गुरुवार, 22 नवंबर 2012

"Terrorism"




आख़िरकार 26/11 के अपराधी, पकिस्तानी आतंकवादी अजमल कसाब को फासी दे दी गयी,  अजमल कसाब को उसके द्वारा किये गए अपराधो के लिए भारतीय न्याय व्यवस्था ने अपना फेसला सुनाया और जेल कर्मियों ने अपना, पर एक सवाल मेरे मन एक सवाल बार बार उठ रहा है, की  आखिर एसा क्यों रोज़ भारत पाकिस्तान बार्डर पर न जाने कितने ही भारतीय और पाकिस्तानी सेनिक शहीद हो जाते है, क्या एसा ही होता रहेगा, क्या भारत मैं एसे ही 26/11 जेसे हमले होते रहेंगे क्या एसे  ही कसाब  जेसे लोगो को टाइम टाइम पर  फासी दी जाती रहेगी?

   आज विश्व कई तरह के समस्यों से जूझ रहा है जिस मैं आतंकवाद एक बड़ा मुदा है, और सायद ही विश्व को कोई देश हो जो इस कलंक से आछुता हो, इस के लिए कई कारण  जिमेवार है,  आज विश्व मैं आतंकवाद होने के तीन  मुख्य कारण  है:-



  • आर्थिक असंतुलन
  • धार्मिक रूडिवाद
  • सीमा विवाद


अब अगर बात करे आर्थिक असंतुलन की तो लोगो लगेगा की कुछ नया बताओ ये सब को मालूम है, तो दोस्तों जरा सा आप को अतीत मैं ले जाना कहता हु जब विश्व शक्ति समझे जाने वाले अमेरिका को आतंकवाद का सामना करना पड़ा, उस से पहले ये समझा जाता था की आतंकवादी वो लोग होते है जो अन्पड होते है, जिन्हें जो समझया जाता है उन के समझ मैं वही आता है उन का खुद का कोई वजूद नहीं होता है और कुछ लोग उन के न समझी का फायदा उठा लेते है, पर 11 सितम्बर के अमरीका पर हुए हमले ने लोगो के इस धारणा को बदल कर रख दिया, अब आतंकवादी अन्पड नहीं बल्कि पढ़े लिखे लोगो की जमात है, जिस मैं हर तबके का आदमी और हर छेत्र से जुदा हुआ आदमी जुड़ता जा रहा है और उस का मुख्य कारण  है आर्थिक असंतुलन जो हमला वर्ल्ड ट्रैड सेंटर पर हुआ था उस मैं पड़े लिखे लोग थे जो, जिन लोगो ने इस आतंकवादी हमले को अंजाम दिया उन लोगो का  किसी व्यक्ति विशेष से कोई दुश्मनी नहीं थी न ही वो किसी जमीन के लिए लड़ रहे थे वो ला रहे थे, वो लड़ रहे थे उस वयवस्था से जो आज अमेरिका द्वारा  वर्ल्ड ट्रैड सेंटर के द्वारा फेलाई जा रही है, जिस से विश्व  मैं  आर्थिक असंतुलन बढता जा रहा है।  और ये अंतर्र्श्तिये स्तर आतंकवाद  था, इस मैं कोई दो राय नहीं की जो भी घटना थी वो गलत थी और इस की जितनी निंदा की जाये उतनी कम है, क्योकि कभी भी विरोध करने का तरीका ये नहीं हो सकता की आप किसी भी देश मैं जा कर उस देश की लोगो की जान ले लो और वहा की सम्पति को नुकसान पहुचाओ, अगर आप को अपना विरोध करना ही है तो उस के लिए कई और मंच है जिस मैं जा कर आप अपनी आवाज उठा सकते है, बरहाल हम बात कर रहे थे की किस तरह से आर्थिक असंतुलन आतंकवाद को बढावा दे रहा है।


    आतंकवाद होने का दूसरा सब से बड़ा करण  है, धार्मिक रूडिवाद से मेरा मतलब ये है की  हर धर्म अपने विचारो और सिधान्तों को सही मानता है, और ये ठीक भी है हर किसी को आजादी है की वो किसी भी धर्म को अपनाये,  पर एन विचारो और सिधान्तों को दुसरो को अपनाने के लिए बाध्य करना कितना सही है, ये मेरी समझ से बाहर है आज के समय मैं एक नयी जंग है की लोग जेसे नसलवाद मैं विश्वास रखते थे और है वेसे ही दुसरे धर्म के लोगो को हीनता के दिर्ष्टी से देखा जाता है जो की टिक नहीं है, और वो एक करण है जो समाज और देशो के बीच आतंकवाद को बढावा दे रहा है!


   सीमा विवाद एक ऐसा कारण है जो न जाने आज तक कितने लोगो की जान ले चूका है, आज सायद ही विश्व का कोई ऐसा  देश है जिस का किसी न किसी देश से सीमा विवाद न हो, जो दो तरह के दवंद को बढावा देता है, एक है सेनिक दवंद और दूसरा है आतंकवाद सेनिक इस  लिए की सेनिक आपस मैं बोडर पर लड़ते रहते है, और आतकवादी दुसरे देश मैं गुस्पेट कर उन के देशो  को  कमजोर बनाने की कोसिस करते है ताकि वो दुसरे देश को भीतर से कमजोर बना सके और उस देश पर अपना कब्ज़ा बना सके! और एस का जीता जगता उदहारण भारत और पाकिस्तान, फिलिस्तीन और इजराइल!!!


