शनिवार, 3 जनवरी 2015
शनिवार, 9 अगस्त 2014
डेल्ही में ट्रैफिक जाम की समस्या और हमारे नेता
दोस्तों आप में से मेरे कई दोस्त ऐसे होंगे जो की दक्षिणी डेल्ही की एक खास समस्या से जूझ रहे है और हम इस समस्या को कई बार नज़र अंदाज़ भी कर देते है, आज का ये मेरा ब्लॉग है डेल्ही मैं लगने वाले उच्च राजनीयको के रूटों को ले कर.जिन को लेकर जनता को कई बार दो चार होना पड़ता है!
मेरा ऐसा मानना है की आप जरूर कभी न कभी डेल्ही मैं इन उच्च राजनीयको के रूटों के कारण जाम मैं फसे होंगे, जाम में फसना वैसे तो ये डेल्ही वालो की रोजमर्रा की जिंदगी का हिस्सा हो गया है, पर कई बार जब ये पता चलता है की ये जाम सिर्फ उच्च राजनीयको के रूटों की वजह से लगा है तो बड़ा गुस्सा आता है.
उस बड़े नेता के चक्कर में अगर किसी का नुकसान हुआ है तो वो है आम जनता का जिन्होंने ट्रेन पकड़ने के लिए अलग अलग डेल्ही के स्टेशन पर जाना था,किसी को कही जाना था किसी को कही सब को कही न जाना था मुझे यह देख कर बड़ा दर्द हुआ की वो लोग जिन की ट्रेन का टाइम निकलता जा रहा था वो तो बस और गाड़ी के अंदर ही रोने लग पड़े, की उन की ट्रेन निकल जाएगी और वो अपने घर या अपनी गंतव्य स्थान तक नहीं पहुंच पाएंगे इस मैं उन लोगो की कोई गलती नहीं वो अपने सही समय से घर से अपने गंतवय स्थान के लिए निकले थे पर उन्हें नहीं पता था की आज उच्च राजनीयको के रूटों लगने वाला है। आप तो वैसे ही जानते है की भारतीय रेल मैं कन्फर्म टिकट लेना कितना मुश्किल काम है और उस के बाद अगर आप का ट्रेन सिर्फ इन राजनेताओ की रूट के वजह से छूट जाये तो किसी भी व्यक्ति की मनोदशा को समझ सकते है .
आखिर उस वयक्ति की क्या गलती, ये तो कुछ बी ही भी नहीं कई बार जब इस तरह की रूटों की बीच एम्बुलेंस आ जाती है फिर भी हमारे पुलिस के अधिकारी उस एम्बुलेंस को नहीं जाने देते चाहे उस के अंदर वाला मरीज किसी भी हालत में क्यों न हो!
क्या यही है हमारी वयवस्था की हम आम लोगो को इन नेताओ के लिए परेशान करे, आखिर कौन है जो जनता के लिए सोचेगा, कब तक मुसाफ़िर ऐसे है जाम मैं फस कर अपनी बस ट्रेन और मरीज अपनी जान गवाते रहंगे!
शायद आप ने इन बातो पर गोर न किया हो मैंने भी नहीं किया था पर आज जब मैंने लोगो को रोते हुए देखा और उन के दर्द को महसूस किया तब मेरे को लगा की नहीं, शायद मुझे ही इस की शुरुवात करनी पड़ेगी मैंने अपना काम किया अब आप लोग अपना काम करे इस ब्लॉग को इतना शेयर करे ताकि आम जनता का दर्द
हमारी सरकार तक पहुंचे और वो इस रूट वयवस्था की कमियों को दुरुस्त करे
रविवार, 3 अगस्त 2014
नयी मुसीबत है ये ई - रिक्शा
आज बात डेल्ही की और डेल्ही में चलने वाले ई - रिक्शा की, डेल्ही की सड़को पर बेखौफ मन मौजी तरीके से डोलते हिंडोले लेते ये मौत के फ़रिश्ते जिन के लिए न कोई कानून है न कोई कायदा ___ काफी बार सोचता हु की आखिर क्या हो गया है हमारी सरकार को किसी भी बात को लेकर सवेदनशील ही नहीं है. इतने दिनों ये ये ई - रिक्शा का मामला जोरो शोरो से चलाया जा रहा था ! लेकिन किसी कोई मतलब ही नहीं, डेल्ही में तो कुछ ऐसा हो गया है की एक मुसीबत जाती नहीं दूसरी आ जाती है! अब नयी मुसीबत है ये ई - रिक्शा जिनका परिचालन सरकार को सड़को से हटा लेना चाहिए चाहिए !

