गुरुवार, 10 अक्टूबर 2013

Sachin "Indian Pride"

   
 

         जेसे ही आज सचिन ने अपने संन्यास की बात मीडिया के सामने कही दिल बेठ सा गया, मालूम है की जो आया है उस को जाना है पर दिल करता है की टाइम लोट जाये, सचिन के बिना क्रिकेट और क्रिकेट के बिना सचिन आधुरे है, आज अगर क्रिकेट विश्व जगत के पटल पर है इस का श्रेय जाता है क्रिकेट के भगवान कहे जाने वाले सचिन को!!!
    एसी सादगी और उत्तम श्रेणी का  खेल और उतना ही विवादों से दूरी एसा हर कोई नहीं कर सकता, इस चकाचोंद की जिन्दगी मैं हर कोई टाइम के साथ बदल जाता है पर अगर कोई नहीं बदला तो वो है सचिन यही उन एक बात है जो उन को सब से अलग करती है। कोई दो राय नहीं बदती उम्र किसी के इये भी परेशानी का सबक बन सकती है, पर सचिन ने इस उम्र मैं भी जिस तरह का खेल अपने चाहने वालो को दिखया है वो काबिले तारीफ है!
    अगर आप बात करे एक दिवसीय मेचो की या फिर बात करे टेस्ट मेचो की या फिर टी 20  की सचिने ने अपने आप को काबिल साबित किया है, सचिने का होना ही विपक्षी टीम के लिए एक मनोविज्ञानिक दवाब रखता था, सायद ही कोई हो जो सचिन को अनदेखा कर सके, उनका आत्म-विस्वास काबिले तारीफ था!!!
   मुझे याद आता है एक बात किसी प्रेस रिपोर्टर ने सचिन से पूछा  अभी आप अपने क्रिकेट के जीवन के उचतम स्तर पर है आप सन्यास क्यों नहीं ले लेते, australia के कप्तान मार्क व और कई और दिगज खिलाडियों ने ऐसा ही किया ताकि उन का नाम हमेशा इजत के साथ किया जाये, तब सचिन ने कहा था की  मैं कभी अपने देश के साथ गदारी  नहीं कर सकता की जब मैं भुअत अच्छा खेल रहा हु तब मैं सन्यास ले लू सिर्फ ताकि लोग मुझे याद रखे की मैं अच्छा खेलता था नहीं मैं उस दिन सन्यास लूँगा जब मुझे लगेगा की मैं अब अपनी बनायीं हुई खेल की कसोटी पर खरा नहीं उतर रह… और इसे सब्द सिर्फ और सिर्फ एक महान खिलाडी हो बोल सका है,
       एक ऐसा इन्सान जिस का जीवन समर्पित है खेल और लोगो के लिए, जब उन के चाहने कोई सचिन खेलते हुए नहीं मिलेंगे तो केसा लगेगा, पर ये तो होना ही था तो मैं तो सिर्फ ये कहूँगा सचिन आप जेसा न अभी तक कोई हुआ है और न सायद कभी ःओग… मेरी शुभकामनये सचिन के सथ… लेकिन हम आप को खेल के मैदान पर बड़ा याद करेंगे भगवन आपको लम्बी और निरोगी आयु दे… यही हम सब की सुभकामनाये है!!!

बुधवार, 2 अक्टूबर 2013

------Lalu Yadav---- Political System

 

     आखिरकार लालू यादव को भी जेल का मुह देखना पड़ा, आखिर वो कोन सी बात है की हमारे राजनेता कोई भी गलत काम करने से डरते नहीं है, ऑडिट रिपोर्ट बोलती है 950 का करोड़ का घोटाला है लेकिन सजा हुई सिर्फ 37 करोड़ तक के मामले मैं, और उस मैं भी राज्य के दो दो मुखिया (मुख्यमंन्त्री) मिले हुए !


