कुछ दिन पहले मुझे अपने गॉव जाने का मौका मिला, कुछ पारिवारिक समारोह था, वैसे अब पहले के मुकाबले उत्तराखंड के गॉव का भी मौसम बदल गया है, अब लोगो ने भी अपने घरो में पंखे लगा लिए है, क्योकि रात में भी अब गर्मी बढ़ गयी है, वैसे आप सोच रहे होंगे की में आज सायद गॉव के मौसम के बारे में ये ब्लॉग लीख रहा हू तो मैं आप को बता दू की ऐसा मेरा आज का विचार नहीं है, आज में बात करूँगा सरकार द्वारा प्रदान किये जाने वाले स्थायी निवास प्रमाण पत्र की,
आज भी जहा गांव में रोजगार के साधनो की भयंकर कमी है, वैसे लोगो को लगा था की शायद अलग उत्तराखंड होने के बाद परिस्थी कुछ बदलेगी, पर ये आशा अभी तक आशा ही है, अगर कही विकास हुआ भी है तो वो छेत्र है जो की पहले से ही विकसित है या फिर वो प्लेन (सपाट) छेत्र है, जो असल पहाड़ का छेत्र है उस की परस्थिती में कोई बदलाव नहीं आया है उन छेत्रो की इस्थ्ती आज भी वैसी ही है जैसा की अलग राज्य बनने से पहले थी .
राज्य सरकार की बहुत सी योजनाओ का लाभ उठाने के लिए आप को अपना स्थायी निवास प्रमाण पत्र की प्रती लगानी पड़ती है, पर हमारा दुर्भाग्य जो स्थायी निवास प्रमाण पत्र सरकार की तरफ से लोगो को फ्री में बनाना चाहिए उसको बनवाने के लिए राज्य में दुकाने खुल रही है, जहा पर स्थायी निवास प्रमाण पत्र बनवाने की एवज में पैसा लिया जाता है, और इन दुकानो को खुलवाने में राज्य सरकार अपना पूरा सहयोग दे रही है, क्योकि ऐसा प्रतीक होता है की सरकार में बैठे हुए कुछ लोग जो की इन दुकानदारो से मिले हुए है उन के हिसाब से नियमो में फेर बदल
करवा कर लोगो को परेशान करने का काम कर रहे है, इसका एक उदहारण आजकल आप जब भी अपना स्थायी निवास प्रमाण पत्र बनवाने जाये तो अपना भाग 2 रजिस्टर की कॉपी उस में प्रधान की मोहर ले कर तहसील जाना पड़ता है उस के बाद वहा के सरकारी बाबू अपना पैसा बनाने के लिए आप के फ्रॉम में 10 गलतिया बताएँगे, और जैसे ही आप उनको कुछ चढ़ावा देंगे वो आपके फॉर्म की सभी गलतियों को नज़र अंदाज़ कर आप का स्थायी निवास प्रमाण पत्र बना कर दे.
दूसरा उदहारण अब स्थायी निवास प्रमाण पत्र ऑनलाइन बनने लगे है पर इस को बनाने के लिए भी आप को तहसील ही जाना पड़ता है, जब आप को तहसील ही जाना है तो किस बात का ऑनलाइन।।। उसके बाद वहा पर आधे टाइम लाइट नहीं होती कभी वहा पर सरकारी बाबू छूटी पर होते है कभी वहा पर इंटरनेट नहीं काम करता, अगर इन सब बातो से कोई परेशान होता है तो वो है, मजबूर आम और गरीब आदमी, जो बड़ी मुश्किल से अपने गॉव से वहा तक पहुचता है फिर भी उस का स्थायी निवास प्रमाण पत्र नहीं बनता, अब मेरा सवाल ये है की सरकार क्या कर रही है क्या उस को नहीं मालूम की गॉव में लाइट और इंटरनेट की क्या हालत है,
वो आम आदमी जो की स्थायी निवास प्रमाण पत्र बनवाने आया था 50 किलोमीटर दूर से अपना पैसा अपना टाइम निकाल कर जिसने अपने कई कामो को छोड़ कर अपना स्थायी निवास प्रमाण पत्र की बनवाने के लिए इतनी दूर से आया है, क्या कोई है जो उसकी सुध ले रहा है…
दोस्तों मुझे बड़ा दुख होता जब में देखता हू की कोई वय्क्ति अपने काम को करने के लिए सरकारी ऑफिस के चक्कर लगाता लगाता थक जाता है पर किसी को उस की कोई सुद्ध नहीं।।।
वैसे ही उत्तराखंड की लोगो को गरीबी ने मारा है, और ये सरकारी क़ानून भी उन को मारने का काम कर रहे है.
हमें चाहिए की सरकारी योजनाओ का सही तरीके से किर्यान्व्यन हो , जो की वहा के निवासियों के लिए सुविधाजनक हो जब सरकारी योजनाये बने उस में इस बात का ध्यान जरूर रखा जाये की कौन सी योजना पहाड़ी छेत्रो के लिए है और कौन से प्लेन छेत्रो के लिए.…
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जय उत्तराखंड!!!
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