    अब भी अगर टाइम रहते एन सभी समस्यों का समाधान नहीं किया गया तो ये समस्या और भी विकराल रूप ले लेगी, इस लिए जिनती जल्दी हो एस मैं परिवर्तन की जरूरत है, और ये परिवर्तन होंगे  वयवस्था परिवर्तन के द्वारा!!!

सोमवार, 5 नवंबर 2012

Bhangarh Ke Bhoot (Hon-ted Place in India Bhangarh)

 

जब आप किसी भी बात के बारे मैं बहुँत सोचते है तो  रोमांच अपने आप भी बढने  लगता है, वैसे  ही हम सब दोस्तों का रोमांच एस बात से बाद गया क्योकि हम ने सुना था की राजस्थान मैं एक जगह है जहा पर भूत होने का दावा किया जाता है, मन बड़ा ही रोमांचित था, की आखिर एसा भी कुछ हो सकता है तो ऑफिस के सभी दोस्तों  ने प्लान किया की क्यों न एस बात की तह तक जाया जाये,  और क्यों न राजस्थान के भानगढ़ जाया जाये, तो दोस्तों प्लानिंग सुरु और एक वो भी दिन आ गया जब हम वहा  के लिए तेयार हो गए, बहुँत सारी  बाते, गूगल और दोस्तों से पता चला  की वहा पर सच   मैं बहुँत भूत होने का दावा किया रहा है और कई लोगो ने के भूतो देखने का दावा भी किया है, किसी ने कहा ध्यान से जाना किसी ने कहा बड़ा ही डरावना रास्ता  है वह  पर बड़े ध्यान से जाना रस्ते मैं कई रूकावटे आती है, पेड़ टूट जाता है, पर मन मैं था की जाना है और ये सारी बाते हमारे रोमांच को बड़ा रही थी, रोमाच भी भूत को देखने का, जाने से पहले सारी  तेयारिया जेसे की, गूगल से सारी  जानकारी जुटाना यूटूब से वीडियो देखना और गूगल पर बहुँत सरे ब्लॉग जिस मैं एस बात का बड़ा चड़ा का बताया गया था की रात की बात छोड़ो  वहा तो  दिन मैं भी भूत का एह्सास होता है,

वेसे भी मैं बड़ा आस्तिक बन्दा हु तो भगवान  मैं बड़ा विस्वास करता हु तो भूतो मैं भी करता हु क्योकि जब आप भगवन को मानते है तो भूतो को भी मानने पड़ेगा। एस लिए मन मैं बड़ा रोमांच था। की क्या पता सच मैं भूत देखने मैं मिल जाये।

सन्डे की सुबह (04/11/2012) को वो दिन भी आ गया जब हम रोमाच से भरे उस सफ़र पर चल पड़े और सब के मन मैं जाने का उत्साह और डर पर सब एक दुसरे के सहारे जा रहे थे, सुबह हम  यहाँ टेम्पो ट्राव्लेर  के साथ चल पड़े चलने से पहले सब को माचिस की तीलिया दी गयी ताकि कुछ गलत न हो क्यों के सब के सब डरे हुए थे और हम ने सुना है की दर मैं ऐसी चीजे और डरती है तो अपने मन को पक्का करने के लिए टोटका, और हम ग्रुप मैं 16 दोस्त थे जिस मैं 5 लडकिया और 11 लड़के थे, रस्ते मैं बड़ा एन्जॉय किया सब ने बड़ी मुस्ती करी और दिन मैं करीब हम 1:45 हम भानगढ़ पहुचे रस्ते की मस्ती और करीब 250-275 किलोमीटर के सफ़र ने हमें थका दिया था फिर भी  एक बार भानगढ़ पहुच कर सब पहले की तरह तरोताजा लग रहे थे सब के मन मैं एक ही बात क्या आज हम भूत देख पाएंगे!

जब भानगढ़ पहुचे तो बहार से देखा तो सच मैं डरावना लगा, और गेट पर घुसते ही हनुमान जी का मंदिर, हनुमान जी को प्रणाम कर हम आगे बड़े तो वह पर टूटे हुए कुछ खंडहर नज़र आये और उस के भर भारतीय पुरातव वालो ने लिखा था की ये उस टाइम का बाज़ार था, कही पर लिखा था की यहाँ पर नर्तकी रहती थी, उन की बातो का विश्वास  करते हुए हम आगे बड़े, वह पर एक मंदिर है जो की खंडित था  हम सभी लोग वहा  गए और देख कर कुछ एसा लगा की सायद जो यहाँ की कहानी मैं बताया गया है सायद वो  सच है, की यहाँ पर कुछ भी सही सलामत नहीं है सब खंडित है, आगे बड़े तो एक किला है जो की दो मंजिला है, पूरा एक दम खंडहर है उस मैं कुछ भी नहीं बचा था लोग वह पर हमरी तरह घूम रहे थे हम जा -जा कर अंधरे कमरों मैं भूतो को ढूँढ  रहे थे, पर ये हमारी खुस्किमती कहो या भूतो का दुर्भग्य की न वो हमें नज़र आये उन का पता नहीं की वो हमें देख पाए या नहीं।