     नेतिकता तो लगता है सिर्फ किताबो की बाते रहे गयी है, कोई भी इस की बात  नहीं  करता और अगर करता भी है तो सिर्फ अपने स्वार्थ के लिए,नेतानो ने न सिर्फ  लोगो की उम्मीदों को  सिर्फ ख़तम किया बलिक उन के साथ धोखा किया कोई इस बात को क्यों नहीं समझता है! और हर बार हम उन दागी लोगो को फिर से अपना नेता चुन लेते है! इस मैं हमारी जनता की भी गलती है क्यों की वो अपने वोट रूपी दवाई का सही से इस्तमाल नहीं करता है!

  जय प्रकाश के आन्दोलन से अपनी जड़े बनाने वाले और एक समाजवादी व्यक्ति से ऐसी  उम्मीद कभी भी जनता ने नहीं की होगी, पर मुझे कभी कभी दो लाइन याद आ जाती है की ये तो इंडिया है यहाँ कुछ भी हो सकता है!

   इन लोगो को काबू करने के लिए जो भी नियम कानून बनाये जाते है वो सब इन वो धरे के धरे रह जाते है, इस का सब से बड़ा कारण है सुस्त न्याय व्यवस्था, पहले तो FIR लिखने मैं इतना टाइम लग जाता है उस के बाद  एक पूरी न्याय वयस्था,  जिस के हीरो ही इसे नाकारा बना देते है, मैं बात कर रहा हु वकीलों की जिन का काम ही आज के टाइम पर सब गलत कामो को नयायालय मैं ठीक कर के बताना है, क्योकि इस की एवज मैं उन को बढ़िया फीस मिलती है, क्या करे वो भी बाप बड़ा न भैया सब से बड़ा रूपया!!!

  उस के ऊपर से अगर कभी कभी कुछ लोग अच्छी बात कर लेते है तो उन को पीछे धकेल दिया जाता है, बड़ी मुस्किल से जन-प्रतिनधि कानून  आ रहा था उस को रोकने के लिए सभी पार्टियों ने अपनी एडी छोटी का जोर लगा दिया, अगर ये पास हो,  कांग्रेस ने तो हद ही कर दी जल्दी जल्दी सदन मैं लाये और राष्टपति के पास भेज दिया हस्ताक्षर के लिए, सब दागी नेताओ को डर लगने लगा की कही ये उन के गले की हड्डी न बन जाये !

   मैं हर बार के तरह एक बार फिर से बोलना चाहता हु की अब की बार फिर से लोकसभा के चुनाव आ रहे है, एक और लोकतंत्र का पर्व आ रहा है, हमें इस बात को समझना होगा की सरकारे तो आजादी के बाद बड़ी बदल चुकी है, एक बार क्यों न व्यवस्था को बदलने को कोशिस की जाये, ताकि ये जो कुछ भी देश मैं गुंडाराज चल रहा है इस को अगर हम थोडा भी टिक कर सके तो ये हमारे लोकतंत्र की जीत होगी!!!


    

रविवार, 21 जुलाई 2013

Mid Day Meal Scheme In India

   

        भारत सरकार के बड़े-बड़े दावे और उन दावो का दम निकालता सच, आज  बात बिहार की और बिहार मैं उन बच्चो की जो आज भी जिन्दगी और मोंत के लिए लड़ रहे है, हमें सोचना है उन हरएक बच्चे के माता पिता के बारे मैं जिन्होंने अपने बच्चो को स्कूल भेजते हुए उनके उज्जवल भविष्य के बारे मैं सोचा था, पर उनको क्या मिला, अब  ये हम सब के सामने है, और उन माँ बाप का दर्द उन के सिवा कोई नहीं समझ सकता जिन की बच्चे आज जिन्दगी और मोत के लिए लड़ रहे है।

        रह-रह कर  हर बार एक ही बात निकल कर आती है की आखिर जो कुछ हुआ उसकी   जिमेवारी किसकी और जिस की जिमेवारी है क्या उसे सजा मिलेगी_______ तो ये एक एसा प्रश्न है जिस का जवाब बता पाना मुस्किल है। सरकार अपने मीड डे मील की स्कीम पर अपनी  पीठ थपथपाती रहती है की ये वर्ल्ड की सबसे बड़ी स्कीम है जो बच्चो मैं पोषण देती है पर इस  का सच आप के सामने है की वो बच्चो को कितना पोषण दे रहे है!!!

