एक बार फिर से सभी बरसती मेडक अपने अपने बिलो से बाहर आ गए है, बाहर जा कर देखा तो पता चला कि चुनाव आने वाले है, पिछले पाँच सालो से जिन नेताओ से आपने मिलने कि कोशिस करी और आप कि हर कोशिस बेकार गयी देखो मौसम कैसा बदला कि वो आप से मिलने आ पहुचे वो भी आप के द्वार, आप कि परेशानी सुनने का का समय अब जा कर मिला है उन को पिछले पाँच सालो मैं तो वो अपने और अपने जानने वालो कि समस्यांए सुन रहे थे!↓
हमारे देश की सबसे बड़ी समस्या ये है कि लोगो को अपने वोट कि कीमत का पता ही नहीं, उन को लगता है कि बस चुनाव और कोई भी जीते क्या फ़र्क़ पड़ता है, इस लिए या तो वो चुनाओ मैं भाग नहीं लेते है या फिर अपना वोट बिना सोचे समझे दे आते है, लोगो का मानना यह है कि नेताओ ने करना उन्होंने वो ही है जिस मैं उस का और उस के जान पहचान वालो का भला होगा, सरकारी मकान, सरकारी दुाकन, सरकारी गाड़ी, सरकारी फ़ोन, और न जाने क्या क्या फायदे मिलेंगे उन को अगर वो ये चुनाव जीत गए!
दोस्तों एक और बात हमारे देश कि एक और बड़ी विडम्बना है कि यहाँ पर सरकारी नौकरी पाने के लिए दुनिया जहान कि पढ़ाई करनी पड्ती है, कई टेस्ट पास करने पड़ते है फिर आखिर मैं इंटरविवे से गुजरना पड़ा है तब जा कर कही एक छोटी से सरकारी नौकरी मिलती है, पर देखो तमाशा कि ये नेता बंनने के लिए कोई पढाई नहीं कोई लिखाई नहीं और अगर आप कि किस्मत ने साथ दिया और आप को मोका मिला नेता बनने का तो ये पढ़ाई किये लोग आप के आगे पीछे, सोचो हम एक सरकारी बाबू को रखने के लिए इतने टेस्ट रखते है और जो इन सरकारी बाबुओ को ऑर्डर देता है वो जायदातर लोग जानते ही नहीं कि काम केसे किया जा है!
नोकरी के अंदर आप के रिटायरमेंट कि उम्र होती है पर नेतागीरी कि कोई उम्र नहीं जब तक मन नेतागिरी करे, सरकार कि सोच भी अजीब है सोचती है कि 60 के बाद आदमी किसी काम का नहीं, उस को घर बेजो पर उस को नेता बनाने के लिए कोई उम की समय सीमा नहीं!!!
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