शाम होते होते सब के सब हेरान परेशान की भूत  कब मिलंगे, पर एस का जवाब किसी के पास नहीं था, तो सोच की जब इतनी दूर से आये है और इतना इतना टाइम दिया है तो थोडा सा देर और रुक जाते है क्योकि हम ने पड़ा था की शाम ढलने के बाद और सुबह होने से पहले वह पर जाना वर्जित था  तो सोच की सायद शाम ढलने के बाद कुछ नज़र आ जाये फिर भी रोमांच की उस ललक मैं हम ने यहाँ  थोडा और देर रुकने का फेसला लिया की सायद हमरी भूत वाली ललक पूरी हो जाये पर सायद ये भगवान को ये भी मंजूर नहीं था और शाम को करीब हम ने 6:30 पर वहा से वापस लोट जाने का फेसला किया और हम वहा से लोट आये !!!

एस पुरे ट्रिप मैं भूत तो नहीं मिला पर हा अपने दोस्तों के बड़े सारे रंग मिले, और रास्ते मैं सभी दोस्तोने बड़ा एन्जॉय किया और ज़िन्दगी का एक और दिन हसी खुसी गुजर गया, मेरा और हमरी टीम का कुछ एसा तजुर्बा रहा की सायद लोगो की सरारत है ताकि लोग भानगढ़ आये और राजस्थान मैं पर्यटन बड़े। इस से जायदा कुछ नहीं।

जब आप किसी के बारे मैं बहुँत सोचते है तो  रोमांच अपने आप भी बढने  लगता है, वैसे  ही हम सब दोस्तों का रोमांच एस बात से बाद गया क्योकि हम ने सुना था की राजस्थान मैं एक जगह है जहा पर भूत होने का दावा किया जाता है, मन बड़ा ही रोमांचित था, की आखिर एसा भी कुछ हो सकता है तो ऑफिस के सभी दोस्तों  ने प्लान किया की क्यों न एस बात की तह तक जाया जाये,  और क्यों न राजस्थान के भानगढ़ जाया जाये, तो दोस्तों प्लानिंग सुरु और एक वो भी दिन आ गया जब हम वहा  के लिए तेयार हो गए, बहुँत सारी  बाते, गूगल और दोस्तों से पता चला  की वह पर सच   मैं बहुँत भूत  रहते है, किसी ने कहा ध्यान से जाना किसी ने कहा बड़ा ही डरावना रास्ता  है वह  पर बड़े ध्यान से जाना रस्ते मैं कई रूकावटे आती है, पेड़ टूट जाता है, पर मन मैं था की जाना है और ये सारी बाते हमारे रोमांच को बड़ा रही थी, रोमाच भी भूत को देखने का, जाने से पहले सारी  तेयारिया जेसे की, गूगल से सारी  जानकारी जुटाना यूटूब से वीडियो देखना और गूगल पर बहुँत सरे ब्लॉग जिस मैं एस बात का बड़ा चड़ा का बताया गया था की रात की बात छोड़ो  वहा तो  दिन मैं भी भूत का एह्सास होता है,

वेसे भी मैं बड़ा आस्तिक बन्दा हु तो बागवान  मैं बड़ा विस्वास करता हु तो भूतो मैं भी करता हु क्योकि जब आप भगवन को मानते है तो भूतो को भी मानने पड़ेगा। एस लिए मन मैं बड़ा रोमांच था।

सन्डे की सुबह (04/11/2012) को वो दिन भी आ गया जब हम रोमाच से भरे उस सफ़र पर चल पड़े और सब के मन मैं जाने का उत्साह और डर पर सब एक दुसरे के सहारे जा रहे थे, सुबह हम  यहाँ टेम्पो ट्राव्लेर  के साथ चल पड़े चलने से पहले सब को माचिस की तीलिया दी गयी ताकि कुछ गलत न हो क्यों के सब के सब डरे हुए थे और हम ने सुना है की दर मैं ऐसी चीजे और डरती है तो अपने मन को पक्का करने के लिए टोटका, और हम ग्रुप मैं 16 दोस्त थे जिस मैं 5 लडकिया और 11 लड़के थे, रस्ते मैं बड़ा एन्जॉय किया सब ने बड़ी मुस्ती करी और दिन मैं करीब हम 1:45 हम भानगढ़ पहुचे रस्ते की मस्ती और करीब 250-275 किलोमीटर के सफ़र ने हमें थका दिया था फिर भी  एक बार भानगढ़ पहुच कर सब पहले की तरह तरोताजा लग रहे थे सब के मन मैं एक ही बात क्या आज हम भूत देख पाएंगे!