    जो कुछ भी बिहार के छपरा के एक सरकारी स्कूल मैं हुआ उस के लिए सरकार  (प्रसाशन) जिमेवार है, सरकार का काम सिर्फ योजनाये बनाने भर का नहीं है उसे इस  बात का भी ध्यान रखना है की जो योजनाए वो बना रही है उस का  क्रियान्वयन भी सही प्रकार से हो,  रहा है या नहीं, अगर नहीं तो इस मैं क्या कमिया है और क्या और सुधार इस को ठीक करने के लिए किये जा सकते है उन सब को करना चहिये 


 ये बात नयी नहीं है की सरकारी स्कूल मैं मैं जो भोजन बच्चो को  मीड डे मील के नाम पर  जा रहा है उस की गुणवक्ता ठीक नहीं है और ये बात बार बार निकल कर आती रही है पर आज तक इस को सुधारने के लिए क्या-क्या कदम उठाये गए इस बात की जानकारी सायद ही किसी को हो।

     ये हमारी फिदरत मैं हो गया है की हम घटना होने की कुछ दिन तक तो उस घटना को लेकर हल्ला मचाते है फिर कुछ दिन बात उस घटना को भूल जाते है, जिस से इस तरह की घटनाओ को पुनरावर्ती होती रहती है, और हमें एस बात को भी समझना होगा की ये स्कीम  बहुँत बड़ी स्कीम है और एस के साथ बहुँत ज्यादा पैसा जुड़ा हुआ है इस लिए इस स्कीम पर और जायदा निगरानी रखने की जरूरत है ! और जो लोग भी इस मैं लापरवाही मैं पकडे जाये उन को सख्त स सख्त सजा मिलने चहिये ताकि वो हमारे (भविष्य) बच्चो की जिन्दगी के साथ न खेल सके… 

रविवार, 7 जुलाई 2013

Maoist Problem in "India"

             
  कुछ दिन पहले जो मध्य प्रदेश मैं माओवादियों का हमला हुआ उस से सारा देश स्तब्द है और बीच बीच मैं आपको और भी ऐसी ही ख़बरे मिलती रहती है, अब की बार हो हल्ला एस लिए जायदा हुआ की राजनीतिक दल के लोग मारे गए अगर यही आम आदमी मारा जाता तो सायद इतना हो हल्ला नहीं होता, और यही कारण है है हम इस समस्या का हल नहीं निकाल पा रहे है, हमारे  देश मैं आम आदमी और राजनितिक लोगो के जान की कीमत अलग अलग है इस लिये आम आदमी मारा जाता है तो उस को कुछ मुवाब्जा दे कर शांत कर दिया जाता है और अब की बार राजनीतिक दल के लोग मरे गए, अब की बार इतना हल्ला हुआ!

                  इस देश मैं बड़े बड़े बुद्धिजीवी लोग रहेते है, पर कोई भी इस  समस्या का हल नहीं निकल पा रहा है, माओवादियों को आतंकवादियों जेसा समझा जा रहा है, उनको ख़तम करने के लिए पुलिस और फोज का सहारा लिया जा रहा है, और मेरा मानना यह है की  यही से हम दिशा भटक गए है इस  से कभी भी इस समस्या का हल नहीं निकल सकता!!!

