शनिवार, 12 नवंबर 2016
मंगलवार, 3 मई 2016
"उत्तराखंड राज्य और भारतीय रेलवे एक सपना"
उत्तराखंड राज्य और भारतीय रेलवे एक सपना
जब भी किसी नये राज्य का गठन होता है तो वहां के लोगो में उम्मीदें जागती है की अब उस राज्य के विकास को कोई नहीं रोक सकता, क्योकि आखिर उस नये राज्य का गठन उन्ही उम्मीदों के साथ हुआ था.
आज बात एक ऐसे ही एक राज्य की जिसे भारत का 27 वा राज्य होने का गौरव मिला उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश से अलग हो के बना राज्य है ! उत्तराखंड के लोगो के आंदोलन व संघर्ष् से एक नए राज्य का उदय हुआ जिसे के उत्तराखंड व देव भूमि के नाम से पुकारा जाता है, जब केन्द सरकार ने यह निर्णय लिया उस समय उत्तराखंड के लोगो में उम्मीद की किरण दिखाई दी। अब उन्हें लगने लगा की अब प्रदेश का विकास और भी बढ़िया तरीके से हो सकता है और उन्होंने इस के लिए के लड़ाई लड़ी और आख़िरकार वो दिन भी आया जब लोगो के मन की बात को सरकार से समझा और 9 नवंबर 2000 को एक नए उत्तराखंड राज्य का उदय हुआ.
नया राज्य नयी उम्मीदों के साथ एक नया राज्य पर गठन के 16 साल के बाद भी आज भी कोई खास विकास इस राज्य ने नहीं देखा है, तथा 2015 के सरकारी आंकड़ों के हिसाब से करीबन 2600 गाओं का पलायन हो चूका है उसकी एक बड़ी वजह यहाँ की राजनीतिक अस्थिरता और और कुछ राजनेताओ की इच्छासक्ति की कमी भी है.
कांग्रेस की सरकार के समय जब 2009 का रेल बजट सदन में रख गया था उस समय उत्तराखंड को रेल मार्ग से जोड़ने की बात हुई थी और ओर तत्कालीन रेलमंत्री सुश्री ममता बनर्जी ने सदन को यह विश्वास दिलाया था की अगर प्रदेश सरकार सहयोग करे तो भारत सरकार उत्तराखंड को रेल मार्ग से जोड़ने को तैयार है.
पर अभी तक जैसा की उत्तराखंड में कोई रेल परियोजना दूर दूर तक नहीं है इस से तो यही प्रतीत होता है की किसी भी राज्य सरकार सरकार ने रेल मंत्रालय के साथ विचार विमश नहीं किया।
दूसरा अगर राज्य सरकारों को लगता है की वह इस योजना के लिए उन्हें काफी धन खर्च करना पड़ेगा तो ये सही है पर भारत की सरकार जनकल्याणकारी सरकार है और इस में ऐसा कुछ भी नहीं की राज्य सरकार कुछ नहीं कर सकती हो.
जहां तक उत्तराखंड की सरकार का और इस प्रदेश के विकास का मुदा है अभी तक की सभी सरकारे ऐसा करने में विफल रही है और एक ब्लोगर होने के नाते में यह कहना चाहता हु की अगर आप किसी भी ऐसे राज्य की तुलना करेंगे जहां पर रेलमार्ग है और और जहां पर नहीं है तो आप पायंगे की वो राज्य जयादा विकासरत है जहां पर की रेलमार्ग है। उदहारण जैसे की हिमाचल प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, और असम.
रेलमार्ग के बन जाने से इस पहाड़ी राज्य का पर्यटन के क्षेत्र काफी विकास की सम्भावनाएं है
और जहां तक धन और रोजगार की बात है मेरा एक और सुझाव है क्यों न मनरेगा को रेल के विकास से जोड़ दिया जाये इस से दो फायदे होंगे एक तो पहाड़ के लोगो को रोजगार मिलेगा वही दूसरा इस प्रदेश में धन का प्रवाह शुरू हो जायेगा जिससे इस प्रदेश जो की मुखयतः पहाड़ी लोगो का प्रदेश है उन को फायदा होगा.
उत्तराखंड रेलमार्ग बन जाने से राज्य की दशा और दिशा का बदलना तय है यहाँ की ारथवय्वस्था का बढ़ाना तय है इस लिए उत्तराखंड की तरक्की और यहाँ के लोगो की आर्थिकं वयव्था को बढ़ाने के लिए आप का सहयोग जरूरी है।
सन 2009 उस समय का समाचार पत्र का फोटोकॉपी आप सभी के लिए.