जब भानगढ़ पहुचे तो बहार से देखा तो सच मैं डरावना लगा, और गेट पर घुसते ही हनुमान जी का मंदिर, हनुमान जी को प्रणाम कर हम आगे बड़े तो वह पर टूटे हुए कुछ खंडहर नज़र आये और उस के भर भारतीय पुरातव वालो ने लिखा था की ये उस टाइम का बाज़ार था, कही पर लिखा था की यहाँ पर नर्तकी रहती थी, उन की बातो का विश्वास  करते हुए हम आगे बड़े, वह पर एक मंदिर है जो की खंडित था  हम सभी लोग वहा  गए और देख कर कुछ एसा लगा की सायद जो यहाँ की कहानी मैं बताया गया है सायद वो  सच है, की यहाँ पर कुछ भी सही सलामत नहीं है सब खंडित है, आगे बड़े तो एक किला है जो की दो मंजिला है, पूरा एक दम खंडहर है उस मैं कुछ भी नहीं बचा था लोग वह पर हमरी तरह घूम रहे थे हम जा -जा कर अंधरे कमरों मैं भूतो को ढूँढ  रहे थे, पर ये हमारी खुस्किमती कहो या भूतो का दुर्भग्य की न वो हमें नज़र आये उन का पता नहीं की वो हमें देख पाए या नहीं।

शाम होते होते सब के सब हेरान परेशान की भूत  कब मिलंगे, पर एस का जवाब किसी के पास नहीं था, तो सोच की जब इतनी दूर से आये है और इतना इतना टाइम दिया है तो थोडा सा देर और रुक जाते है क्योकि हम ने पड़ा था की शाम ढलने के बाद और सुबह होने से पहले वह पर जाना वर्जित था  तो सोच की सायद शाम ढलने के बाद कुछ नज़र आ जाये फिर भी रोमांच की उस ललक मैं हम ने यहाँ  थोडा और देर रुकने का फेसला लिया की सायद हमरी भूत वाली ललक पूरी हो जाये पर सायद ये भगवान को ये भी मंजूर नहीं था और शाम को करीब हम ने 6:30 पर वहा से वापस लोट जाने का फेसला किया और हम वहा से लोट आये !!!

एस पुरे ट्रिप मैं भूत तो नहीं मिला पर हा अपने दोस्तों के बड़े सारे रंग मिले, और रास्ते मैं सभी दोस्तोने बड़ा एन्जॉय किया और ज़िन्दगी का एक और दिन हसी खुसी गुजर गया, मेरा और हमरी टीम का कुछ एसा तजुर्बा रहा की सायद लोगो की सरारत है ताकि लोग भानगढ़ आये और राजस्थान मैं पर्यटन बड़े। इस से जायदा कुछ नहीं।





रविवार, 28 अक्टूबर 2012

INDEPENDENT JOURNALIST/MEDIA

 
दोस्तों आज, हम स्वतन्त्रत भारत मैं रहते है, पर आप को कब अपनी स्वतन्त्रता का आभास होता है, मुझे जरूर बताये जिस प्रकार से भ्रष्टाचार ने अपनी पकड़ बना ली है, इस के बाद भी आप अपने को स्वतन्त्रत समझते है तो अच्छी बात है, वेसे भी मैंने बोला न बनिया गुड नहीं गुड जेसी बात भी कर ले तो उसके ग्राहक को लगता है की बनिया गुड ही बात रहा है, वेसे ही जब भी हम स्वतन्त्रत भारत भारत की बात करते है तो हमें लगता है की हम स्वतन्त्रत है.

लेकिन सच बोलू तो आज कुछ भी नहीं रहा स्वतन्त्रत कहने को ही रह गए है, आप कही भी आप जाते है कोई भी सरकारी या अर्धसरकारी ऑफिस मैं तो आप भ्रष्टाचार से दो चार होते है, अगर आप मेरी बात से इतफाक नहीं रकते तो अपने कमेंट्स जरूर दे, क्योकि जब मुझे मेरी गलती बताते है तो कम से कम मैं अपनी गलतियों को सुधारने मोका मिल सके, पर मैं ये बात भी मानता हु की आप मैं से जायदातर लोग मेरे से सहमत होंगे, हमारी गाढ़ी कमाई एसे लोगो के हाथ मैं है वो इस का नाजायज़ फायदा उठा रहे है, उस का उपयोग अपने निजी फायदे के लिए कर रहे है, और ये फायदा अपने जानने वो और अपने चाहितो को लुटा रहे है, देश की तरकी के नाम पर सरकारी खजाने के धन को पानी की तरह को लुटा रहे है, आप कही से भी सुरु करो आप देखंगे की जिस को जहा से मोका मिल रहा है वही से लुट सुरु कर देता है!

दोस्तों एसा कब होता है पता है कब जब एसे लोगो की मन से कानून वय्वाथा का डर निकल जाता है, उन्हें मालूम है, सरकार उनकी है सरकार मैं बेठे हुए लोग उन के है, तो दर काहे का और इस तरह से ये लूट चलती रहती है, जो भी इस के खिलाफ आवाज ठाठ है उस की आवाज दबा दी जाती है, क्योकि सता मैं बेठे हुए लोग नहीं कहते की एसा कुछ हो जिस से उन के उप्पर को प्रश्न कर सके.

