मंगलवार, 24 जनवरी 2012

Republic Day Celebration and "WE"


             




                दोस्तों आज जब की हम भारत वर्ष का ६३ गणतंत्र दिवस मानाने जा रहे है, तो सोचा क्यों न सब को गणतंत्र दिवस दिवस की सुभकामनाये दे दू, सोचा कल मैं बड़े बड़े लोगो की रौशनी के सामने मैं  फीका न पड़ जाऊ तो आज ही आपनी  बात अपने दोस्तों तक पंहुचा दू कोई तो है जो मेरा दर्द समझता है !

क्योकि कल तो मेरी कोई सुनेगा नहीं, कल तो एस देश के बड़े बड़े नेता टीवी पर पुरे देश को सम्बोदिते करेंगे.

              श्री मति  प्रतिभा देवी सिंह पाटिल :- हमारे देश मैं राष्टपति की याद ही गणतंत्र दिवस वाले दिन  ही आती है, आखिर साल मैं एक बार तो किसी की खबर ले लेनी चाहिये! नहीं तो पुरे साल मैं राष्टपति महोदय राष्पति भवन मैं रहती है ये तो सब को पता है, पर  क्या करती है शायद ही किसी को पता होगा, अगर होगा भी तो सरकार मैं बेठे हुए लोग बड़े नोकर साहो को  जो  उनके इर्द गिर्द रहते है.

             कल उनका देश के नाम संबोधन होगा जिस मैं वो उभरते हुए भारत के बारे मैं बताएंगी आप भी मेरे को जरूर बताये की हमारा भारत कितना उभरा है और कितना और उभरने वाला है क्योकि देश को संबोधन करना एक अलग बात है और उस पैर अमल लाना दूसरी बात है कहने को क्या है, वेसे भी हमारा देश प्रधान मंत्री जी को फुल पॉवर है तो राष्टपति के पास क्या रहा विचारो की सवतंत्रता,    हमारे देश मैं विचारो की अभिव्यकि की सवतंत्रता है आप कुछ भी बोल सकते है कोई भी वादा कर सकते है आप उस को पूरा करो या नहीं ये जरूरी नहीं है एस पर एक बड़े बुजुर्गो की एक बात याद आ गयी आपने जरूर सुनी होगी " बनिया गुड नहीं गुड जेसी बात भी करे तो लोगो को लगता है की गुड ही मिल रहा है"


         वेसे भी भारत का समाज आशावादी है और होना भी चाहिये अगर नहीं होगा तो टाइम पास केसे होगा कम से कम आशा मैं तो टाइम पास हो जाता है और वेसे भी कल किसने देखा है आज तो गुजर ही गया और कल भी गुजर जायेगा, और  अगर वो भी गुजरा  नहीं गुजरा तो एक और दिन की आशा कर लूँगा, इसी लिए भारत सरकार ने सपने देखने पर अभी तक टैक्स नहीं लगाया है कम से कम गरीबो की पास कुछ तो टेक्स फ्री हो बेचारे सब चीजो पैर तो टेक्स तेते है! अब तुम  ये मत समझना की यार ये किसी बात कर रहा है टेक्स वो भी गरीबो से पागल हो गया है ये तो भाई मैं direct टेक्स की नहीं indirect  टेक्स की बात कर रहा हु जो पूरा देश पूरा समाज एक बराबर दे रहा है अगर मैं इस मैं कही   गलत हु तो बताओ...


         फिर गणतंत्र दिवस के मोके पर हमरे देश के "मन+ मोँन  सिंह, मन मोहन  जी अपना देश के नाम सन्देश को पड़ेंगे, अब आप ये मत सोचना की हमारे देश के प्रधान मंत्री जी का नाम तो सरदार मनमोहन सिंह जी है और ये भाई साहब को तो ये भी  नहीं मालूम, तो दोस्तों एसा नहीं है, ये मैंने इस लिए एसा  बोला क्योंकि हमारे प्रधान मंत्री जी बहुँत कम बोलते है और एसा आपने अक्शर देखा भी होगा टीवी पर वो कम हो बोलते है वो मोन रहने मैं जायदा विश्वास रखते है  इस लिए उनका नाम सरदार मनमोहन सिंह जी से बदल कर "मन+ मोँन हो गया है, वेसे भी मोन रहने की बड़े फायदे होते है


        मन+ मोहन इस लिए की अगर आप के अन्दर ये वाला गुण आ गया न मन को मोह्ह लेने वाला तो फिर सारी दुनिया आप के कदमो मैं , आप से कुछ भी दूर नहीं है चाहे वो सरकारी कुर्सी हो या कुछ भी जो आप चाहते है ,  कोई कुछ भी कहे आप मुस्करा कर देखो फिर देखो आप पाओगे की सारा जग आप का... और आप सब के..



             उस के बाद उन का भषण,  पिछले सालो मैं देश ने बड़ी उनति की है देश आगे बाद रहा है, हम देश से आतंकवाद को ख़तम कर देंगे, गरीबो को खाना , बच्चो को किताबे, साइकिल लैपटॉप देंगे, नोजवानो को रोजगार देंगे फिर क्या जोर दार तालिया उनका भी काम खतम और तुम्हारा भी काम  खतम...  अगर सब कुछ टीक रहा तो ये सब मैंने और मेरी सरकार ने किया और अगर इस मैं कुछ भी गलत हुआ तो इस मैं तो विपक्षी दलों का हाथ लगता है जिन्होंने इसे टीक  नहीं होने दिया, तो बहाने तो बहुत है उस की चिंता नहीं है... एक नहीं दो है...




पर एसा कब तक... हमें सोचना होगा कब तक हम सिर्फ सपने देखेंगे और कब तक तालिया ही बजायेंगे...

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