सोमवार, 27 अगस्त 2012

India against corruption movement 26/08/2012

                               

                    कल जो लोगो का जनसमर्थन अन्ना की टीम को जंतर मंतर पर मिला उस से टीम अन्ना के उत्साह को नए पंख मिले है और उन लोगो को एक बार फिर सोचने को मजबूर कर दिया है जो कह रहे थे की अन्ना के आन्दोलन मैं अब वो धार नहीं रही वो अपने मुदे से भटक  गए है, उन का जनसमर्थन पहले के मुकाबले कम हुआ है पर कल के आन्दोलन ने इस बात को साबित कर दिया की एसा कुछ नहीं है अन्ना के साथ कल भी लोग थे और आज भी लोग है और सब से बड़ी  बात ये खरीदे हुए लोग नहीं थे ये वो लोग थे जो अपने आप अपना जन समर्थन देने आये हुए थे. जिस से इस आन्दोलन की सार्थकता बनती है. 

    एस बात से पता चलता है की अन्ना जी ने जिस मुदे को उठाया है उस ने भारत की सभी लोगो को कही न कही परेशान किया हुआ  है (भ्रष्टाचार) लोग कही न कही किसी न किसी प्रकार से भ्रष्टाचार से परेशान है, इस मैं गरीबी और आमिरी का भी फर्क नहीं है  और लोगो को अन्ना के साथ उमीद की किरण नज़र आ रही है. अन्ना जी ने जब एस से पहले अपना आन्दोलन ख़तम किया था तो कांग्रेस को ये कहने का मोका मिला की अब अन्ना के साथ गिने चुने लोगे  का रह गया है लेकिन कल के आन्दोलन ने कांग्रेस को दुबारा से सोचने पर मजबूर कर दिया है.

कल जो कुछ भी हुआ जिस प्रकार  से आन्दोलन को कुचलने की कोसिस की गयी इसे देख कर  एसा लगा मानो हम अंग्रेजो के टाइम मैं दुबारा से चले गए हो और हु अंग्रेजो  से कुछ माग रहे हो,  जो कुछ भी घटना कर्म कल  हुआ वो बड़ा ही शर्मनाक था  जेसे की पहले आन्दोलन को डेल्ही पोलिसे के दवरा आन्दोलन करने की अनुमति न देना फिर दे देना फिर मेट्रो स्टेशन को बंद कर देने का फेसला ताकि जायदा लोग आन्दोलन के साथ न जुड़ सके धारा १४४ लगा देना ताकि ४ से अधिक लोग एक जगह पर इकठा न हो सके एसा लगा जेसे चोर पोलिसे का खेल चल रहा हो, फिर निहते शांतिपूर्वक आन्दोलन कर रहे लोगो के उप्पेर पुलिसिया लाठिया बरसाई गयी आंसू गैस के गोले छोड़े गए पानी की बोछार की गयी ये इस सरकार की तानाशाही को दर्शाती है. और इस बात को भी बताती है की सरकार किसी भी आवाज को उठाने नहीं देगी. 

 मीडिया ने जिस प्रकार से आन्दोलन से मुह मोड़ कर रखा इस बारे मैं मैं क्या कहू  एक तरफ से इस देश मैं भ्रष्टाचार को ले  कर इस देश का आम आदमी सडको पर आन्दोलन कर रहा था और मीडिया उस समय एक था tiger फिलम के  बारे मैं बता रहा था उस को इस देश की आम जनता से बड कर एक था tiger  वाली खबर को जायदा एहमियत दी, इस से जायदा और क्या बोला जाये की किस प्रकार  से मीडिया सवेदना से परे हो गया है  मैंने इस से पहले भी अपने बोलग पर लिखा है की जिस देश का मीडिया आजाद नहीं रहेगा उस देश मैं  जनतंत जयदा दिन तक  जिन्दा नहीं रह पायेगा, मीडिया को आन्दोलन से जायदा किरण बेदी की आन्दोलन मैं शामिल न होने वाली खबर को जायदा तवाजो दी सारे न्यूज़ चंनेलो पर एक ही खबर टीम अन्ना मैं दरार... क्या न्यूज़ थी जहा पर आन्दोलन हो रहा था वह की कोई न्यूज़ नहीं... मीडिया को कब क्या दिखाना चहिये इस बात को बताने की जरूरत नहीं होनी नहीं चाहिये मीडिया का आपना विवेक और खबरों को ले कर एक दायरा होता है उसे उन का निर्वाहन करना चाहिये.

अनन्त अन्ना की टीम  अरविन्द केजरीवाल और उन के साथियों दवारा एक बार फिर सरकार के सामने अपनी उपस्थि दिखयी. 