                      अब बात की आखिर ये लोग हथियार क्यों उठा लेते है क्यों ये लोग  माओवादि बन जाते है इस के लिए एक छोटी सी बात को समझना होगा की आप आजकल एक खबर आम तरीके से पढ़ते  होंगे की देश के किसी कोने मैं जंगली जानवरों ने इंसानी बस्तियों पैर हमला कर दिया, सब ने बोल की जंगली जानवर आये, पर ये नहीं सोचा की वो क्यों आये वो एस लिए आये क्यों की ये जमीन उन की है जिस पर आदमी अपना हक जाता रहा है, जानवर के पास एस की सिवा और कोई चारा नहीं है, वेसे तो आदमी अपने आप को बड़ा  बुद्धिजीवी समझता है, क्या उस ने उन जगली जानवरों का घर उजाड़ने से पहले उन के लिए कोई दूसरा  प्रबन्द किया, तो आपको जवाब मिलेगा नहीं तो इसी लिए जंगली जानवरों ने आप की बस्तियों पर हमला किया ये बात समझने की है ये तो  बात थी जानवरों की यही बात लागु होती है इंसानों पर जब हम उन को उनकी ही जमीनों से बेदखल करेंगे और वो भी बिना उनको दूसरी जगह वय्स्थपित किये तो यही कारण है की जब जानवर इंसानी बस्तियों पर  हमला कर सकता है तो इंसान जानवरों से तो जायदा समझदार है तो बात को समझना होगा की जब तक हम समस्या की मूल जड़ मैं नहीं जायेंगे तब तक ये जोयो की त्यों बनी रहेगी, सब से पहले हमे उन लोगो का दर्द समझना होगा की आखिर इसे कोन से हालत है की ये लोग हथियार उठाने मैं भी नहीं हिचकचाते_____

रविवार, 21 अप्रैल 2013

Rape Cases In Delhi

          
      फिर से एक बार फिर भारत की राजधानी डेल्ही शर्मसार हुई है डेल्ही मैं फिर एक बार गाँधी नगर इलाके मैं रहने वाली 5 वर्षीय "गुडिया"   बलात्कार और जिस प्रकार की हेवानियत उस पाच साल की बच्ची के साथ हुई उसे देख और सुन कर किसी के भी रोंगटे खड़े हो जाये, फिर सवाल आख़िरकार हमारा समाज किसी और जा रहा है वेसे हम अपने को मोर्डेन कहने लगे है, क्या ये है हमारा सभय और मोर्डेन समाज? जहा पर हमारी बहन बेटिया (स्त्री ) सुरक्षित नहीं है, क्यों समाज का रविया इतना अनेतिक हो गया है आखिर क्यों? क्यों आज के समाज मैं रहने वाले लोगो के मस्तिक मैं  इतनी योन हिंसा भर गयी है की वो एस प्रकार के कृत्य कर केसे लेते है!

   हमें सब से पहले इस बात की गहराई मैं जाना होगा की आखिर कोन से वो कारण है की लोग एस प्रकार की हेवानियत कर लेते है एसे लोग दिमागी बीमार होते है पर ये बीमारी आती कहा से है इस बात को समझना होगा और समझना होगा की क्यों आज स्त्रियों को सिर्फ भोग की वस्तु समझा जाने लगा है!

       जेसे ही ये  खबर  मीडिया मैं आई ये बरसाती मेढक (नेताओ की जमात ) क्यों की ये चुनाव आने से पहले ही नज़र आते है और अपने बिलों से निकल  पड़ते है  अपनी राजनीती चमकाने और मोका धुन्दते है और इस बार से कोई फर्क नहीं पड़ता है की वो सता पक्ष के है या विपक्ष पक्ष वाले  या राजनीती मैं अपनी किस्मत आजमाने वाले है जेसे है चुनाव पास आते है इनका तर्ताराना सुरु हो जाता है और हर किसी के पास अपनी राजनीती के लिए अलग अलग बहाने डेल्ही की सता हमारे पास पुलिस का नियंत्रण नहीं है इस लिए हम केंद्र सरकार से बात कर रहे है, विपक्ष वाले राज्य की सरकार अपना काम सही से नहीं कर पा रही है उसे स्तीफा दे देना चहिये, और नेता बनने की चाह रखने वाले लोग हमें मोका दीजिये हम डेल्ही से अपराध मिटा देङ्गे, बातों के मामले मैं हवाई जमीनी हकीकत कुछ और

