शुक्रवार, 27 जुलाई 2012

MEDIA IN INDIA


भारत देश और मीडिया 


आज के इस सुचना क्रांति के युग मैं जहा की खबरे प्रकाश से भी तेज गति से चलती है, और विश्व इस सुचना क्रांति से आगे बाद रहा है, इस मैं कोई भी दो राय नहीं है की अगर ये सुचना क्रान्ति  का दोर  नहीं आता तो सायद हु इतनी तेजी से विकास नहीं कर पते जितनी तेजी से आज कर पा रहे है इस का श्र्ये सवार्गीये श्री राजीव गांधी जो को जाता है जिन्होंने भारत के लिए इस के दरवाजे खोले ये उन की दूर दर्शिता का ही नतीजा है की आज हम सूचना क्रांति के अग्र्दिम राष्टो मैं गीने जाते है, इस सूचना क्रांति के साथ हमारे देश ने बड़ी तरकी भी की है, ये बात आप से अच्छा कोई नहीं समझ सकता आज विश्व भारत की सुचना क्रांति का लोहा मानता  है, अब बात सूचना क्रांति मैं मीडिया की......  जहा लोगो को इस ने देश विदेश की खबरों से अवगत कराया वही उस ने लोगो मैं जनचेतना का काम  भी किया,  टीवी के सुरवाती दोर मैं जब टीवी को व्यपार के रूप मैं नहीं लिया गया था तब तक सब कुछ ठीक था पर जेसे जेसे इस ने व्यपार का रूप धारण किया इस मैं विसंगतिय आ गयी, इस के बाद यह मीडिया वो काम  करने लगा जिस मैं उसे फायदा नज़र आने लगा और एसा होना भी चाहिये हर किसी को ये अधिकार है की वो एसा कम करे जिस से उस की जीविका चलती रहे, पर एसा भी नहीं होना चाहिये की इस फायदे की दोड मैं हम सब कुछ दाव पर रख दे एसा करने  से हमारा देश खोखला हो जाये... हमारा सामजिक, आर्थिक, नेतिक  दांचा बदल जाये... जो सकारातमक कम और नमरात्मक जायदा हो रहा है... 

    

मैं हमेशा  से एक बात मानता हु की आज के समाज को बनाने मैं सब से बड़ा हाथ मीडिया का है क्योकि हम ऑफिस और परिवार  के अलावा अगर सब से जायदा टाइम अगर किसी को देते है वो है मीडिया मैं, जहा पर  आपको  क्या देखने को मिलता  है, आप देखेंगे तो इस इस तरह की नाटक आते है जिस का कोई सर पैर  नहीं है पर लोग देख रहे है, स्त्रियों को देवी से हटा कर सिर्फ और सिर्फ भोग   की वस्तु बना दिया गया हैिखाया जाता है  स्त्री पहले के मुकाबले ससक्त हो गयी है और अच्छा है , वही पुरष  को नीचा दिखाने की वाकायद चल रही है पर इस बात को कोई समझने को तेयार नहीं हो रहा है, की ये क्या हो रहा है लोग उसे एन्जॉय कर रहे है   अगर एसा ही चलता रहा तो वो दिन दूर नहीं है जब जिस देश मैं अराजकता का माहोल होगा, मैं ये भी नहीं कहता की सब टीवी चैनल एक एसा काम कर रहे है लिकिन अगर मैं 100  टीवी चैनल की बात करू तो उस मैं 98 टीवी चैनल एसा कर रहे है और दर्शको के पास इस के सिवा और कुछ नहीं है दखने को अगर वो कुछ देखना भी चाहज़ ते है वो उन के पास वो ही एक जेसे रियल्टी शो, सास बहु की कहानी वो टीवी पैर अभद्र  डांस हिंसा, घरेलु हिंसा और हमरी नयी पीड़ी इस को देख कर वेसा ही करने की कोसिस कर रही है जिस से हमरी सामजिक और संस्कर्तिक पहचान दुमिल होती जा रही है, माँ-बाप के पास अपने बच्चो के लिए टाइम नहीं है क्योकि इस बाज़ार वाद मैं जब तक दोनों नहीं कमाएंगे तब तक सुख सुविधा की सारी वस्तुए नहीं खरीद पायेंगे, जिस की कारण हम बच्चो को सही शिक्षा नहीं दे पा रहे है उन मैं कही न कही सामजिक, नेतिक शिक्षा की कमी है! बच्चो मैं हिंसा का परसार हो रहा है, छोटे छोटे बच्चो के दिमाग मैं हिंसा आ रही है, अभी मैं कुछ दिन पहले की किसी पेपर मैं पद रहा था की 5 क्लास के बच्चे ने छोटी से बात पर अपने दोस्त को जान से मार  डाला, अब ये हिंसा कहा से आ रही है कोई बताये ये बात, ये वो बाते है हो बच्चे अपने बड़ो और टीवी के मादय्म से देखते है!


और सब से बुरी हालत अगर हुई है तो वो है न्यूज़ चंनेलो की, अगर आप देखंगे तो उन के पास कुछ है ही नहीं, किसी भी खबर को ब्रेअकिंग न्यूज़ बना देते है, उदाहरण जेसे की अमिताब बच्चन आज मंदिर गए, राकेश रोशन का कुत्ता खो गया, सलमान ने नयी टी-शर्ट पहनी, और भी एस तरह के कई उद्धरण है पर मैं आपको बताऊ आप मेरे से बेहतर समझते है एस तरह का न्यूज़ चेंनलो से आम लोगो को खबर पहुच रही है एस से क्या पता चलता है की या तो ब्रेअकिंग न्यूज़ के मायने बदल गए है या साडी खबरे ब्रेअकिंग न्यूज़ हो गयी है, अब मैं एस मैं मेरी जायदा तिपंडी करना टिक नहीं है नहीं तो वो मेरे खिलाफ भी बोलने लगेंगे, मैं कुछ टाइम से देख रहा हु की ये संचार चैनल ही है जो किसी को भी पल मैं हीरो और पल मैं जीरो बनाने का मादा रखते है, वो बात अलग है की आप को वो लोग क्या बनाना कहते है, न्यूज़ चंनेलो की विस्वसनीयता पर अब सवाल उठने लगे है और उठे भी क्यों न जिस तरह से न्यूज़ चैनल पैसा ले कर कुछ भी दिखाने को तेयार है कोई भी इन को शक की नजरो से देखेगा, तो टाइम है बदलाव का अगर ये बदलाव जल्दी से नहीं आया तो हमरे देश से न्यूज़ चेंनलो से आम जनता का विस्वास उठ जायेगा...


इस लिए मैं एक बात कहना चाहता हु की अच्छा है की हमरा देश तरकी कर रहा है ये बात भी मानता हु की टाइम के साथ बदलाव जरूरी है पर ये बदलाव सही दिश मैं होने चाहिये ताकि हम अपनी  आने वाली पिडीया के लिए कुछ सहेज कर रख सके, उन्हें बता सके की हमारी संस्क्रति का लोहा पूरा संसार मानता है... और इस मैं एक बड़ा रोल अदा करेगा और वो है हमारा  मीडिया, मीडिया को इस बात को समझना होगा की फायदा अपनी जगह है और समाज अपनी जगह और उस समाज के लिए कुछ करना पड़ेगा जिस का की वो खुद भी हिस्सा है  ताकि हमारा आने वाला कल सुरक्षित हो सके....


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