 

सोमवार, 20 अगस्त 2012

Curruption in Media

                 


             दोस्तों आज, हम स्वतन्त्रत भारत मैं रहते है, पर आप को कब अपनी स्वतन्त्रता का आभास होता है, मुझे जरूर बताये जिस प्रकार से भ्रष्टाचार ने अपनी पकड़ बना ली है, इस के बाद भी आप अपने को स्वतन्त्रत समझते है तो अच्छी बात है, वेसे भी मैंने बोला न बनिया गुड नहीं गुड जेसी बात भी कर ले तो उसके ग्राहक को लगता है की बनिया गुड ही बाट रहा है, वेसे ही जब भी हम स्वतन्त्रत भारत भारत की बात करते है तो हमें लगता है की हम स्वतन्त्रत है.

लेकिन सच बोलू तो आज कुछ भी नहीं रहा स्वतन्त्रत कहने को ही रह गए है, आप कही भी आप जाते है कोई भी सरकारी या अर्धसरकारी ऑफिस मैं तो आप भ्रष्टाचार से दो चार होते है, अगर आप मेरी बात से इतफाक नहीं रकते तो अपने कमेंट्स जरूर दे, क्योकि जब मुझे मेरी गलती आप बताते है तो कम से कम मुझे अपनी गलतियों को सुधारने मोका मिल सके, पर मैं ये बात भी मानता हु की आप मैं से जायदातर लोग मेरे से सहमत होंगे, हमारी गाढ़ी कमाई एसे लोगो के हाथ मैं है वो इस का नाजायज़ फायदा उठा रहे है, उस का उपयोग अपने निजी फायदे के लिए कर रहे है, और ये फायदा अपने जानने वो और अपने चाहितो को लुटा रहे है, देश की तरकी के नाम पर सरकारी खजाने के धन को पानी की तरह को लुटा रहे है, आप कही से भी सुरु करो आप देखंगे की जिस को जहा से मोका मिल रहा है वही से लुट सुरु कर देता है!

दोस्तों एसा कब होता है पता है कब जब एसे लोगो की मन से कानून वय्वाथा का डर निकल जाता है, उन्हें मालूम है, सरकार उनकी है सरकार मैं बेठे हुए लोग उन के है, तो डर काहे का और इस तरह से ये लूट चलती रहती है, जो भी इस के खिलाफ आवाज उठाता है उस की आवाज दबा दी जाती है, क्योकि सता मैं बेठे हुए लोग नहीं कहते की एसा कुछ हो जिस से उन के उप्पर को प्रश्न कर सके.

दोस्तों सब से बड़ी दुःख की बात तो ये है की अब तो भारत का मीडिया भी स्वतन्त्रत नहीं रहा वो भी भ्रष्टाचार मैं लिप्त हो गया है उस पर कुछ परभाव साली लोगो का दबदबा हो गया है, उन से वोही बात बुलवाई और दिखने की लिए कहा जाता है जिस से उनका हित और उनकी सरकार, उनकी पार्टी का हित नज़र आता है, उन से कहा जाता है की लोगो की समझ को बदलो ताकि वो लोग एसा महसूस करे जेसा वो लोगो को महसूस करवाना चाहते है, आज के टाइम मैं मीडिया एक एसा माध्यम है जिस पर पूरा देश अगर मैं बोलू की पूरा विश्व आश्रित है तो कोई अतिसियोक्ति नहीं होगी, सुच मैं एसा है और एसे मैं मीडिया की ये जिमेवारी बन जाती है की वो सिर्फ और सिर्फ इसी खबरों को दिखाए जिस से आम आदमी का सरोकार हो...

पर मुझे आज ये कहते हुए बड़ा दुःख हो रहा है की भारत का मीडिया बीक चूका है और सायद ये इस देश और इस देश की जनता के लिए सब से बड़ा नुकसान हो रहा है , जब तक आप अपने देश मैं मीडिया को स्वतन्त्रत नहीं रख पाएंगे आप उस देश की आत्मा को जिन्दा नहीं रख पाएंगे...

इस लिए दोस्तों आज जो एक छोटा सा विचार मैंने दिया है आप उस पर अपनी राय जरूर दे मैं एक बात मानता हु, किसी शायर ने बड़ा खूब कहा है, "कोन कहता है की आसमान मैं छेद नहीं हो सकता बस एक पथेर तो हिमत से उछालो मेरे दोस्तों" इसी के साथ मैं अपने इस ब्लॉग को स्थगित करता हु क्यों की अगर मैं इसे ख़तम कर दूंगा तो ये इस के साथ अन्याय होगा तो दोस्तों अपने विचार इस पर जरूर दे...