दोस्तों शायद आप आप ने त्रिलोक पूरी की घटना का संज्ञान लिया हो, जिस में एक मासूम ने अपनी जान गवा दी और ये सब हुआ सिर्फ ई - रिक्शा की टक्कर की वजह से वो बच्चा खोलते हुए तेल कड़ाही में गिर गया और अपनी जान गवा दी, साथ ही उस मासूम की जान बचाने के चक्कर में उसकी माँ के दोनों हाथ भी जल गए!
उस के बाद सरकार ने तो नहीं लेकिन हमारे उच्च न्यायालय ने इस घटना का संज्ञान लेते हुए अगले आदेश तक इन ई - रिक्शा के परिचालन पर रोक लगा दी है, पर मेरा सवाल जस का तस क्यों हम सब दुर्घटनाओ का इंतज़ार करते है क्यों नहीं हम पहले से ही दुर्घटनाओ से बचने के तरीके खोज पाते, ताकि हम आम जनता की जान माल की रक्षा कर सके, और उन नियम कानूनो को सख्ती से लागु किया जाये। या फिर ये हमारी आदत में शुमार हो गया है की पहले दुर्घटनाओ को हो जाने दो फिर जा कर हमारी सरकार की नींद खुलेगी, क्यों हम लोगो की जान गवाने तक इंतज़ार करते है.
ऐसा नहीं है की ये पहली घटना है इस से पहले भी कई बार ई - रिक्शा के परिचालन को लेकर सवाल उठे पर फिर वोही ही राजनीतिक दलों की रोटिया और फिर दुबारा से कुछ नही.
मैं कोशिस कर रहा हु इन ई - रिक्शा के परिचालन से होने वाली परेशानियों के बारे में से अगर आप मेरी बातो से सहमत हो तो मेरा ये बॉलग जरूर शेयर करे ताकि जायदा से जायदा लोगो तक जागरूकता फैला सके और अपनी आवाज को सरकार और सम्बन्दित कार्यालयों तक पंहुचा सके.
- अवैध ई - रिक्शा:- अभी तक सरकार के दवारा कोई भी ऐसा कानून नहीं लाया गया है जिस से हम इन ई - रिक्शा की जिम्मेदारी तय कर सके, इन का कोई चालान या इस को चलाने के लिए कोई किसी प्रकार का कोई लाइसेंस नहीं लेना पड़ता, ज़यादातर ई - रिक्शा छोटे मोटे माफिया लोगो के है जो इन को किराये पर दे कर पैसा कमा रहे है,
- बांग्लादेशी ड्राइवर : इन ई - रिक्शा के कारोबार में कई बांग्लादेशी नागरिको भी पैसा कमा रहे है, उन की महिलाये डेल्ही के घरो मैं काम करती है और बांग्लादेशी पुरष अब इन ई - रिक्शा के परिचालन में लग गए है जिस कारण डेल्ही मैं स्लम बढ़ता ही जा रहा है !
- बिजली चोरी की समस्या:- ई - रिक्शा के साथ ही एक और समस्या ने विकराल रूप ले लिया है और वो है बिजली चोरी की और साथ ही इन बैटरियों को चार्ज करने के लिए भी वो सरकारी बिजली की चोरी कर रहे है! इन ई - रिक्शा को चार्ज करने के बिजली से चार्ज करना पड़ता है !