   हालत तो यहाँ तक खराब है की देश के प्रधान मंत्री सिर्फ अफोसोस व्यक्त कर रह जाते है, ग्रह मंत्रालय को दो दिन बाद याद आता है सब कुछ, और फिर वोही दोषियों पर कड़ी कार्यवाही की बात कर अपना पल्ल्ला झाड़ लेते है,  राजनितिक पार्टी मुदे को अपने आप के लिए भुनाने लगती है!

बात पुलिस की जिस पर सुरक्षा का जिम्मा है, आप एक बार थाने गए तो यकीन मानिये की दुबारा जाने से हिच्कच्येंगे, वहा जा कर आपको पता चलेगा की आज भी भारत की राजधानी मैं FIR लिखवाने की किये क्या क्या करना पड़ता है और अगर आप ने किसी तरह से अपनी FIR लिखवा भी ली तो एस बात की कोई सम्भावना नहीं की आप की शिकायत  पर कारवाही होगी, हा लेकिन ऐसा  जरूर हो सकता है की आप को जरूर परेशान किया जाये! अब इन बातो से आप खुद ही सोच सकते है की जब ये हालत भारत की राजधानी डेल्ही की है तो और राज्यों की क्या हालत होगी !

    लेकिन "गुडिया" को इस बात से क्या की कोन क्या कर रहा है, कोण नेता है कोन नहीं है किस की क्या जिमेवारी है और क्या नहीं,  लेकिन सवाल जूस का तस क्या जो उस के साथ हुआ क्या उसे रोक जा सकता था, अगर हा तो कोन लोग है जो इस के जिमेवार है, किसी भी लोकतान्त्रिक (कल्याणकारी) राज्य मैं उस के नागरिको की सुरक्षा का जिम्मा राज्य का होता है, लेकिन जिस प्रकार हमरी केन्द्र सरकार  राज्य सरकार सुरक्षा  पर्दान करने मैं विफल रही है अब जनता को समझ मैं नहीं आता की आखिर वो जाये तो कहा जाये!

   साथ मैं इस बात को भी समझने की भी है की आखिर हम क्यों नहीं अपनी गलतियों से कुछ सीखते क्यों हम किसी भी घटना की पुनरावर्ती बार बार होने देते है आखिर क्यों लोगो के मन से कानून का डर  खत्म होता जा रहा है और क्यों  लोगो के मन से कानून से विस्वास उठता जा रहा है! ये एसे कुछ सवाल है जिन का उत्तर हमें जल्द से जल्द निकलना होगा>>..








शुक्रवार, 19 अप्रैल 2013

Auto-Rickshaw Problem In Delhi & NCR

        