सोमवार, 6 अगस्त 2012

"Anna" 2012 Indian anti-corruption movement




02/08/2012  को एक दम से चोकने वाला फेसला अन्ना और अन्ना की टीम की तरफ से, आखिर एसा क्या हुआ एक दम से किसी को कुछ खबर नहीं, दिन होते होते जहा लोगो का उत्साह बढता जा रहा था, वही दूसरी तरफ मंच से बार बार एक अपील की जा रहे थी की आप से एक प्रशन किया जा रहा है आप उस का जवाब हा या न पर दे, और थोड़ी देर मैं  मंच से एक दम से सब कुछ बदल गया, एक के बाद एक वक्ता आते गए जो एस बात को कह रहे थे की अन्ना को अपना ये आन्दोलन वापिस ले लेना चाहिये, और थोड़ी देर बाद अन्ना जी मंच पर खड़े हुए और उन्होंने बोलना सुरु किया, अगर मैं सुच बोलू तो मेरी कानो को यकीन नहीं हो रहा था जो भी अन्ना जी बोल रहे थे, मैं एसा मानता हु की अन्ना के इस कदम से उस हर भारतवासी को धक्का पंहुचा होगा जो अपना सब कुछ छोड़ कर अन्ना के साथ अन्ना की इस मुहीम मैं शामिल हुआ था. जि ने अन्ना जी के साथ अपना नाता जोड़ा था जिस अन्ना पर हर भारतवासी का विस्वास होने लगा था, वो एक दम से दुमिल हो गया....

वो अपने आप को ठगा हुआ सा महसूस कर रहा है की आखिर एसा क्या हुआ की आन्दोलन को समाप्त करने की इतनी जल्दी हो गयी, क्यों नहीं मुदो को जनता के सामने रखा गया, क्यों नहीं जनता को कांफिडेंस मैं रखा गया आखिर क्यों, और अगर आन्दोलन को ख़तम ही करना था वो भी बेनतीजा तो इस आन्दोलन की कोई जरूरत नहीं थी, दोस्तों अगर हम किसी को आसमा मैं उठा सकते है तो अगर उस ने कोई एसा गलत कदम उठया तो उस की नींदा करना भी हमारा ही कम है नहीं तो वो निरकुंश हो जायेगा, जंतर मंतर पर बेठे हुए लोगो से अगर आप बात करो तो वो लोग निरासा से भरे हुए है, उनका कहना है  ठीक है आप अपना आन्दोलन ख़तम कर देते पर कम से कम उन लोगो के बारे मैं जरूर सोचते जो आप के साथ पिछले ९ दिनों से आप के साथ अनसन मैं आप का पूरा साथ दे रहे है, जिन्होंने अपने परिवार को एस देश के लिए त्याग दिया, अन्ना तो उन के प्रेरणा स्रोत तो आखिर एसा क्या हुआ ये प्रशन उन के मन मैं है, लोगो के मन मैं ये प्रश्न है कही ये केजरीवाल के कारन तो नहीं हुआ, उस की तबियत को देखते हुए तो ये कदम नहीं उठाया ये सारे प्रश्न है, हर भारतवासी के मन मैं जो अन्ना जी के साथ जुड़े थे, और सब से बड़ी बाद अब की बार अन्ना जी या अन्ना जी टीम ही अनशन मैं नहीं बेठी थी अब की बार और 400 सो लोग अन्ना जी के साथ अनशन मैं बेठे थे, क्या उन लोगो की राय ली गयी.

आज तक राजनीती से दूर रहने वाला सत्याग्रही एक दम से राजनीती की बात करने लगा, हो सकता है, उन का ये फेसला ठीक हो और इस का फेसला तो आने वाला टाइम और इस देश की जनता ही करेगी की आखिर हम कहा पर भटक गए और कहा पर हम ने सही रास्ता चुना... लेकिन एस मैं कोई दो राय नहीं है अगर अन्ना जी इतना जन समर्थन मिला उस का कारन था उन का किसी भी राजनितिक दल मैं न होना....

दोस्तों एक और बात अन्ना जी ने जो अपने अनशन की समाप्ति के टाइम पर कहा की हम लोगो के बीच जा कर सही लोगो का चुनाव करेंगे और उन को सता मैं ले कर जायेंगे, उन का ये फेसला काबिले तारीफ है लेकिन एस मैं एक प्रश्न चिन्ह है वो आने वाला टाइम ही हटाएगा.