सोमवार, 20 अगस्त 2012

Curruption in Media

                 


             दोस्तों आज, हम स्वतन्त्रत भारत मैं रहते है, पर आप को कब अपनी स्वतन्त्रता का आभास होता है, मुझे जरूर बताये जिस प्रकार से भ्रष्टाचार ने अपनी पकड़ बना ली है, इस के बाद भी आप अपने को स्वतन्त्रत समझते है तो अच्छी बात है, वेसे भी मैंने बोला न बनिया गुड नहीं गुड जेसी बात भी कर ले तो उसके ग्राहक को लगता है की बनिया गुड ही बाट रहा है, वेसे ही जब भी हम स्वतन्त्रत भारत भारत की बात करते है तो हमें लगता है की हम स्वतन्त्रत है.

लेकिन सच बोलू तो आज कुछ भी नहीं रहा स्वतन्त्रत कहने को ही रह गए है, आप कही भी आप जाते है कोई भी सरकारी या अर्धसरकारी ऑफिस मैं तो आप भ्रष्टाचार से दो चार होते है, अगर आप मेरी बात से इतफाक नहीं रकते तो अपने कमेंट्स जरूर दे, क्योकि जब मुझे मेरी गलती आप बताते है तो कम से कम मुझे अपनी गलतियों को सुधारने मोका मिल सके, पर मैं ये बात भी मानता हु की आप मैं से जायदातर लोग मेरे से सहमत होंगे, हमारी गाढ़ी कमाई एसे लोगो के हाथ मैं है वो इस का नाजायज़ फायदा उठा रहे है, उस का उपयोग अपने निजी फायदे के लिए कर रहे है, और ये फायदा अपने जानने वो और अपने चाहितो को लुटा रहे है, देश की तरकी के नाम पर सरकारी खजाने के धन को पानी की तरह को लुटा रहे है, आप कही से भी सुरु करो आप देखंगे की जिस को जहा से मोका मिल रहा है वही से लुट सुरु कर देता है!

दोस्तों एसा कब होता है पता है कब जब एसे लोगो की मन से कानून वय्वाथा का डर निकल जाता है, उन्हें मालूम है, सरकार उनकी है सरकार मैं बेठे हुए लोग उन के है, तो डर काहे का और इस तरह से ये लूट चलती रहती है, जो भी इस के खिलाफ आवाज उठाता है उस की आवाज दबा दी जाती है, क्योकि सता मैं बेठे हुए लोग नहीं कहते की एसा कुछ हो जिस से उन के उप्पर को प्रश्न कर सके.

दोस्तों सब से बड़ी दुःख की बात तो ये है की अब तो भारत का मीडिया भी स्वतन्त्रत नहीं रहा वो भी भ्रष्टाचार मैं लिप्त हो गया है उस पर कुछ परभाव साली लोगो का दबदबा हो गया है, उन से वोही बात बुलवाई और दिखने की लिए कहा जाता है जिस से उनका हित और उनकी सरकार, उनकी पार्टी का हित नज़र आता है, उन से कहा जाता है की लोगो की समझ को बदलो ताकि वो लोग एसा महसूस करे जेसा वो लोगो को महसूस करवाना चाहते है, आज के टाइम मैं मीडिया एक एसा माध्यम है जिस पर पूरा देश अगर मैं बोलू की पूरा विश्व आश्रित है तो कोई अतिसियोक्ति नहीं होगी, सुच मैं एसा है और एसे मैं मीडिया की ये जिमेवारी बन जाती है की वो सिर्फ और सिर्फ इसी खबरों को दिखाए जिस से आम आदमी का सरोकार हो...

पर मुझे आज ये कहते हुए बड़ा दुःख हो रहा है की भारत का मीडिया बीक चूका है और सायद ये इस देश और इस देश की जनता के लिए सब से बड़ा नुकसान हो रहा है , जब तक आप अपने देश मैं मीडिया को स्वतन्त्रत नहीं रख पाएंगे आप उस देश की आत्मा को जिन्दा नहीं रख पाएंगे...

इस लिए दोस्तों आज जो एक छोटा सा विचार मैंने दिया है आप उस पर अपनी राय जरूर दे मैं एक बात मानता हु, किसी शायर ने बड़ा खूब कहा है, "कोन कहता है की आसमान मैं छेद नहीं हो सकता बस एक पथेर तो हिमत से उछालो मेरे दोस्तों" इसी के साथ मैं अपने इस ब्लॉग को स्थगित करता हु क्यों की अगर मैं इसे ख़तम कर दूंगा तो ये इस के साथ अन्याय होगा तो दोस्तों अपने विचार इस पर जरूर दे...

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