शनिवार, 3 दिसंबर 2016

"उम्मीद की किरण लक्ष्यम "


                        "उम्मीद की किरण लक्ष्यम "




    जब हम बात करते है डेल्ही की,  तो मन में एक ही  बात आती है और वो है,  भागदौड़ वाली जिंदगी पैसा पैसा हाय पैसा वाली जिंदगी !

और जब हम बात करते है वसंत कुञ्ज की तो सब से पहले जो बात दिमांग में आती है वो है, की वह बड़ी ही समृद्ध जगह  है  जहा पर घर होना आज भी डेल्ही में बड़े गर्व की बात माना  जाता है !

    19  नवम्बर 2016  को मुझे मौका मिला की  में अपने दोस्तों के साथ,  एक फोटोग्राफर का  सामाजिक उत्तरदायित्व वाले फोटो शूट में  जाने का, और हम पहुच गए इ ब्लॉक वसंत कुञ्ज। में धन्यवाद करना कहूंगा आप सभी ग्रुप में भाग लेंगे वाले सहभागियों का जिन्होंने इस फोटो शूट को सफल बनाया और में ये भी आशा करता हु की आगे भी हम इस प्रकार के प्रयास करते रहेंगे.

    वेसे तो डेल्ही मैं जुग्गी झोपडी होना कोई अवसाद नहीं है,  की क्योकि जब भी आप किसी भी एरिया मैं जाते है तो आप को जुग्गी झोपडी जरूर मिलेगी, और ये बात भी सुच है की अब  डेल्ही की ज्यादतर झुग्गी झोपड़िया  अब विकास की रह में  चल  पड़ी है,  पर जब हम इ ब्लॉक वसंत कुञ्ज की झुग्गी झोपड़ियो मैं पहुचे तो आज आजादी के 65 साल बाद भी यहाँ  कुछ नहीं बदला है,

इन झुग्गी झोपड़ियो में आज तक आधारभूत सुविधाओ का विकास नहीं हुआ, जैसे की यहाँ पीने के पानी के लिए आज तक कोई कनेक्शन नहीं है, बिजली भी आज तक ये लोग चोरी जलाते है, और जहा हमारा पूरा देश स्वच्छ भारत के लिए एकजुट हो कर अभियान चला रहा है वहाँ  आज तक यहाँ पर कोई स्वच्छता के लिए  नहीं आता,  कोई अभियान नहीं चलाया गया, यहाँ पर आज भी लोग खुले में  सौच  के  लिए  मजबूर है उसकी भी यहाँ पर आज तक कोई व्यवस्था नहीं की गयी है.

मैं धन्यवाद करना कहूंगा लक्ष्यम को (NGO ) जिस ने अपने प्रयासों से यहाँ के लोगो जीवन में बदलाव लाने
की पहल की है, उन्होंने यहाँ पर एक आधारभूत स्कूल की संरचना की है जहा पर यहाँ के बच्चे आकर आधारभूत शिक्षा लेते है साथ साथ उन्हें आगे पढने के प्रोसाहित किया जाता है, और उन्हें यहाँ पर कुछ हस्थकारी का काम सिखाया जाता है ताकि की वो सड़क के किनारे भीख  माँगने जाने के बजाय अपने हाथो के जरिये किये गए कामो से धन का अर्जन करे.



जब हमारा ग्रुप यहाँ पंहुचा तो यहाँ  के,   लोगो  के मन में एक उम्मीद की किरण आयी की शायद कोई सरकारी डिपार्टमेन्ट उन की सुध लेने आया है पर जब उन्हें पता चला की हम किसी और ग्रुप से है तो उन्होंने बोला की पिछले 40  साल से इसी तरह जीने के लिए मज़बूर है अगर आप हमारी समस्याए ऊपर (सरकार) तक पंहुचा दे तो अच्छा हो.

देखने में  भले ही यह पहल  छोटी सी  लगती है पर हमारा मानना है की  लोगो के जीवन को आगे ले जाने में किया गया कोई भी कार्य कम महत्वपूर्ण नहीं होता बल्कि उस के पीछे के वो उदेश्य महत्वपूर्ण होते जिन  द्वारा  हम लोगो के जीवन स्तर में बदलाव ला सकते है ताकि वो ये पिछड़ा वर्ग भी उन लोगो के समकक्ष  आ सके जो अपने आप को सभय  समाज कहलाता है.













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