शनिवार, 4 जुलाई 2015
बुधवार, 17 जून 2015
" उत्तराखंड स्थायी निवास प्रमाण पत्र"
कुछ दिन पहले मुझे अपने गॉव जाने का मौका मिला, कुछ पारिवारिक समारोह था, वैसे अब पहले के मुकाबले उत्तराखंड के गॉव का भी मौसम बदल गया है, अब लोगो ने भी अपने घरो में पंखे लगा लिए है, क्योकि रात में भी अब गर्मी बढ़ गयी है, वैसे आप सोच रहे होंगे की में आज सायद गॉव के मौसम के बारे में ये ब्लॉग लीख रहा हू तो मैं आप को बता दू की ऐसा मेरा आज का विचार नहीं है, आज में बात करूँगा सरकार द्वारा प्रदान किये जाने वाले स्थायी निवास प्रमाण पत्र की,
आज भी जहा गांव में रोजगार के साधनो की भयंकर कमी है, वैसे लोगो को लगा था की शायद अलग उत्तराखंड होने के बाद परिस्थी कुछ बदलेगी, पर ये आशा अभी तक आशा ही है, अगर कही विकास हुआ भी है तो वो छेत्र है जो की पहले से ही विकसित है या फिर वो प्लेन (सपाट) छेत्र है, जो असल पहाड़ का छेत्र है उस की परस्थिती में कोई बदलाव नहीं आया है उन छेत्रो की इस्थ्ती आज भी वैसी ही है जैसा की अलग राज्य बनने से पहले थी .
राज्य सरकार की बहुत सी योजनाओ का लाभ उठाने के लिए आप को अपना स्थायी निवास प्रमाण पत्र की प्रती लगानी पड़ती है, पर हमारा दुर्भाग्य जो स्थायी निवास प्रमाण पत्र सरकार की तरफ से लोगो को फ्री में बनाना चाहिए उसको बनवाने के लिए राज्य में दुकाने खुल रही है, जहा पर स्थायी निवास प्रमाण पत्र बनवाने की एवज में पैसा लिया जाता है, और इन दुकानो को खुलवाने में राज्य सरकार अपना पूरा सहयोग दे रही है, क्योकि ऐसा प्रतीक होता है की सरकार में बैठे हुए कुछ लोग जो की इन दुकानदारो से मिले हुए है उन के हिसाब से नियमो में फेर बदल
करवा कर लोगो को परेशान करने का काम कर रहे है, इसका एक उदहारण आजकल आप जब भी अपना स्थायी निवास प्रमाण पत्र बनवाने जाये तो अपना भाग 2 रजिस्टर की कॉपी उस में प्रधान की मोहर ले कर तहसील जाना पड़ता है उस के बाद वहा के सरकारी बाबू अपना पैसा बनाने के लिए आप के फ्रॉम में 10 गलतिया बताएँगे, और जैसे ही आप उनको कुछ चढ़ावा देंगे वो आपके फॉर्म की सभी गलतियों को नज़र अंदाज़ कर आप का स्थायी निवास प्रमाण पत्र बना कर दे.
दूसरा उदहारण अब स्थायी निवास प्रमाण पत्र ऑनलाइन बनने लगे है पर इस को बनाने के लिए भी आप को तहसील ही जाना पड़ता है, जब आप को तहसील ही जाना है तो किस बात का ऑनलाइन।।। उसके बाद वहा पर आधे टाइम लाइट नहीं होती कभी वहा पर सरकारी बाबू छूटी पर होते है कभी वहा पर इंटरनेट नहीं काम करता, अगर इन सब बातो से कोई परेशान होता है तो वो है, मजबूर आम और गरीब आदमी, जो बड़ी मुश्किल से अपने गॉव से वहा तक पहुचता है फिर भी उस का स्थायी निवास प्रमाण पत्र नहीं बनता, अब मेरा सवाल ये है की सरकार क्या कर रही है क्या उस को नहीं मालूम की गॉव में लाइट और इंटरनेट की क्या हालत है,
वो आम आदमी जो की स्थायी निवास प्रमाण पत्र बनवाने आया था 50 किलोमीटर दूर से अपना पैसा अपना टाइम निकाल कर जिसने अपने कई कामो को छोड़ कर अपना स्थायी निवास प्रमाण पत्र की बनवाने के लिए इतनी दूर से आया है, क्या कोई है जो उसकी सुध ले रहा है…
दोस्तों मुझे बड़ा दुख होता जब में देखता हू की कोई वय्क्ति अपने काम को करने के लिए सरकारी ऑफिस के चक्कर लगाता लगाता थक जाता है पर किसी को उस की कोई सुद्ध नहीं।।।
वैसे ही उत्तराखंड की लोगो को गरीबी ने मारा है, और ये सरकारी क़ानून भी उन को मारने का काम कर रहे है.