- ई - रिक्शा की बनावट :- अभी मैं पड रहा था की ई - रिक्शा के बनावट में भी ढेर सारी कमिया कारण ये ई - रिक्शा कभी भी पलट जाते है और लोगो को अपनी जान से हाथ गवाना पड़ता है!
- क्षमता से अधिक सवारी :- कम समय में जयादा पैसा कमाने की चाह मैं क्षमता से अधिक सवारी बैठा लेते है जिस कारण दुर्घटनाये होने की संभावना भी बड़ जाती है!
- ई - रिक्शा की रफ़्तार:-हमारी डेल्ही ही अपने कम रफ़्तार सड़को के लिए जाना जाता है उस के बाद ये ई - रिक्शा की कम रफ़्तार की वजह से हमारी यातायात की रफ़्तार में भी कमी आई है जिस कारण हम सड़को पर लम्बा लम्बा जाम देखते है !
- रातो को ई - रिक्शा लाइट न जलाना:- अपनी ई - रिक्शा की बैटरी को बचाने के लिए ये लोग अपने ई - रिक्शा का लाइट नहीं जलाते है जिस ने इन के आने पता नहीं चलता और दुर्घटना हो जाती है!
मेरा ऐसा मानना है की इस ई - रिक्शा को डेल्ही की सड़को से हटा कर दूरदराज के छेत्रो मैं चलाया जाना चाहिए क्यों की अगर डेल्ही मैं ये ई - रिक्शा ऐसे ही चलते रहे तो डेल्ही की यातायात वयवस्था जो पहले से ही धीमी और अयस्त -व्यस्त है संभालना और भी मुस्किल हो जायेगा!
शनिवार, 26 जुलाई 2014
भारत मैं बलात्कार के बडते मामले "एक पड़ताल "
आज का ये मेरा ब्लॉग समर्पित है, लखनऊ की बलात्कार पीड़िता को, जो की अब इस दुनिया मैं नहीं रही, मैं भगवान से उसकी आत्मा की शांति की प्राथना करता हु!

मेरे को बढ़िया से याद है जब डेल्ही मैं दामिनी बलात्कार घटना हुई थी, उस के बाद देश के लोगो मैं बड़ा आक्रोश हुआ था, बड़ी सारी कोशिस हुई इन घटनाओ को रोकने को लेकर कानून बनाने की बात हुई, पुरे देश मैं इस घटना को लेकर जिस प्रकार का माहौल था उस के बाद हम सब को लगा की शायद अब इस प्रकार की घटनाओ की पुनरावर्ती नहीं होगी, लेकिन मुझे बड़े खेद के साथ कहना पड़ रहा है की, ये सब बातें अब हवाई हो गयी है सब लोग उस घटना को भूल गए है! सब लोग अपने मैं इतने वयस्त की किसी को किसी से कोई फर्क ही नहीं पड़ता! सब लोगो ने अपने समाज का एक दायरा बना लिया है और वो लोग इस दायरे से बहार नहीं निकलना चाहते !
और, जब तक ये ":चलता है वाला हमारा रविया" रहेगा मैं दावे के साथ कह सकता हु तब तक हम इन घटनो को नहीं रोक पाएंगे!
मैं इस ब्लॉग के दवारा आपका ध्यान खीचना चाहता हु की, भारत मैं बलात्कार की घटनाये कोई नयी घटनाये नहीं है ये भुतकाल से चली आ रही है पहले ये घटनाये कम थी पर वर्तमान मैं इन की संख्या बड़ गयी है, लेकिन भुतकाल और वर्तमान काल के बलात्कारों मैं जो मूलभूत बदलाव आया है वो है वो है इन घटनाओ में पीड़िता के साथ होने वाली यौन हिंसा, जैसा की हम वर्तमान की घटनाओ में देख रहे है.
