तरोताजा लग रहे थे सब के मन मैं एक ही बात क्या आज हम भूत देख पाएंगे!

जब भानगढ़ पहुचे तो बहार से देखा तो सच मैं डरावना लगा, और गेट पर घुसते ही हनुमान जी का मंदिर, हनुमान जी को प्रणाम कर हम आगे बड़े तो वह पर टूटे हुए कुछ खंडहर नज़र आये और उस के भर भारतीय पुरातव वालो ने लिखा था की ये उस टाइम का बाज़ार था, कही पर लिखा था की यहाँ पर नर्तकी रहती थी, उन की बातो का विश्वास  करते हुए हम आगे बड़े, वह पर एक मंदिर है जो की खंडित था  हम सभी लोग वहा  गए और देख कर कुछ एसा लगा की सायद जो यहाँ की कहानी मैं बताया गया है सायद वो  सच है, की यहाँ पर कुछ भी सही सलामत नहीं है सब खंडित है, आगे बड़े तो एक किला है जो की दो मंजिला है, पूरा एक दम खंडहर है उस मैं कुछ भी नहीं बचा था लोग वह पर हमरी तरह घूम रहे थे हम जा -जा कर अंधरे कमरों मैं भूतो को ढूँढ  रहे थे, पर ये हमारी खुस्किमती कहो या भूतो का दुर्भग्य की न वो हमें नज़र आये उन का पता नहीं की वो हमें देख पाए या नहीं।

शाम होते होते सब के सब हेरान परेशान की भूत  कब मिलंगे, पर एस का जवाब किसी के पास नहीं था, तो सोच की जब इतनी दूर से आये है और इतना इतना टाइम दिया है तो थोडा सा देर और रुक जाते है क्योकि हम ने पड़ा था की शाम ढलने के बाद और सुबह होने से पहले वह पर जाना वर्जित था  तो सोच की सायद शाम ढलने के बाद कुछ नज़र आ जाये फिर भी रोमांच की उस ललक मैं हम ने यहाँ  थोडा और देर रुकने का फेसला लिया की सायद हमरी भूत वाली ललक पूरी हो जाये पर सायद ये भगवान को ये भी मंजूर नहीं था और शाम को करीब हम ने 6:30 पर वहा से वापस लोट जाने का फेसला किया और हम वहा से लोट आये !!!

एस पुरे ट्रिप मैं भूत तो नहीं मिला पर हा अपने दोस्तों के बड़े सारे रंग मिले, और रास्ते मैं सभी दोस्तोने बड़ा एन्जॉय किया और ज़िन्दगी का एक और दिन हसी खुसी गुजर गया, मेरा और हमरी टीम का कुछ एसा तजुर्बा रहा की सायद लोगो की सरारत है ताकि लोग भानगढ़ आये और राजस्थान मैं पर्यटन बड़े। इस से जायदा कुछ नहीं।

जब आप किसी के बारे मैं बहुँत सोचते है तो  रोमांच अपने आप भी बढने  लगता है, वैसे  ही हम सब दोस्तों का रोमांच एस बात से बाद गया क्योकि हम ने सुना था की राजस्थान मैं एक जगह है जहा पर भूत होने का दावा किया जाता है, मन बड़ा ही रोमांचित था, की आखिर एसा भी कुछ हो सकता है तो ऑफिस के सभी दोस्तों  ने प्लान किया की क्यों न एस बात की तह तक जाया जाये,  और क्यों न राजस्थान के भानगढ़ जाया जाये, तो दोस्तों प्लानिंग सुरु और एक वो भी दिन आ गया जब हम वहा  के लिए तेयार हो गए, बहुँत सारी  बाते, गूगल और दोस्तों से पता चला  की वह पर सच   मैं बहुँत भूत  रहते है, किसी ने कहा ध्यान से जाना किसी ने कहा बड़ा ही डरावना रास्ता  है वह  पर बड़े ध्यान से जाना रस्ते मैं कई रूकावटे आती है, पेड़ टूट जाता है, पर मन मैं था की जाना है और ये सारी बाते हमारे रोमांच को बड़ा रही थी, रोमाच भी भूत को देखने का, जाने से पहले सारी  तेयारिया जेसे की, गूगल से सारी  जानकारी जुटाना यूटूब से वीडियो देखना और गूगल पर बहुँत सरे ब्लॉग जिस मैं एस बात का बड़ा चड़ा का बताया गया था की रात की बात छोड़ो  वहा तो  दिन मैं भी भूत का एह्सास होता है,