हमें चाहिए की सरकारी योजनाओ का सही तरीके से किर्यान्व्यन हो , जो की वहा के निवासियों के लिए सुविधाजनक हो जब सरकारी योजनाये बने उस में इस बात का ध्यान जरूर रखा जाये की कौन सी योजना पहाड़ी छेत्रो के लिए है और कौन से प्लेन छेत्रो के लिए.…
अगर आप मेरे इस ब्लॉग के साथ है तो कृपया इस को अपने दोस्तों तो शेयर करे ताकि ये ब्लॉग उन लोगो तक पहुंचे जो इस समस्या की जड़ मैं है। …
जय उत्तराखंड!!!
सोमवार, 20 अप्रैल 2015
" Billing is Heaven for peraguliding " पैराग्लाइडिंग का सवर्ग बिलिंग "
जब आप अपनी रोजमर्रा की जिंदगी से परेशान हो गए हो, और आप का मन कुछ नया करने को करे तो आप के लिए एक बहुत ही बढ़िया और साहसिक कार्य है "पैराग्लाइडिंग! हो सकता है आप में से कुछ लोग ऐसे भी हो जो इस का नाम पहली बार सुन रहे हो और कछू लोग ऐसे भी है जिन्होंने इस के बारे मैं सुना तो हो पर कभी इतना ध्यान न दिया हो !
तो आज बात हमारे पैराग्लाइडिंग वाले साहसिक कार्य की, वैसे तो मैं बड़ा ही घुमक्क्ड़ किसम का व्यक्ति हु और इस घुमक्क्ड़पन का साथ मेरी धर्म -पत्नी अच्छे से देती है क्योकि में आज तक जीतनी भी जगह पर घुम्मकड़ी करने गया हु उस मैं 80 % आईडिया उन का ही है, तो बस क्या था की हमें मौका मिला "देव भूमि हिमाचल प्रदेश" जाने का, वैसे तो हम दोनों उत्तर भारत में कई जगह घूमे है पर ये पहला मौका था जब हम हिमाचल जा रहे थे, मन में बड़ा ही उत्साह था, आखिर एक एक पहाड़ी मूल का आदमी, दूसरे पहाड़ी छेत्र जा रहा था, तो बड़ी उम्मीदे और बड़ा उत्साह ! बस फिर क्या था दोनों पहुंच गए हिमाचल प्रदेश और हिमाचल में "पालमपुर" पालमपुर में ठहरने के दो कारण थे पहला की मेरे साथ काम करने वाले मेरे सहयोगी गुलशन का विवाह था और दूसरा की पालमपुर एक ऐसी जगह पर इस्थित है जहा से आप "धर्मशाला, मैक्लोड गंज, बैजनाथ मंदिर और भारत में पैराग्लाइडिंग के स्वर्ग बिलिंग बहुत्त आसानी से पहुंच सकते है, हमने अपना विचार बनाया की हम भी जायेंगे बिलिंग और हम भी लुप्त उठाएंगे पैराग्लाइडिंग का !
तो मन में उमंग और तरंग लिए हम भी चल पड़े बिलिंग लिए, वैसे में आप को बता दू की बिलिंग पहुचने के लिए आप के पास विकल्प है पहला तो आप वहा जाने के लिए टेक्सी किराये पर ले ले और या फिर आप बीड तक बस में जा कर वह से टेक्सी ले ले क्योकि कोई भी बस आप तो बिलिंग तक नहीं ले कर जाएगी, हमने बीड पहुंच कर बात की वहा के लोकल लोगो से उन्होंने बताया की यहाँ पैराग्लाइडिंग पिछले 5 सालो में बड़ा ही लोकप्रिय हुआ है, इस की वजह से यहाँ के लोगो को रोज़गार मिला है और ये भारत में पैराग्लाइडिंग का स्वर्ग है.