                            कभी कभी आप को कही किसी जरूरी कम से जाना है और आप  ने सोचा की आप बस से जायदा जल्दी पहुचना चाहते है और अपनी गाड़ी या तो आप के पास है नहीं या फिर आप पार्किंग की समस्या के मदेंज़र आप उसे नहीं ले गए तो सोच की थ्री व्हीलर से ही चल पड़ते है, बस  आप ने थ्री व्हीलर वाले को हाथ दिया बस सोच लीजिये की आप का दिन ख़राब होना सुरु हो गया, आपने बोल मैं ______ जगह जाना है तो फट से थ्री व्हीलर वाला उस के रेट आप को बता देगा आप बोलेंगे मीटर से चलिए तो उस के पास एक हज़ार  बहाने है की वो मीटर से नहीं चल सकता क्योकि मीटर ठीक  नहीं है, आप जहा जाना चाहते है वह पर ट्रैफिक बड़ा रहता है, गैस के रेट बढ गए है और न जाने और कितने है ! आप ने सोचा की चलो इसे जाने देते है किसी और थ्री व्हीलर से चल पड़ते है दुसरे को हाथ दिया तो उस का मन नहीं था,  तो इस  लिए उस ने नहीं रोका ही नहीं,  अब आप लेट हो रहे है कहा आप जल्द से जल्द पहुचने का सोच रहे थे और कहा आप लेट हो रहे है बड़ी मुश्किल से एक थ्री व्हीलर वाला रुका  ड्राईवर साहब को देख कर लगता है इस ने  पिछले 7 दिनों से नहाया नहीं है थ्री व्हीलर के अन्दर से बीडी सिगरेट की बदबू आ रही है, यात्री : ______ जगह  चलना है, ड्राईवर : इतने पैसे लगेंगे यात्री :आप मीटर से चलिए ड्राईवर:  आप को क्या बताये मीटर से जाते है तो कुछ बचता नहीं है गैस के रेट बढ, पुलिस वाले बड़ा परेशान करते है. आखिर कार आप लेट हो रहे है और लेट नहीं होना नहीं चाहते इस  लिए आप ने वो थ्री व्हीलर ले लिया और आप चले गए!!!


       सब से बड़ी समस्या तो ये है जब आप को कही जल्दी जाना होता है तो ये लोग अपनी मन मर्ज़ी का किराया वसूलते है, या फिर बोलेंगे की गैस ख़तम हो गयी है इस  लिए नहीं जा सकते और आप इन लोगो के साथ अपना सर खपा कर थक जायेंगे लेकिन ये नहीं मानेंगे इन को किसी भी कानून का डर नहीं है !  और सब से जायदा सर तो तब खपाना पड़ता है जब आप की यात्रा की दुरी कम हो तो फिर तो ये और भी मन माँगा किराया वसूलते है!

      सरकार बड़े बड़े दावे करती है की सब थ्री व्हीलर वाले मीटर से चलते है अगर आप को किसी तरह की शिकायत हो तो आप ट्रैफिक हेल्प लाइन पर फ़ोन करो पर ये नंबर कभी लगते ही नहीं अगर गलती से लग भी गया तो वह पर कोई आप का फ़ोन ही नहीं पिक करेगा 

Help Line : 42-400-400... round the clock on the HELPLINE number of Government of Delhi.

 जनता परेशान लेकिन इस बात  से सरकार का कोई लेना देना नहीं है, न ही थ्री व्हीलर वालो को, न ही  किसी कानून का डर है, इस जदोजहद मैं अगर कोई सब से जायदा परेशान है वो है यात्री जिस के पास परेशान होने के सिवा कोई चारा नहीं है और जो अपनी मेहनत की कमाई को थ्री वीलर वालो को न चाहते हुए भी दे रहा है!

अब आप ही बताये इस समस्या से निपटने के लिए क्या किया जा सकता है क्या आप को लगता है की इस मैं कुछ हो सकता  या ये एसा ही चलता रहेगा अपने कमेंट जरूर दे,,,