वेसे भी मैं बड़ा आस्तिक बन्दा हु तो बागवान  मैं बड़ा विस्वास करता हु तो भूतो मैं भी करता हु क्योकि जब आप भगवन को मानते है तो भूतो को भी मानने पड़ेगा। एस लिए मन मैं बड़ा रोमांच था।

सन्डे की सुबह (04/11/2012) को वो दिन भी आ गया जब हम रोमाच से भरे उस सफ़र पर चल पड़े और सब के मन मैं जाने का उत्साह और डर पर सब एक दुसरे के सहारे जा रहे थे, सुबह हम  यहाँ टेम्पो ट्राव्लेर  के साथ चल पड़े चलने से पहले सब को माचिस की तीलिया दी गयी ताकि कुछ गलत न हो क्यों के सब के सब डरे हुए थे और हम ने सुना है की दर मैं ऐसी चीजे और डरती है तो अपने मन को पक्का करने के लिए टोटका, और हम ग्रुप मैं 16 दोस्त थे जिस मैं 5 लडकिया और 11 लड़के थे, रस्ते मैं बड़ा एन्जॉय किया सब ने बड़ी मुस्ती करी और दिन मैं करीब हम 1:45 हम भानगढ़ पहुचे रस्ते की मस्ती और करीब 250-275 किलोमीटर के सफ़र ने हमें थका दिया था फिर भी  एक बार भानगढ़ पहुच कर सब पहले की तरह तरोताजा लग रहे थे सब के मन मैं एक ही बात क्या आज हम भूत देख पाएंगे!

जब भानगढ़ पहुचे तो बहार से देखा तो सच मैं डरावना लगा, और गेट पर घुसते ही हनुमान जी का मंदिर, हनुमान जी को प्रणाम कर हम आगे बड़े तो वह पर टूटे हुए कुछ खंडहर नज़र आये और उस के भर भारतीय पुरातव वालो ने लिखा था की ये उस टाइम का बाज़ार था, कही पर लिखा था की यहाँ पर नर्तकी रहती थी, उन की बातो का विश्वास  करते हुए हम आगे बड़े, वह पर एक मंदिर है जो की खंडित था  हम सभी लोग वहा  गए और देख कर कुछ एसा लगा की सायद जो यहाँ की कहानी मैं बताया गया है सायद वो  सच है, की यहाँ पर कुछ भी सही सलामत नहीं है सब खंडित है, आगे बड़े तो एक किला है जो की दो मंजिला है, पूरा एक दम खंडहर है उस मैं कुछ भी नहीं बचा था लोग वह पर हमरी तरह घूम रहे थे हम जा -जा कर अंधरे कमरों मैं भूतो को ढूँढ  रहे थे, पर ये हमारी खुस्किमती कहो या भूतो का दुर्भग्य की न वो हमें नज़र आये उन का पता नहीं की वो हमें देख पाए या नहीं।

शाम होते होते सब के सब हेरान परेशान की भूत  कब मिलंगे, पर एस का जवाब किसी के पास नहीं था, तो सोच की जब इतनी दूर से आये है और इतना इतना टाइम दिया है तो थोडा सा देर और रुक जाते है क्योकि हम ने पड़ा था की शाम ढलने के बाद और सुबह होने से पहले वह पर जाना वर्जित था  तो सोच की सायद शाम ढलने के बाद कुछ नज़र आ जाये फिर भी रोमांच की उस ललक मैं हम ने यहाँ  थोडा और देर रुकने का फेसला लिया की सायद हमरी भूत वाली ललक पूरी हो जाये पर सायद ये भगवान को ये भी मंजूर नहीं था और शाम को करीब हम ने 6:30 पर वहा से वापस लोट जाने का फेसला किया और हम वहा से लोट आये !!!

एस पुरे ट्रिप मैं भूत तो नहीं मिला पर हा अपने दोस्तों के बड़े सारे रंग मिले, और रास्ते मैं सभी दोस्तोने बड़ा एन्जॉय किया और ज़िन्दगी का एक और दिन हसी खुसी गुजर गया, मेरा और हमरी टीम का कुछ एसा तजुर्बा रहा की सायद लोगो की सरारत है ताकि लोग भानगढ़ आये और राजस्थान मैं पर्यटन बड़े। इस से जायदा कुछ नहीं।