दोस्तों आज जब की हम JANUARY २०१२ मैं है, और लोगो ने इस ने साल पर अपने अपने संकल्प लिए है, लेते है और लेते रहेंगे!
वो कोंन कोंन से संकल्प हो सकते है जो लोग अपने लिए नए साल मैं लेते है
जेसे की:-
- जायदा से जायदा पैसा कमाना (क्योकि पैसा खुदा तो नहीं पर खुदा से कम भी नहीं)
- अपने वजन को कम करना और अपने शारीर, और चेहर को ख़ूबसूरत बनाना (टाइम बदल गया है सदा जीवन उच्च विचार वाला टाइम गया अभी तो शारीर और चेहरा सब बोलता है)
- अपने और अपनों की लिए टाइम (कही न कही हम सब के अन्दर ये बात रह जाती है की हम अपने और अपनों को टाइम नहीं दे पाते है)
- अपने ऊपर के कर्ज के बोज को कम करना (आज के टाइम मैं किसी ने भी कही न कही से कर्ज लिया हुआ है जिसे वो कम करना चाहता है)
- अपने भीतर की गलत आदोतो को बदलने का (कोशिस तो लोग करते है पैर सायद कितने कामयाब होते है वो आप भी जानते है और मैं भी)
- एक बढ़िया नोकरी (कोई भी अपनी नोकरी से खुस नहीं है (दुसरे की नोकरी ही बढ़िया लगती है)
- एक सचा जीवन साथी (पहले अपने आप को सचा बनाने की कोशिस नहीं करेगा दुसरे से उम्मीद करेगा)
- कुछ नया जानने की (आदमी की फिदरत है कुछ न कुछ नया चाहता है)
- समाज के लिए कुछ कर गुजरने की (पर जेसे ही उस मैं पैसा नज़र आता है सब बदल जाता है)
आपने कभी सोचा है ही की लोग एसा क्यों करते है!
इस का एक सीधा सा उत्तर ये भी हो सकता है की लोगो को ये लगता है, जो भी वादे उन्होंने अपने आप से और दुसरो से किये थे पिछले साल, वो उन्हें पूरा नहीं कर पाए और वो उनको ही पूरा करने की कोशिस करते है इस नए साल मैं, तब उनके दिमाग मैं एक बात आती है की क्यों न ये सभी वादे जो अपने आप से और दूसरो से किये थे उन्हें पूरा किया जाये एस नए साल मैं, और तब से ये एक (ट्रेंड) सभ्यता सी चली आ रही है!
अब बात, तब क्या होता है जब हम नए साल मैं संकल्प तो ले लेते है और जेसे जेसे टाइम गुजरता जाता है और हम उन को पूरा नहीं कर पाते तो फिर क्या होता है!
जेसे की आदमी की फिदरत होती है और वो कोशिस तो करता है कभी वो कामयाब हो जाते है और कभी वो उस मैं कामयाब नहीं होते तो फिर एक बात की आदमी के मन मैं आती है की अब ये तो गलत हो गया की मैंने जो वादे किये थे मैं उन्हें पूरा नहीं कर पा रहा हु, अब क्या करू, फिर से सोच का कम शुरु, अब की बार सोच ने काम कर दिखया, अब वो क्या दिखया, की इस मैं किसी का दोस नहीं इस मैं तो टाइम का दोष है, किसी ने सच कहा है की टाइम और किस्मत से जायदा नहीं किसी को नहीं मिलता और फिर मैंने तो कोशिस भी करी थी इस लिए मैं तो बच गया! उसके बाद वो एक बार जरूर कोशिस तो करता है पर उसके अन्दर जो प्रतिकूल बाते घर कर जाती है, वो उन से बहार आने की कोशिस भी नहीं करता है, क्योकि उसे एसा ही अच्हा लगता है की कही तो है जहा वो पाने आप को मना पा रहा है! की एन सब बातो के लिए वो कही से भी जेमेवार नहीं है!
दोस्तों मैं भी आप मैं से ही के आम आदमी हु और मैं एक बात मानता हु जो अपनी मदद करते है खुदा/भगवान भी उन्ही की मदद करते है इस लिए अपने आप से कोशिस करते रहो वादे मत करना क्यों कोसिसे कामयाब होती है और वादे टूट जाते है!
किसी शायर ने बड़ा खूब नहीं कहा है "आसमान मैं भी छेद हो सकता है दोस्तों बस एक पथर तो जोर से उच्लाओ मेरे दोस्त....
आपका दोस्त
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