सोमवार, 6 अगस्त 2012

"Anna" 2012 Indian anti-corruption movement




02/08/2012  को एक दम से चोकने वाला फेसला अन्ना और अन्ना की टीम की तरफ से, आखिर एसा क्या हुआ एक दम से किसी को कुछ खबर नहीं, दिन होते होते जहा लोगो का उत्साह बढता जा रहा था, वही दूसरी तरफ मंच से बार बार एक अपील की जा रहे थी की आप से एक प्रशन किया जा रहा है आप उस का जवाब हा या न पर दे, और थोड़ी देर मैं  मंच से एक दम से सब कुछ बदल गया, एक के बाद एक वक्ता आते गए जो एस बात को कह रहे थे की अन्ना को अपना ये आन्दोलन वापिस ले लेना चाहिये, और थोड़ी देर बाद अन्ना जी मंच पर खड़े हुए और उन्होंने बोलना सुरु किया, अगर मैं सुच बोलू तो मेरी कानो को यकीन नहीं हो रहा था जो भी अन्ना जी बोल रहे थे, मैं एसा मानता हु की अन्ना के इस कदम से उस हर भारतवासी को धक्का पंहुचा होगा जो अपना सब कुछ छोड़ कर अन्ना के साथ अन्ना की इस मुहीम मैं शामिल हुआ था. जि ने अन्ना जी के साथ अपना नाता जोड़ा था जिस अन्ना पर हर भारतवासी का विस्वास होने लगा था, वो एक दम से दुमिल हो गया....

वो अपने आप को ठगा हुआ सा महसूस कर रहा है की आखिर एसा क्या हुआ की आन्दोलन को समाप्त करने की इतनी जल्दी हो गयी, क्यों नहीं मुदो को जनता के सामने रखा गया, क्यों नहीं जनता को कांफिडेंस मैं रखा गया आखिर क्यों, और अगर आन्दोलन को ख़तम ही करना था वो भी बेनतीजा तो इस आन्दोलन की कोई जरूरत नहीं थी, दोस्तों अगर हम किसी को आसमा मैं उठा सकते है तो अगर उस ने कोई एसा गलत कदम उठया तो उस की नींदा करना भी हमारा ही कम है नहीं तो वो निरकुंश हो जायेगा, जंतर मंतर पर बेठे हुए लोगो से अगर आप बात करो तो वो लोग निरासा से भरे हुए है, उनका कहना है  ठीक है आप अपना आन्दोलन ख़तम कर देते पर कम से कम उन लोगो के बारे मैं जरूर सोचते जो आप के साथ पिछले ९ दिनों से आप के साथ अनसन मैं आप का पूरा साथ दे रहे है, जिन्होंने अपने परिवार को एस देश के लिए त्याग दिया, अन्ना तो उन के प्रेरणा स्रोत तो आखिर एसा क्या हुआ ये प्रशन उन के मन मैं है, लोगो के मन मैं ये प्रश्न है कही ये केजरीवाल के कारन तो नहीं हुआ, उस की तबियत को देखते हुए तो ये कदम नहीं उठाया ये सारे प्रश्न है, हर भारतवासी के मन मैं जो अन्ना जी के साथ जुड़े थे, और सब से बड़ी बाद अब की बार अन्ना जी या अन्ना जी टीम ही अनशन मैं नहीं बेठी थी अब की बार और 400 सो लोग अन्ना जी के साथ अनशन मैं बेठे थे, क्या उन लोगो की राय ली गयी.

आज तक राजनीती से दूर रहने वाला सत्याग्रही एक दम से राजनीती की बात करने लगा, हो सकता है, उन का ये फेसला ठीक हो और इस का फेसला तो आने वाला टाइम और इस देश की जनता ही करेगी की आखिर हम कहा पर भटक गए और कहा पर हम ने सही रास्ता चुना... लेकिन एस मैं कोई दो राय नहीं है अगर अन्ना जी इतना जन समर्थन मिला उस का कारन था उन का किसी भी राजनितिक दल मैं न होना....

दोस्तों एक और बात अन्ना जी ने जो अपने अनशन की समाप्ति के टाइम पर कहा की हम लोगो के बीच जा कर सही लोगो का चुनाव करेंगे और उन को सता मैं ले कर जायेंगे, उन का ये फेसला काबिले तारीफ है लेकिन एस मैं एक प्रश्न चिन्ह है वो आने वाला टाइम ही हटाएगा.

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