बुधवार, 20 मार्च 2013

Telemarketing Is Stupid


आज का ये मेरा समर्पित है नाकाम सरकार और तेज तर्रार टेली-मार्कटिंग कम्पनियों और बेचारे मोबाइल उपभोग्ताओ को बेचारे इस  लिए क्योकि इन  के पास परेशान होने के सिवा कुछ भी नहीं है। सुबह 9:30 आप रस्ते मैं ड्राइव करते हुए ऑफिस के लिए जा रहे है तभी एक फ़ोन आता है, नंबर पहचान का नहीं है समझ में नहीं आ रहा की फ़ोन उठाऊ या नहीं, ट्रैफिक बड़ा है, ट्रैफिक  पुलिस वाले मामा शिकारी की तरह से आँख लगा के बेठे है की कोई तो मुर्गा फसे तो आज की बोनी-बटा सुरु हो, इस जदोजहद मैं की फ़ोन उठाऊ या नहीं,  दिमाग ट्रैफिक में कम और मोबाइल की तरह जायदा चला गया चलो कॉल भी मिस कॉल बन कर रह गयी, लगा की चलो जब ऑफिस पहुच जाऊंगा तो वह आराम से बात कर लूँगा, पर तभी फिर एक और कॉल, मोबाइल की घंटी बजने लगी अब ये कोन फ़ोन कर रहा है सब को अभी फ़ोन करना है  देखा तो ये भी नंबर अनजान है!

           कुछ तो बात है बार बार फ़ोन आ रहे है, गाड़ी साइड मैं लगायी (वो आप किस्मत वाले है अगर आप कार से जाते है मेरी तरह बाइक से जाते तो और भी मुश्किल थी ) फ़ोन उठया उधर से मीठी सी आवाज आई गुड-मोर्निंग सर आप _____ बोल रहे है?,  हांजी मैं _____ देश बोल रहा हु! बताये।,  सर मैं आप को एक गारंटी सेविंग प्लान के बारे मैं बताना चाहती  हु , नहीं मैं नहीं में कोई सेविंग नहीं करना कहता हु, पहले तो ये बताये की आप के पास मेरा नंबर आया कहा से, सर ये तो कंपनी ने प्रोवाइड करवाया है, देखिये कुमारी_____ आप से मेरा विनम्र निवेदन है की क्रप्या कर के आप मेरा नंबर अपने डाटा से हटा दे ताकि आप लोग दुबारा से मुझे कॉल न करे।।। पर आपकी किस्मत ऐसी  कहा की आप के पास दुबारा फ़ोन न आये उस नंबर से नहीं तो सायद की और नंबर ये आप के पास फिर से एक टेली-मार्कटिंग कॉल  और आप फिर से एक बार असहाय 
टेली-मार्केटिंग कंपनियों को एस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता की आप ड्राइव कर रहे है जरूरी मीटिंग मैं बेठे है, कुछ जरूरी काम कर रहे है  उन का काम बस आप उन का फ़ोन उठा लीजिए उस के बाद वो आप को परेशान कर देंगे।

  सरकार के बड़े बड़े दावे की आप अपने मोबाइल नंबर को DND में दर्ज करा दीजिये आप को कोई भी टेली -मार्केटिंग या प्रमोशनल कॉल नहीं आएँगी, मेरे जेसे कई लोगो ने एस मैं अपना नंबर रजिस्टर भी करवाया इस उम्मीद में की सायद कॉल नहीं आएँगी, पर अफ़सोस आज में दुसरो का तो नही बता सकता पर DND में रजिस्टर कराने के बाद टेली-मार्केटिंग कॉल और भी बाद गयी है। 
  
   उस के बाद सरकार ने एक और कदम उठया  की सभी टेली-मार्केटिंग कम्पनी कोई भी कॉल करेगी तो उस का नंबर 140 से स्टार्ट होगा ताकि लोग पहचान सके की ये टेली-मार्केटिंग कॉल है अब ये आप पर निर्भर करता है की आप फ़ोन उठाओ या नहीं  पर ये वाला कदम भी कारगर साबित नहीं हुआ क्योकि  140  वाला नंबर सिर्फ और सिर्फ रेपुटेड कम्पनी ही यूज़  करती है लेकिन मार्किट में तो टेली-मार्केटिंग कंपनिया कुकुर्मुतो की उग आई है और उस पर सरकार का कोई नियंत्रण नहीं है। बाते बड़ी बड़ी पर इस से एक आम मोबाइल यूजर को कोई फायदा नहीं!