दोस्तों सब से बड़ी दुःख की बात तो ये है की अब तो भारत का मीडिया भी स्वतन्त्रत नहीं रहा वो भी भ्रष्टाचार मैं लिप्त हो गया है उस पर कुछ परभाव साली लोगो का दबदबा हो गया है, उन से वोही बात बुलवाई और दिखने की लिए कहा जाता है जिस से उनका हित और उनकी सरकार, उनकी पार्टी का हित नज़र आता है, उन से कहा जाता है की लोगो की समझ को बदलो ताकि वो लोग एसा महसूस करे जेसा वो लोगो को महसूस करवाना चाहते है, आज के टाइम मैं मीडिया एक एसा माध्यम है जिस पर पूरा देश अगर मैं बोलू की पूरा विश्व आश्रित है तो कोई अतिसियोक्ति नहीं होगी, सुच मैं एसा है और एसे मैं मीडिया की ये जिमेवारी बन जाती है की वो सिर्फ और सिर्फ इसी खबरों को दिखाए जिस से आम आदमी का सरोकार हो...


पर मुझे आज ये कहते हुए बड़ा दुक हो रहा है की भारत का मीडिया बिक चूका है और सायद ये इस देश और इस देश की जनता के लिए सब से बड़ा नुकसान हो रहा है , जब तक आप अपने देश मैं मीडिया को स्वतन्त्रत नहीं रख पाएंगे आप उस देश की आत्मा को जिन्दा नहीं रख पाएंगे...

इस लिए दोस्तों आज जो एक छोटा सा विचार मैंने दिया है आप उस पर अपनी राय जरूर दे मैं एक बात मानता हु, किसी शायर ने बड़ा खूब कहा है, "कोन कहता है की आसमान मैं छेद नहीं हो सकता बस एक पथेर तो हिमत से उछालो मेरे दोस्तों" इसी के साथ मैं अपने इस ब्लॉग को स्थगित करता हु क्यों की अगर मैं इसे ख़तम कर दूंगा तो ये इस के साथ अन्याय होगा तो दोस्तों अपने विचार इस पर जरूर दे...

मंगलवार, 25 सितंबर 2012

Helping Hand... Life In Real India


                     

                      

                                   बात बीते हुए शुक्रवार  की घर से रोज के टाइम से थोडा सा पहले चला सोचा की आज कल ऑफिस मैं ऑडिटर आया हुआ है तो थोडा  सा जल्दी चला जाता हु, अब आप इस  का मतलब ये मत समझना की मैं ऑफिस टाइम से नहीं जाता हु मैं अपनी पूरी कोशिस करता हू की टाइम रहते ऑफिस पहुच  जाऊ और जहा से मैं जाता और वो रास्ता भी बढ़िया है पूरा राजनेताओ के  घरो के बीच और सरकारी ऑफिस के रास्तो से निकलता हुआ झंडेवालान, तो शुक्रवार  को घर से चले तो सब कुछ रोज की तरह सब कुछ ठीक  चल रहा था अचानक मेरी मोटर साइकिल ने कर्रेंट छोड़ दिया मैंने बहुँत कोशिस की, की ये सटार्ट हो जाये पर मेरी सारी मेहनत बेकार,  अपने आप मैं जितना जनता था मैंने उस को ठीक करने का कोशिस की  पर सब कुछ बेकार रहा, आखिर मैं हार कर मैंने अपने दोस्त को फ़ोन किया जो की मेरे ही रस्ते से आता था तब टाइम हो रहा था  ८:३५,  दूसरी बार की रिंग मैं उसने  मेरा फ़ोन  उठया और मैंने  उन को आप बीती बताई इस पर उन्होंने मुझे बोला की मैं आता हु थोड़ी देर मैं.... आप वेट करो... 

                                    सोचा की जब तक वो आएगा  इतनी देर  मैं  मोटर साइकिल को साइड मैं खड़ा कर के बेठ जाता हू और मैंने  एसा ही किया पर थोड़ी देर बाद मेरे से बेठा नहीं जा रहा था तो सोचा क्यों न जब तो मेरा दोस्त आएगा तब तक मैं थोडा सा आगे की और चलता हू और मैंने एसा ही किया और अपनी मोटर साइकिल को ले कर (धक्का दे कर ) आगे जाने लगा थोई ही देर बाद मैं पूरी तरफ से पसीने मैं था पर मैं आगे ही बढता जा रहा था की कही तो कोई मेकेनिक मिल जाये, इतनी देर मैं कई लोग मेरे सामने से निकले और आगे बाद गए और थोड़ी देर बाद एक भाई साहब आग खड़े थे बोले की क्या हुआ आप की मोटर साइकिल को तो मैंने बताया कुछ नहीं बस  ये स्टार्ट नहीं हो रही है तो बोला आप ने एस का प्लउग चेक किया मैंने बोला हा वो तो किया पर स्टार्ट नहीं हो रही है तो बोले कोई बात नहीं आप मोटर साइकिल पर बेठ जाओ मैं अपनी मोटर साइकिल से आप की मोटर साइकिल धक्का दे कर आगे ले कर चलता हु मैंने बोला की नहीं मैंने अपने दोस्त को फ़ोन किया है और वो आने वाला है उस ने बोला की कोई बात नहीं अगर आप बोले तो मैं आप को आगे तक ले कर चल सकता हु मैंने उन को अपना अभिनन्दन दिया और बोला की मैं अपने दोस्त का वेट कर लेता हु उस के बाद उस सज्जन वह से चले गए.

