जन लोकपाल और हम
लोकपाल का इतिहास :- मोरारजी देसाई की अध्यक्षता में पांच जनवरी 1966 को प्रशासकीय सुधार आयोग का गठन किया गया। इस आयोग ने अपनी सिफारिशों में एक द्वि-स्तरीय प्रणाली के गठन की वकालत की। इस द्वि-स्तरीय प्रणाली के तहत केंद्र में एक लोकपाल और राज्यों में लोकायुक्तों की स्थापना पर जोर दिया गया था। सरकार ने पहला लोकपाल और लोकायुक्त विधेयक 1968 में पेश किया।
जन लोकपाल (२०११):-जन लोकपाल विधेयक भारत में नागरिक समाज द्वारा प्रस्तावित भ्रष्टाचारनिरोधी विधेयक का मसौदा है। जन लोकपाल के पास भ्रष्ट राजनेताओं एवं नौकरशाहों पर बिना किसी से अनुमति लिये ही अभियोग चलाने की शक्ति होगी।
भ्रष्टाचार विरोधी भारत (इंडिया अगेंस्ट करपशन) नामक गैर सरकारी सामाजिक संगठन के अंतर्गत वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण, सामाजिक कार्यकर्ता अरविंद केजरीवाल ने यह विधेयक भारत के विभिन्न सामाजिक संगठनों और जनता के साथ व्यापक विचार विमर्श के बाद तैयार किया था।
- इस नियम के अनुसार केंद्र में लोकपाल और राज्यों में लोकायुक्त का गठन होगा।
- यह संस्था निर्वाचन आयोग और उच्चतम न्यायालय की तरह सरकार से स्वतंत्र होगी।
- भ्रष्ट नेता, अधिकारी या न्यायाधीश को १ साल के भीतर जेल भेजा जाएगा।
- भ्रष्टाचार के कारण से सरकार को जो नुकसान हुआ है अपराध साबित होने पर उसे दोषी से वसूला जाएगा।
- अगर किसी नागरिक का काम तय समय में नहीं होता तो लोकपाल दोषी अधिकारी पर जुर्माना लगाएगा जो शिकायतकर्ता को क्षतिपूर्ति के तौर पर मिलेगा।
- लोकपाल के सदस्यों का चयन न्यायाधीश, नागरिक और संवैधानिक संस्थाएं मिलकर करेंगी। नेताओं का कोई हस्तक्षेप नहीं होगा।
- सीवीसी, विजिलेंस विभाग और सीबीआई के ऐंटि-करप्शन विभाग का लोकपाल में विलय हो जाएगा।
- लोकपाल को किसी भी भ्रष्ट जज, नेता या अफसर के खिलाफ जांच करने और मुकदमा चलाने के लिए पूरी शक्ति और व्यवस्था होगी।
इसे लागु कराने के लिए सुप्रसिद्ध सामाजिक कार्यकर्ता और गांधीवादी अन्ना हजारे के नेतृत्व में २०११ में अनशन शुरु किया गया। १६ अगस्त में हुए जन लोकपाल विधेयक आंदोलन २०११ को मिले व्यापक जन समर्थन के बाद मनमोहन सिंह सरकार को इस विधेयक को लोक सभा मैं लाना पड़ा जहा सरकार ने इसे पास तो करवा लिया पर इसे स्वीधानिक नहीं बना पाई और राज्य सभा मैं भारत सरकार ने इस पर मत ही नहीं डलवाए!
अब इस जन लोकपाल बिल को एक ठन्डे बसते मैं डाल दिया गया है जहा से इसे निकला गया था इस बात से एक बात तो साबित होता है की हमारी सरकारों मैं इस विधेयक को लेकर कितनी गम्भीर है और उन की इच्या सक्ती का पता चलता है!
पर अब जनता जागरूक हो गयी है और अब समय आ गया है की जब लोग अपनी बातों को सामने लाये और इस देश मैं जो कुछ भी गलत हो रहा है उस के लिए आवाज उठाये!
और, ये जो कुछ भी सरकार ने किया है वो जनता के जागरूक होने के बाद ही किया है है वो जनता के आन्दोलन को देखने के बाद ही किया है! ये एक नए दोर और एक नए भारत की तस्वीर है जहा पर आम आदमी अपने अधिकारों को ले कर जागरूक हुआ है.
अन्ना हजारे ने तो एक रास्ता दिखया है हम सब को उस रस्ते पर चलना है, अपनी बातो को मानने के लिए अपने सब से बड़े हथियार का प्रयोग करो और वो है,
आपके वोट का अधिकार!
अगर आपके एस ब्लॉग से सम्बादित कुछ सुझाव और हो तो मुझे मेल करे 03luckythree@gmail.com
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