दोस्तों आज बात भारतीय क्रिकेट टीम की, और उस के खिलाडियों की जो ऑस्ट्रेलिया जो अपना पर्दशन को ठीक करने मैं कामयाब नहीं रहे है! तीसरे टेस्ट का हाल तो पहले के दो टेस्टो से भी बुरा रहा, हमरी टीम 3 दिन मैं ही हार गयी.
एस बात को समझ पाना सच मैं एक पहेली हो गयी है की एसा क्या हो गया है की हम विदेशी सीरिज मैं हर बार हार के आते है और फिर चुप चाप बेठ जाते है बिना एस बात पर गोर किये की एसा क्यों हुआ सायद अब ये भारतीय टीम की आदत सी हो गयी है और एस मैं साथ है टीम की मंग्मेंट की जो की एस मैं इन खिलाडियों का साथ दे रही है.
हर बार तेज पिच का हवाला दे कर टीम की कमजोरी को छुप्या जाता है और एक बयान प्रेस को दे दिया जाता है की वह की पीचे तेज है और हमारी टीम को तेज पिचों पर खेलने की आदत नहीं है !
अब कोई बताये की इस के लिए कोन जिमेवार है भारतीय टीम, टीम मंग्मेंट, भारतीय दर्शक या कोई और इस बात का उत्तर तो टीम मंग्मेंट को ही देना होगा. समझना होगा की अगर हमरे देश मैं तेज पीचे नहीं है तो ये टीम मंग्मेंट की समस्या है न की खिलाडीयों की, और न दर्शको की, आप जेसी पिच पर उन को खलने को बोलोंगे वो उस तरह की पिच पैर खेलेंगे, इस के बात की हम तेज पिच नहीं बना सकते, इस बात मैं कितना दम है ये बात आप और हम भी समझ सकते है!
जब हम सब कुछ विदेशो से मंगवा सकते है तो क्यों नहीं बढ़िया पिच बनाने वाले पिच कुरेटर बुलाये जाये और उस पर टीम इंडिया को को तेज पिचों पैर खेलने की प्रक्टिस कराइ जाये ताकि हमें फिर से शर्मिंदा न होना पड़े.
अब बात कुछ टीम के खिलाडियों की :-
सचिन :- सब की नज़र मैं सचिन, हर कोई बोल रहा है सचिन नहीं खेल पा रहे है, अब क्या सचिन सब को बताने की जरूरत है अपने बारे मैं, इस सीरिज मैं अगर कोई खिलाडी भारत की तरफ से सही खेला है वो है सचिन तेंदुलकर, और आप सिर्फ एक खिलाडी से सारी उमीदे नहीं बांद सकते, सचिन कोई सुपर मेंन नहीं है जो हमेसा ही अच्छा खेले, एसा कोई भी नहीं खेल सकता सचिन की भी कुछ सीमाए है और एन सीमओं की बाबजूद भी सचिन ने अपने पर्दशन को बेहतर रखा है.
सहवाग:- सहवाग जी को टेस्ट मैच मैं खेलने की लिए बोलंगे तो एसा ही होगा! क्योकि सहवाग टेस्ट का खिलाडी नहीं है और वो टेस्ट मैं अपना बेस्ट नहीं दे सकता इस बात को टीम मंगमेंट को समझना होगा क्योकि सहवाग जब भी अपना प्र्कार्तिक खेल नहीं खलते है तो उन के साथ एसा ही होता है जेसा की अब उन के साथ ऑस्ट्रेलिया मैं हो रहा है
द्रविड़:- भारतीय वाल, राहुल द्रविड़ एक मात्र खिलाडी है जिन का की विदेशी पिचों मैं अच्छा पर्दशन अच्छा रहा है, लेकिन वो भी इस सीरिज मैं कोई अच्छा प्र्दशन नहीं कर पा रहे है उन को इस बारे मैं सोचना होगा. और अपना प्रदशन सुधरना होगा नहीं तो सायद उनको भी टीम मंग्मेंट बाहर का रास्ता दिखा देगी इस से बचने के लिए उनको इस की बार मैं सोचना होगा.
लक्ष्मण :- एक और खिलाडी लक्ष्मण उनका भी पर्दशन भी ठीक नहीं है, अब टाइम हो गया है की उनको ओने डे मैच से सन्यास ले लिया है और उनको टेस्ट मैच से भी सन्यास का टाइम आ गया है की एक अच्छी सी पारी खेल कर एक महान खिलाडी की तरह से अपना सन्यास ले ले और अगर एसा नहीं हुआ तो उनके साथ अच्छा नहीं होगा उनको इस का मलाल हमेशा रहेगा एसा न हो इस लिए उन को इस से पहले ही सन्यास ले लेना चाहिये!
बोलरो के बार मैं तो बोलना ही पाप है पता भारतीय बोलोरो को क्या हो गया है उनको तो साप सुंग गया है, जहा ऑस्ट्रेलिया के बोलर आग उगल रहे है, वही भारतीय बोलर एसा लग रहा है की बोलिंग करना वो अभी सिख रहे है उन से बोलिंग ही नहीं कराइ जा रही, फिल्ल्डिंग ओन साइड पैर है और बोलिंग ऑफ साइड पर कर रहे है और ऑस्ट्रेलिया के खिलाडी हमारे खिलाडियों की बोवलिंग को इसे खेल रहे है जेसे की बचो की बोल....
अब क्या होगा इस टीम का, जेसा हरदम होता आया है, हार कर आयेंगे फिर वोही तेज पिच का रोना फिर से २०-२० क्लबो के मैच खूब सारा पैसा और पुरानी सारी बातो को भूल कर अपनने मैं मस्त...
कब तक चलेगा एसा....
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