               एस के थोड़ी देर बाद फिर और एक सज्जन मेरे पास आये और फिर से मुझे (धक्का दे कर) आगे तक ले जाने की बात करने लगे मैंने उन सज्जन को भी मना कर दिया और वो सज्जन भी चले गए उन के जाने के बाद मैंने सोचा की ये क्या था!

               क्योकि अगर मैं अपनी बात करू तो मैं किसी के लिए कभी  नहीं रुका की अगर किसी की मोटर साइकिल या गाड़ी  खराब हो गयी हो उस दिन मुझे उस पीड़ा का अहसास हुआ की कितनी पीड़ा होती है जब आप कही जा रहे हो बात ये नहीं की आप मोटर साइकिल पर जा रहे हो या कार पर अगर आप को रस्ते मैं कोई एसा मिले उस के पास जा कर उस की मदद जरूर करे आप उस समय समझ नहीं पायेंगे की आप उस के लिए क्या क्या कर रहे है उस समय आप उस आदमी के लिए (जिस की गाड़ी ख़राब ) है भगवान का रूप है....... तो दोस्तों अगर कभी एसा मोका मिले तो जरूर मदद करे क्योकि मैं तो अपने तजुर्बे ये सीखा.....


सोमवार, 27 अगस्त 2012

India against corruption movement 26/08/2012

                               

                    कल जो लोगो का जनसमर्थन अन्ना की टीम को जंतर मंतर पर मिला उस से टीम अन्ना के उत्साह को नए पंख मिले है और उन लोगो को एक बार फिर सोचने को मजबूर कर दिया है जो कह रहे थे की अन्ना के आन्दोलन मैं अब वो धार नहीं रही वो अपने मुदे से भटक  गए है, उन का जनसमर्थन पहले के मुकाबले कम हुआ है पर कल के आन्दोलन ने इस बात को साबित कर दिया की एसा कुछ नहीं है अन्ना के साथ कल भी लोग थे और आज भी लोग है और सब से बड़ी  बात ये खरीदे हुए लोग नहीं थे ये वो लोग थे जो अपने आप अपना जन समर्थन देने आये हुए थे. जिस से इस आन्दोलन की सार्थकता बनती है. 

    एस बात से पता चलता है की अन्ना जी ने जिस मुदे को उठाया है उस ने भारत की सभी लोगो को कही न कही परेशान किया हुआ  है (भ्रष्टाचार) लोग कही न कही किसी न किसी प्रकार से भ्रष्टाचार से परेशान है, इस मैं गरीबी और आमिरी का भी फर्क नहीं है  और लोगो को अन्ना के साथ उमीद की किरण नज़र आ रही है. अन्ना जी ने जब एस से पहले अपना आन्दोलन ख़तम किया था तो कांग्रेस को ये कहने का मोका मिला की अब अन्ना के साथ गिने चुने लोगे  का रह गया है लेकिन कल के आन्दोलन ने कांग्रेस को दुबारा से सोचने पर मजबूर कर दिया है.

कल जो कुछ भी हुआ जिस प्रकार  से आन्दोलन को कुचलने की कोसिस की गयी इसे देख कर  एसा लगा मानो हम अंग्रेजो के टाइम मैं दुबारा से चले गए हो और हु अंग्रेजो  से कुछ माग रहे हो,  जो कुछ भी घटना कर्म कल  हुआ वो बड़ा ही शर्मनाक था  जेसे की पहले आन्दोलन को डेल्ही पोलिसे के दवरा आन्दोलन करने की अनुमति न देना फिर दे देना फिर मेट्रो स्टेशन को बंद कर देने का फेसला ताकि जायदा लोग आन्दोलन के साथ न जुड़ सके धारा १४४ लगा देना ताकि ४ से अधिक लोग एक जगह पर इकठा न हो सके एसा लगा जेसे चोर पोलिसे का खेल चल रहा हो, फिर निहते शांतिपूर्वक आन्दोलन कर रहे लोगो के उप्पेर पुलिसिया लाठिया बरसाई गयी आंसू गैस के गोले छोड़े गए पानी की बोछार की गयी ये इस सरकार की तानाशाही को दर्शाती है. और इस बात को भी बताती है की सरकार किसी भी आवाज को उठाने नहीं देगी. 