जैसा की मैंने अपने पहले के ब्लॉग में भी लिखा था की आखिर क्यों लोगो मैं इतनी हिंसा भर गयी है, क्यों पीडा व संवेदनाये खत्म होती जा रही है
वर्तमान में जब भी कोई बलात्कार की घटना हमारे सामने आती है तो सभी टीवी चैनेलो पर इस बारे मैं बहस शुरू हो जाती है, की आखिर ये घटनाये क्यों हो रही है, तो कई लोग का मत लड़कियों/औरतो के पहनावे को दोषी बताते है कुछ लोग आदमियो की मानसिकता को गलत बताते है !
हमें इस बात को समझना होगा की, भले ही हम भारत को 21वी सदी में देखते है पर आज भी हमारे समाज में पुरुष की प्रधानता है, और ये प्रधानता आदि काल से चली आ रही है अगर हम सोचे की हम इस को कुछ समय मैं ही बदल देंगे तो शायद यह हमारी गलत सोच होगी, ये मंजर भी बदलेगा पर समय लगेगा, हमें इस बात को समझना होगा की हम भारतीय सिर्फ कपडे बदलते है सोच नहीं, और जब तक सोच नहीं बदलेगी तब तक इन घटनाओ को रोक पाना मुश्किल होगा और ये सोच सिर्फ पुरुष ने ही नहीं स्त्रियों ने भी बदलनी है इस बात को हमें समझना होग.
अब हम समझने की कोशिस करेंगे की आखिर इन घटनाओ के बढ़ने के पीछे क्या कारण हो सकते है.
मीडिया :- आज आप किसी भी टीवी चैनल को देख लीजिये, भारत में बनने वाली फिल्मो को देख लीजिये जहा पर परिवारिक समरसता को खत्म दिखाया जा रहा है, और औरत को सिर्फ "भोग" की वस्तु दिखाया जा रहा है, जिस का परिणाम हम आज समाज में देख रहे है, आधुनिकता के नाम पर जिस तरह का "नंगा" नाच मीडिया में दिखाया जा रहा है उस के लिए कोई आवाज नहीं उठाता, मैंने खुद कुछ ऐसी फिल्मे देखी है जिस को हमारी सरकार ने (u /a ) प्रमाण पत्र दिया है पर आप उन फिल्मो के कुछ दृश्यों को अपने माता पिता और अपने बच्चो के साथ नहीं देख सकते.
जब कोई इस नग्नता की खिलाफ आवाज उठता है, तो उसे संकीड़ (छोटी सोच ) वाला बताया जाता है, उसे आधुनिकता के खिलाफ बताया जाता है, और उसे बेइज़त किया जाता है, यही कारण है की कोई इस के लिए आवाज नहीं उठाता, जब की यही सच्चाई है.
जब भी देश में कही भी बलात्कार की घटना होती है उसे सामचार चैनल उसे मसाला लगा कर दिखाते है, इन चैनल वालो की किसी की भावनाओ और सवेंदनाओ से कोई मतलब नहीं, जितना हो सकेगा उस खबर को मिर्च मसाला लगा कर दिखायेंगे ताकि उन के न्यूज़ चैनल की T R P बड़े. हम को इस बात को समझना होगा की कुछ न्यूज़ बड़ी ही संवेदनशील होती है उन को उतनी ही सवेदना के साथ दिखाया जाना चाहिये , ताकि समाज में एक स्तर कायम रह सके.
