"आप" जिस तरह से विनोद कुमार बिन्नी आप के साथ खेल रहे है लग रहा है कि कही न कही ये एक साजिश के तहत हो रहा है, अभी तो सरकार बने कुछ ही दिन हुए है और इस तरह से अगर "आप" के नेताओ के मतभेद मीडिया के सामने आते रहेंगे तो ये डेल्ही और डेल्ही कि जनता के साथ धोखा होगा जिन्होंने बड़ी उम्मीदो के साथ एक भरोसा "आप" जताया है!
कांग्रेस से कोई पार्टी कुछ सीखे या न पर मैं ये मानता हु कि पार्टी अनुसासन कैसे कायम रखा जाता है जरूर सीखना चाहिए !
मेरा सवाल ये है कि आखिर ऐसी कौन सी मजबूरी आन पड़ी थे कि विनोद कुमार बिन्नी को सार्वजानिक मंच पर आ कर इस तरह से "आप" और अरविन्द केजरीवाल के खिलाफ बोलना पड़ा, क्या ये मुदे पार्टी भीतर नहीं सुलजाये जा सकते थे, क्या अरविन्द केजरीवाल सच मैं तानाशाह हो गए है !
साथ मैं एक बात और बोलना कहता हु कि हमें टाइम देना होगा अरविन्द केजरीवाल को काम करने का क्योकि कही ऐसा न हो कि वो हमारी मांगो, उम्मीदो के तले इतना न दब जाये कि गलत फैसले लेने सुरु कर दे, किसी भी सरकार को हमारा संविधान 5 साल का मोका देती है काम करने के लिए और हमारी उमीदे "आप" के साथ इतनी जयादा है कि हमें लगता है सब कुछ रातो-रात बदल जाये !
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