 मीडिया ने जिस प्रकार से आन्दोलन से मुह मोड़ कर रखा इस बारे मैं मैं क्या कहू  एक तरफ से इस देश मैं भ्रष्टाचार को ले  कर इस देश का आम आदमी सडको पर आन्दोलन कर रहा था और मीडिया उस समय एक था tiger फिलम के  बारे मैं बता रहा था उस को इस देश की आम जनता से बड कर एक था tiger  वाली खबर को जायदा एहमियत दी, इस से जायदा और क्या बोला जाये की किस प्रकार  से मीडिया सवेदना से परे हो गया है  मैंने इस से पहले भी अपने बोलग पर लिखा है की जिस देश का मीडिया आजाद नहीं रहेगा उस देश मैं  जनतंत जयदा दिन तक  जिन्दा नहीं रह पायेगा, मीडिया को आन्दोलन से जायदा किरण बेदी की आन्दोलन मैं शामिल न होने वाली खबर को जायदा तवाजो दी सारे न्यूज़ चंनेलो पर एक ही खबर टीम अन्ना मैं दरार... क्या न्यूज़ थी जहा पर आन्दोलन हो रहा था वह की कोई न्यूज़ नहीं... मीडिया को कब क्या दिखाना चहिये इस बात को बताने की जरूरत नहीं होनी नहीं चाहिये मीडिया का आपना विवेक और खबरों को ले कर एक दायरा होता है उसे उन का निर्वाहन करना चाहिये.

अनन्त अन्ना की टीम  अरविन्द केजरीवाल और उन के साथियों दवारा एक बार फिर सरकार के सामने अपनी उपस्थि दिखयी. 


 

सोमवार, 20 अगस्त 2012

Curruption in Media

                 


             दोस्तों आज, हम स्वतन्त्रत भारत मैं रहते है, पर आप को कब अपनी स्वतन्त्रता का आभास होता है, मुझे जरूर बताये जिस प्रकार से भ्रष्टाचार ने अपनी पकड़ बना ली है, इस के बाद भी आप अपने को स्वतन्त्रत समझते है तो अच्छी बात है, वेसे भी मैंने बोला न बनिया गुड नहीं गुड जेसी बात भी कर ले तो उसके ग्राहक को लगता है की बनिया गुड ही बाट रहा है, वेसे ही जब भी हम स्वतन्त्रत भारत भारत की बात करते है तो हमें लगता है की हम स्वतन्त्रत है.

लेकिन सच बोलू तो आज कुछ भी नहीं रहा स्वतन्त्रत कहने को ही रह गए है, आप कही भी आप जाते है कोई भी सरकारी या अर्धसरकारी ऑफिस मैं तो आप भ्रष्टाचार से दो चार होते है, अगर आप मेरी बात से इतफाक नहीं रकते तो अपने कमेंट्स जरूर दे, क्योकि जब मुझे मेरी गलती आप बताते है तो कम से कम मुझे अपनी गलतियों को सुधारने मोका मिल सके, पर मैं ये बात भी मानता हु की आप मैं से जायदातर लोग मेरे से सहमत होंगे, हमारी गाढ़ी कमाई एसे लोगो के हाथ मैं है वो इस का नाजायज़ फायदा उठा रहे है, उस का उपयोग अपने निजी फायदे के लिए कर रहे है, और ये फायदा अपने जानने वो और अपने चाहितो को लुटा रहे है, देश की तरकी के नाम पर सरकारी खजाने के धन को पानी की तरह को लुटा रहे है, आप कही से भी सुरु करो आप देखंगे की जिस को जहा से मोका मिल रहा है वही से लुट सुरु कर देता है!

दोस्तों एसा कब होता है पता है कब जब एसे लोगो की मन से कानून वय्वाथा का डर निकल जाता है, उन्हें मालूम है, सरकार उनकी है सरकार मैं बेठे हुए लोग उन के है, तो डर काहे का और इस तरह से ये लूट चलती रहती है, जो भी इस के खिलाफ आवाज उठाता है उस की आवाज दबा दी जाती है, क्योकि सता मैं बेठे हुए लोग नहीं कहते की एसा कुछ हो जिस से उन के उप्पर को प्रश्न कर सके.

दोस्तों सब से बड़ी दुःख की बात तो ये है की अब तो भारत का मीडिया भी स्वतन्त्रत नहीं रहा वो भी भ्रष्टाचार मैं लिप्त हो गया है उस पर कुछ परभाव साली लोगो का दबदबा हो गया है, उन से वोही बात बुलवाई और दिखने की लिए कहा जाता है जिस से उनका हित और उनकी सरकार, उनकी पार्टी का हित नज़र आता है, उन से कहा जाता है की लोगो की समझ को बदलो ताकि वो लोग एसा महसूस करे जेसा वो लोगो को महसूस करवाना चाहते है, आज के टाइम मैं मीडिया एक एसा माध्यम है जिस पर पूरा देश अगर मैं बोलू की पूरा विश्व आश्रित है तो कोई अतिसियोक्ति नहीं होगी, सुच मैं एसा है और एसे मैं मीडिया की ये जिमेवारी बन जाती है की वो सिर्फ और सिर्फ इसी खबरों को दिखाए जिस से आम आदमी का सरोकार हो...

पर मुझे आज ये कहते हुए बड़ा दुःख हो रहा है की भारत का मीडिया बीक चूका है और सायद ये इस देश और इस देश की जनता के लिए सब से बड़ा नुकसान हो रहा है , जब तक आप अपने देश मैं मीडिया को स्वतन्त्रत नहीं रख पाएंगे आप उस देश की आत्मा को जिन्दा नहीं रख पाएंगे...