सूचना प्रद्योगकी का गलत उपयोग:- (Internet ) जिस प्रकार से सुचना प्रद्योकि ने हमारे जीवन के हरएक पहलु को छुआ है उस से आज के समय में कोई भी अछूता नहीं रहा है, इससे हमारे जीवन में बड़े सकारात्मक बदलाव आये है, आज हमारा जीवन इस के आने से और भी जायदा आसान हो गया है! लेकिन जिस प्रकार इस ने हमारे जीवन को आसान बनाया है कई प्रकार से ये हमारे जीवन व समाज के लिए नासूर बनता जा रहा है मैं बात कर रहा हु जिस प्रकार से इंटनेट के द्वारा किसी भी उम्र के लोगो को जितनी आसानी से अश्लील सामग्री उपलब्द हो जाती है वो बड़ी ही गंभीर समस्या का रूप लेती जा रही है, मैंने कुछ दिन पहले ही सुना की इंटनेट के उप्पर अश्लील सामग्रियों का बाज़ार करीबन 20,000/- करोड़ का है इस बात से आप समझ सकते है की ये कितना बड़ा बाजार है और कितने लोगो तक इस की पहुंच होगी, आज भी भारत मैं जब भी आप अश्लील साइट को खोलते है वो आप की उम्र के बारे मैं पूछता है जहा पर आपको सिर्फ 18 + वाले मैं क्लिक करना होता है, और बस आप उस के बाद वह कुछ भी देख सकते !!! आप अपने मोबाइल मैं सर्च कीजिये सब कुछ आप के जब मैं, व्हाट्स अप और सोशल साइट्स में ऐसे ग्रुप है जो दिन भर सिर्फ और सिर्फ पोर्न भेजते रहते है ये जो पॉलसी है वो बिलकुल भी इस समस्या का समाधान नहीं है. और इस तरह के अश्लील साइट को देख कर देश में बलात्कार की घटनाये निश्चित ही बड़ी है. शायद मेरी इस बात से कई लोग इतफ़ाक न रखें हो सकता है की नज़रिया अलग हो पर ऐसा है.
सामाजिक ताने बाने का बिखराव :- जब से समाज में परिवार विखंडित हुए है उस का भी ये एक कारण है की महिलाओ में असुरक्षा का भाव बड़ा है! साथ ही लिविंग रिलेशन वाले रिश्ते जो की बाद मैं बलात्कार का रूप ले लेते है, आखिर कैसे लोग प्यार से बलत्कार का स्वरूप दे देते है, क्यों हमारा समाज ऐसे लोगो को बढ़ावा देता है, जिस के कारण समाज में इस प्रकार की विसंगतियाँ पैदा होती है. परिवार में माँ से बेटी की प्राइवेसी हो गयी है, बेटे बाप के बीच प्राइवेसी हो गयी है, ये जो प्राइवेसी सब्द है ये ही सब से बड़ा प्राइवेसी हो गया है, हमें हमें समझना होगा की प्राइवेसी है क्या ये पहले नहीं हुआ करती थी क्या या सिर्फ मोबाइल आने के बाद ही सब कुछ प्राइवेट हुआ है, क्या इस से पहले कोई प्राइवेसी नहीं थी, बिलकुल थी पर उस प्राइवेसी का कुछ मतलब था आज के प्राइवेसी का मतलब है अपनी गलतियों को छुपाना, बच्चो से ले कर सभी के हाथो में मोबाइल और मोबाइल के अंदर मोबाइल की कीमत से जयादा के लॉक्स, में पूछता हु की आखिर ऐसी कौन सी प्राइवेसी की आप को हर अप्प को लॉक करना पड़ता है!
क्यू नहीं हम अपने मोबाइल फ़ोन को अनलॉक कर और उदहारण पेश करे . की हमें अपने लोगो से कुछ गुप्त रखने की जरूरत नहीं है.
आज जब भी हम इस तरह की घटनाओ को रोकने की बात करते है तो हम सब ये मान लेते है की यह सरकार का काम है और हम इस मैं कुछ नहीं कर सकते, ऐसा ऐसा नहीं ही की आप इस मैं कुछ नहीं कर सकते अगर आप चाहे तो कुछ भी कर सकते है लेकिन करना कोई नहीं चाहता, क्या आप बलात्कारियो का सामजिक बहिष्कार नहीं कर सकते, जैसा मैंने कहा सब ने अपना अपना दायरा बना लिया है अगर उस मैं कुछ होता है तो उस पर उन की प्रतिक्रिया आती है नहीं तो सब मौन।
सरकार को चाहिए की वो इस प्रकार की घटनाओ की पुनरावर्ती को रोकने के लिए कठोर कानून बनाये, इस तरह की घटनाओ का निपटारा फ़ास्ट ट्रक कोर्ट मैं करवाये! दोषियों को जल्द से जल्द और कठोर से कठोर सजा दिलवाए और लड़कियों और ओरतो को भी ये समझना है की वो अपने बचाव मैं कुछ ऐसी चीजे रखे ताकि वो आसानी से इस तरह से शिकार न बने! साथ ही साथ उन को भी ये समझना होगा की उन की भी कुछ मर्यादाये है वो उन को न लाँघे। तभी जा कर हम समाज से इस बुराई को खत्म कर सकेंगे.