 पहले तो सिर्फ टेली-मार्केटिंग कॉल आती थी (ये खरीद लो वो खरीद लो ) अब एक और परेशानी वो है NGO वालो की कॉल सर मैं ________ NGO से बोल रही हु हमारे वह एक बच्चा आया है उस का जरूरी आपरेशन करना है उस का खर्चा 1,50000/- जिस में हम ने 1,30000/- जुटा लिए है सर आप कुछ मदद कर के पुण्य के भागी बने और आप को इनकम टेक्स मैं छुट भी मिलेगी, इन बातो मैं कितनी सचाई है ये तो भगवन ही जानता  है मेरा एक व्यतिगत अनुमान है की इन 500 कॉल मैं सिर्फ 1 या दो सही होती है क्योकि मैंने देखा है ये सिर्फ पैसा कमाने का एक तरीका बन कर रह गया है, इन से उन लोगो का नुकसान हुआ है जिन को असल मैं मदद की जरूरत है।

में आपको अपना एक उदाहरण देता हु एक बार मैं एक हॉस्पिटल के सामने बस का इंतजार कर रहा था इतने में एक ओरत मेरे पास आई बोली बेटा मैं राजस्थान से आई हु मेरा बेटा बीमार है उस के लिए डॉक्टर ने दवाई मंगवाई है में दवाई की दुकान में गयी थी बेटा  मेरे पास सिर्फ 200/- रुपये है मेरे को और 80/- रुपये की जरूरत है मैंने पहले तो उसे बड़े ध्यान से देखा कही है ओरत मुझे पागल तो नहीं बना रही पर फिर मेरे को लगा की सायद इस  ओरत को सही मैं रुपये की जरूरत थी मैंने अपना पर्स खोल तो देखा की मेरे जेब मैं एक 50 का और एक 500/- का नोट था मैंने उसे 50 का नोट दे दिया और बोल की मैं इस से जायदा आपकी मदद नहीं कर सकता इस पर वो ओरत बोली की इतने मैं तो दवाई नहीं आएगी मैंने बोल अम्मा जी मैं आप की इस से जायदा मदद नहीं कर सकता और फिर वह ओरत वह से चली गयी और मैंने उसे कुछ देर तक देखता रहा वह कई लोगो के पास गयी कई लोगो ने उसे पैसा दिया और कुछ नहीं भी दिया, उस दिन मेरी बस लेट हो गयी और मैंने थोड़े देर बाद क्या देखा की वह ओरत पान की दुकान पर खड़ी है उस के साथ एक और ओरत है और वो दोनों वहा  से गुटखा खरीद रहे है, और थोड़ी देर बाद फिर से अपने काम पर लग गयी तब मुझे अपने आप पर बड़ा अफ़सोस हुआ की आज मैं पागल बन गया तो दोस्तों होता क्या है इस से उस ओरत का तो कुछ नहीं बिगड़ा पर सायद मैं अब किसी पर विश्वास न करू और किसी को जरूरत होने पर भी मदद न कर सकू क्योकि मुझे लगेगा की कही मैं दुबारा से गलत हाथो मैं तो पैसा नहीं दे रहा हु। 

          एसे ही टली-मार्केटिंग कंपनियों का विस्वास नहीं किया जा सकता, मजे की बात तो ये है अब NGO ने टेली-मार्केटिंग कंपनियों को काम देना सुरु कर दिया है इस का मतलब साफ़ साफ़ है की अब ये परमार्थ का काम नहीं बलिक अपनी जेब भरने का काम  सुरु हो गया है, अगर आप सच मैं किसी की मदद करना चाहते है तो खुद NGO मैं जाये और पैसा नहीं बल्कि वस्तु के रूप मैं अपनी मदद दे कर आये। और सरकार को चहिये की वो इस तरह की कॉल के लिए और भी सखत कानून !!!