बुधवार, 25 मार्च 2015
"क्रिकेट वर्ल्ड-कप 2015"
क्रिकेट वर्ल्ड-कप 2015
पूरी दुनिया में आजकल क्रिकेट वर्ल्ड-कप 2015 का खुमार फैला हुआ है, और और जिस देश मैं क्रिकेट एक धर्म हो उस देश का और उस देश के लोगो का क्या कहना। वैसे तो 2015 वर्ल्ड-कप खेलने से पहले ही भारत के खिलाड़ियों का आत्मविस्वास बहुत बड़ा हुआ था, क्योकि उन्होंने उस से पहले की श्रंखला में अच्छे खेल का पर्द्शन किया था।

मुझे याद आता है जब हमारी टीम को वर्ल्ड-कप २०१५ के लिए चयन्ति किया गया था तब उस के चयन पर सवाल उठाये गए थे… की क्या ये खिलाडी अपने देश के लिए एक बार फिर वर्ल्ड-कप ला पाएंगे अभी तक तो खिलाड़ियों ने जिस प्रकार का खेल इस वर्ल्ड-कप में दिखाया है वो काबिले तारीफ है, सेमीफइनल तक की दौड़ मैं अभी तक उन से आगे कोई नहीं निकल पाया, जिसे हमारी कमजोरी बताया जाता था वो बोलर अपना सर्वश्रेठ पर्दशन कर रहे है, इस में कोई दो राय नहीं की पूरी टीम जिस भावना से खेल के मैंदान में उतर कर अपने विरोधियो को धूल चटा रही है वो सिर्फ और सिर्फ तभी सम्भव है जब आप की टीम एक जुट होकर अपना पर्द्शन करे और अभी तक ऐसा हो भी रहा है.
अब बात होने वाले सेमीफइनल की जिस में की हमारा मैच एक मजबूत समझी जाने वाली टीम के साथ है, वैसे ऐसा नहीं हिअ नहीं है की हम ने इस टीम को कभी हराया नहीं है, कई बार हराया है पर एक बात में हमेशा कहता हु कभी भी विरोधी टीम को कम कर आंको, समय है जब हमें एक बार फिर से अपना बेहतर पर्द्शन दे कर अपनी टीम को इस वर्ल्ड-कप के फाइनल में पहुचना है जहा पर न्यूज़ीलैंड पहले से ही पहुंच चूका है.
रविवार, 15 मार्च 2015
"India's Daughter"

आज बात निर्भया वाली डॉक्यूमेंट्री की.… माना की ये डॉक्मेंट्री बनाना या दिखाना सही नहीं था.… ऐसा सरकार मैं बैठे हुए कुछ लोग और कुछ विद्वानो का भी यही मत है.
में ये मानता हु की इस मैं ऐसा कुछ भी नहीं की जिसे न दिखाया जाये और ये कोई बाजारीकरण नहीं , जैसा की मैं कई समाचार पत्रो में पड़ा.… मेरे हिसाब से ये एक साहसिक कार्य है जो की बीबीसी ने किया है जब तक हम लोगो को समाज मैं होने वाली घटनाओ के बार में नहीं बताएँगे तब तक कैसे लोगो को समाज के बारे मैं पता चलेगा!
दूसरी बात हम सिर्फ क्यों मुकेश (आरोपी) की ही बात के बारे मैं पूरी डॉक्यूमेंट्री में बात कर रहे है क्यों नहीं हम जो दूसरे लोगो जो इस डौक्यूमेंटी का हिस्सा है उन के बारे में क्यों नहीं बात कर रहे.… ये आदमी जो गलत है वो तो है पर कुछ ऐसे भी लोगो है डौक्यूमेंटी मैं जिन्होंने इस पूरी वारदात में अपना सब कुछ गवाया है कुछ लोगो ने अपनी ड्यूटी को कितने बढ़िया तरीके से निभाया है वो भी इस डौक्यूमेंटी का हिस्सा है जो हम इस डौक्यूमेंटी में देख सकते है!
मैंने अपने पहले के बोलोगो में भी लिखा है की किसी भी घटनाओ के दो पहलु होते है और हमें दोनों पहलु समझने होंगे सिर्फ विरोध करना है इस लिए किसी भी बात का विरोध नहीं करना है.
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