ये सभी विचार मेरे अपने है है अगर आप को लगता है की इन विचारो मैं कुछ कमी या बड़ा चढ़ा कर बताया गया है तो आप मेरे साथ इन के लिए अपने प्रश्न इस ब्लॉग के माध्यम से भेज सकते है मैं यथा मेरे ज्ञान उस का उत्तर देने का प्रयास करूँगा!
सोमवार, 21 जुलाई 2014
भारत की राजधानी डेल्ही और डेल्ही की सरकार...
एक बार फिर से डेल्ही मैं सरकार बनाने के लिए जोड़ तोड़ और गुटबाजी का मंज़र नज़र आ रहा है!
डेल्ही से देश से अपना सब कुछ लूटा चुकी "आप" एक बार फिर चुनाओं और सरकार बनाने की बात करती नज़र आ रही है.
आप जिस किसी समाचार चैनल चलाइये बस आप को भारतीय जनता पार्ट्री और आप के सदस्य मुहजवानी एक दूसरे पर हमला करते हुए नज़र आ रहे है, हर कोई दल एक दूसरे को चुनाओ से डरा हुआ बता रहा है, कोई बोलता है हमारे दल के नेता को २० करोड़ का ऑफर है कोई बोलता है की हम ख़रीद फ़रोख़त मैं विश्वास रखते.
पर आज भी बुनियादी सवाल की आखिर आम जनता का क्या वो आज अपने आप को ठगा हुआ महसूस कर रही है। वो आज भी अपने को समझा नहीं पा रही है की आखिर उन की क्या गलती, उन्होंने भारतीय जनता पार्ट्री को आजमाया कांग्रेस को आजमाया और आखिर मैं आप को अपना बहुमूल्य वोट दिया उम्मीदों के साथ..... नतीजा वोही ढाक के चार पात.
अब चाहे अगले चुनाओ मैं किसी की भी सरकार बने पर अगर किसी का नुकसान होने वाला है तो वो है जनता क्योकि उन की खून पसीने की गाड़ी कमाई दुबारा से चुनाओ मैं खर्च होने वाली है, जिस पैसे का इस्तेमाल जनता के हित के लिए किया जाना था दुबारा से चुनाओ मैं खर्च होगा।
और फिर क्या वो सरकार सही पायेगी? जनता की उमीदो पर खरा उतर पायेगी?
सवाल बहुत सारे पर जवाब शायद एक सब्द और वो है उम्मीद"
शुक्रवार, 18 जुलाई 2014
"Young and Experience Prime Minister" Narender Damodar Das Modi
मोदी सरकार का एक महीना और एक महीने मैं बहुत सारी चुनौतियाँ, पर मैं धन्यवाद देना चाहता की उन को और उन की सरकार को, की उन सभी चुनौतियों पर मोदी सरकार सही रूप से कार्य कर रही है.

जिस प्रकार से उन्होंने अपने बजट मैं टैक्स छूट को बड़ा कर आम आदमी को रहत देने का काम किया है वो काबीले तारीफ है ! साथ ही जिस इराक संकट मैं फसे लोगो को भारत ला कर उन्होंने अपनी नीति का परिणाम दिया है!