इस लिए दोस्तों आज जो एक छोटा सा विचार मैंने दिया है आप उस पर अपनी राय जरूर दे मैं एक बात मानता हु, किसी शायर ने बड़ा खूब कहा है, "कोन कहता है की आसमान मैं छेद नहीं हो सकता बस एक पथेर तो हिमत से उछालो मेरे दोस्तों" इसी के साथ मैं अपने इस ब्लॉग को स्थगित करता हु क्यों की अगर मैं इसे ख़तम कर दूंगा तो ये इस के साथ अन्याय होगा तो दोस्तों अपने विचार इस पर जरूर दे...

सोमवार, 6 अगस्त 2012

"Anna" 2012 Indian anti-corruption movement




02/08/2012  को एक दम से चोकने वाला फेसला अन्ना और अन्ना की टीम की तरफ से, आखिर एसा क्या हुआ एक दम से किसी को कुछ खबर नहीं, दिन होते होते जहा लोगो का उत्साह बढता जा रहा था, वही दूसरी तरफ मंच से बार बार एक अपील की जा रहे थी की आप से एक प्रशन किया जा रहा है आप उस का जवाब हा या न पर दे, और थोड़ी देर मैं  मंच से एक दम से सब कुछ बदल गया, एक के बाद एक वक्ता आते गए जो एस बात को कह रहे थे की अन्ना को अपना ये आन्दोलन वापिस ले लेना चाहिये, और थोड़ी देर बाद अन्ना जी मंच पर खड़े हुए और उन्होंने बोलना सुरु किया, अगर मैं सुच बोलू तो मेरी कानो को यकीन नहीं हो रहा था जो भी अन्ना जी बोल रहे थे, मैं एसा मानता हु की अन्ना के इस कदम से उस हर भारतवासी को धक्का पंहुचा होगा जो अपना सब कुछ छोड़ कर अन्ना के साथ अन्ना की इस मुहीम मैं शामिल हुआ था. जि ने अन्ना जी के साथ अपना नाता जोड़ा था जिस अन्ना पर हर भारतवासी का विस्वास होने लगा था, वो एक दम से दुमिल हो गया....

वो अपने आप को ठगा हुआ सा महसूस कर रहा है की आखिर एसा क्या हुआ की आन्दोलन को समाप्त करने की इतनी जल्दी हो गयी, क्यों नहीं मुदो को जनता के सामने रखा गया, क्यों नहीं जनता को कांफिडेंस मैं रखा गया आखिर क्यों, और अगर आन्दोलन को ख़तम ही करना था वो भी बेनतीजा तो इस आन्दोलन की कोई जरूरत नहीं थी, दोस्तों अगर हम किसी को आसमा मैं उठा सकते है तो अगर उस ने कोई एसा गलत कदम उठया तो उस की नींदा करना भी हमारा ही कम है नहीं तो वो निरकुंश हो जायेगा, जंतर मंतर पर बेठे हुए लोगो से अगर आप बात करो तो वो लोग निरासा से भरे हुए है, उनका कहना है  ठीक है आप अपना आन्दोलन ख़तम कर देते पर कम से कम उन लोगो के बारे मैं जरूर सोचते जो आप के साथ पिछले ९ दिनों से आप के साथ अनसन मैं आप का पूरा साथ दे रहे है, जिन्होंने अपने परिवार को एस देश के लिए त्याग दिया, अन्ना तो उन के प्रेरणा स्रोत तो आखिर एसा क्या हुआ ये प्रशन उन के मन मैं है, लोगो के मन मैं ये प्रश्न है कही ये केजरीवाल के कारन तो नहीं हुआ, उस की तबियत को देखते हुए तो ये कदम नहीं उठाया ये सारे प्रश्न है, हर भारतवासी के मन मैं जो अन्ना जी के साथ जुड़े थे, और सब से बड़ी बाद अब की बार अन्ना जी या अन्ना जी टीम ही अनशन मैं नहीं बेठी थी अब की बार और 400 सो लोग अन्ना जी के साथ अनशन मैं बेठे थे, क्या उन लोगो की राय ली गयी.

आज तक राजनीती से दूर रहने वाला सत्याग्रही एक दम से राजनीती की बात करने लगा, हो सकता है, उन का ये फेसला ठीक हो और इस का फेसला तो आने वाला टाइम और इस देश की जनता ही करेगी की आखिर हम कहा पर भटक गए और कहा पर हम ने सही रास्ता चुना... लेकिन एस मैं कोई दो राय नहीं है अगर अन्ना जी इतना जन समर्थन मिला उस का कारन था उन का किसी भी राजनितिक दल मैं न होना....

दोस्तों एक और बात अन्ना जी ने जो अपने अनशन की समाप्ति के टाइम पर कहा की हम लोगो के बीच जा कर सही लोगो का चुनाव करेंगे और उन को सता मैं ले कर जायेंगे, उन का ये फेसला काबिले तारीफ है लेकिन एस मैं एक प्रश्न चिन्ह है वो आने वाला टाइम ही हटाएगा.