भारत ऑस्ट्रेलिया टेस्ट मैच सीरीज 2011 -12
भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच जो मैच खेले जा रहे है! उस मैं जिस प्रकार का खेल हमारे देश के खिलाडियों के द्वारा दिखाया जा रहा है वो बिलकुल भी ठीक नहीं है!
वेसे कहने को हमरी टीम दुनिया की नंबर एक टीम है, पर जेसे ही हम अपनी सरजमी से बाहर खेलने जाते है हमारी पोल खुल जाती है, जब की...
- भारत के पास वर्ल्ड की सब से अच्छी सलामी जोड़ी है.
- भारत के पास सचिन, सहवाग , राहुल , धोनी, जेसे महान खिलाडी है.
- 80 सालो से जयादा का क्रिकेट इतिहास है.
- जहीर खान जेसे बोलर है.
- और विदिशी सर जमी पर खेलने का अच्छा खासी प्रक्टिस है.
फिर भी हर बार हम इस तरह से दुसरे मुल्को से टेस्ट हार के आते है, इस के पीछे क्या कारण है बता पाना मुस्किल है.
बात अभी और इस से पहले वाले टेस्ट सीरिज की:-
- इंग्लैंड ने हमें चारो खाने चित किया और वहा पर भी हम एक भी मैच नहीं जीत पाए.
- अब बात ऑस्ट्रेलिया की यहाँ का हाल भी कुछ एसा ही होने जा रहा है.
अभी तक खेले गए दोनों टेस्ट मैच को हम पांचवे दिन मैं भी नहीं ले कर जा पाए है, हर बार हम ४ दिन मैं ही हार जाते है, और जो अब तीसरा टेस्ट मैच चल रहा है उस मैं तो एसा लग रहा है की हम ३ दिन ही हार जायेंगे अगर हम इसे ही खेलते रहे, 161 /10 पूरी की पूरी टीम आउट हो गयी, पूरी की पूरी टीम तास के पतों की तरह बिखर गयी!
उस के बाद खिलाडियों के द्वारा मैदान के बाहर की जा रही बयान बाजी से टीम का मनोबल और कमजोर होता है , उन्हें इस बात से बचाना चाहिये !
इस बात मैं कोई दो राय नहीं की क्रिकेट के 20 -20 स्वरूप ने और क्लब क्रिकेट की वजह से भारत मैं क्रिकेट प्रतियोगिता बहुँत जयादा होने लगी है जिस के कारण खिलाडियों को सही से आराम नहीं मिल पा रहा है और वो बीना आराम किये एक के बाद एक प्रतियोगिता खेलते जा रहे है, और खिलाडी भी ये सोचने लगे है की क्लब के लिए खलने से जायदा पैसा कमाया जा सकता है तो वो अपना 100 % कलबो और 20 -२० मैं देने लगे है बजाये की अंतरराष्ट्रीय मैच मैं...
अब टाइम आ गया है जब की खिलाडियों को ये समझना होगा की जिस देश मैं क्रिकेट भगवान की तरह से पूजा जाता है उस देश की जनता को अपने खिलाडियों से कितनी उमीदे होती होंगी! इस लिए अपनी पहले की गलतियों से सीख कर उन्हें अपना पर्दशन सुधारना होगा और बचे हुए टेस्ट को सही से खेल कर अपने और अपने देश वासियों को गोरवान्वित करना होगा.
क्लब क्रिकेट को कम और अंतरराष्ट्रीय पर्तियोगिताओ मैं अपना हुनर दिखाना होगा... फालतू की बयानों के बजाय और ऊँगली दिखा कर एक दुसरे को शर्म शर कर देने वाली गत्नाओ के बजाय अपने खेल पर ध्यान देना होगा...
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