गंगा जो की भारत की सब से पवितर नदियों मैं से एक है, न सिर्फ गंगा बल्कि देश मैं नदियों को साफ करने और उन के दोहन पर जिस प्रकार मोदी जी ने अपना नज़रिया रखा है! वो भी काबिले तारीफ है! वो जाते है की आने वाले समय मैं पानी की कीमत क्या होने वाली है अगर अभी से हमने अपने जल को नहीं संभाला तो आने वाला समय और भी भयावय हो सकता है.
अभी हाल मैं जैसे भारत ने ब्रिक्स बैंक बनाने की योजना को अमली जामा पहनाया है ये भारत के प्रधानमंत्री की दुरशिता का पता चलता है साथ ही जिस प्रकार से उन्होंने पश्चिमी देशो के सामने एक नयी चुनौती रखी है, उन की कोशिस रही है पश्चिमी देशो द्वारा प्रयोजित वर्ल्ड बैंक के एका अधिकार को चुनौती दे सके. और दूसरे और तीसरे दर्जे के देशो को भी बराबरी मौका मिल सके. साथ ही साथ इस बैंक का मुख्य कार्यकारी अधिकारी भी भरतीय बनाने मैं सहमति बनायीं है ये भारत वासियो के गर्व है.
जहा तक मैंने मोदी जी के बारे मैं सुना और जाना है मैं जिस बात की लिए मोदी जी को सबसे जायदा पसंद करता हु वो है उन की दूर दर्शिता और और दर्शिता आती है आप है आप के अनुभव से हमें इस बात पर गर्व होना चाहिए की हमें एक जवान सोच और अनुभवी प्रधानमंत्री मिला है.
सोमवार, 20 जनवरी 2014
:Delhi Police:
150 साल पुराना इतिहास गौरव कि इतनी सारी गाथाये, डेल्ही कि शान डेल्ही पुलिस कई बार सवालो के घेरे मैं रही है, बहूत सारे सवाल और सवालो के अधूरे उत्तर…
आप कि सरकार आज धरने पर बैठी है, आम जनता भी उनके साथ बेठी है पर एक बात नहीं समझ मैं आ रही के ऐसा आखिर हो क्यों रहा है, क्या केजरीवाल को आंदोलन करने मैं मजा आता है, या उनकी बातो मैं पहले जेसी सचाई है, इस मैं कोई दो राय कि डेल्ही मैं डेल्ही पुलिस का काम करने का तरीका ठीक नहीं है, और ये वो लोग ही बता सकता है जो इनके आप किसी काम से गया हो ये केसे लोगो को परेशान करते है, सीधे सच्चे व्यक्ति को परेशान करते है और बदमाश लोगो को सहयोग करते है !
एक छोटी सी बात बोलता हु आप जाओ पुलिस स्टेशन अपना मोबाइल चोरी कि रिपोर्ट लिखने के लिए तो आप को वहा पर पुलिस वाला बोलेगा कि आप ये बोलो कि आप का मोबाइल चोरी नहीं हुआ है हा गिर गया है, इस लिए हम आप कि चोरी कि रिपोर्ट नहीं लिखेंगे आप कि शिकायत कोरे कागज पर लिख कर दे दो हम कारवाही, बस उस के बाद आप भुल जाइये अपने मोबाइल को.… और अगर आप कभी गलती से पुलिस स्टेशन दुबारा से पता करने चले गए अपने मोबाइल के बारे मैं तो आप को उल्टा डाँट कर वापिस बेज दिया जायेगा !
इस बात मैं कोई दो रे नहीं जो भी डेल्ही पुलिस ने डेल्ही के नेताओ के साथ किया वो बेहद है शर्म नाक है, मंत्री होते हुए भी उनको किसी प्रकार का सहयोग नहीं मिला तो इस बात से साबित होता कि जब आम जनता का क्या हश्र होता होगा !
और कही न नहीं केजरीवाल कि इस बात मैं दम लगता है कि डेल्ही पुलिस को डेल्ही सरकार के अंतर्गत ही होना चाहिए नहीं तो ऐसी ही समस्यों से दो चार होते रहना पड़ेगा !
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