शनिवार, 4 जनवरी 2014
AAP- A New Beginning In Indian Politics
एक लंबे संघर्ष के बादऔर,अरविन्द केजरीवाल के अथक प्रयासो के बाद ख़िरकार डेल्ही मैं आम आदमी कि सरकार बनी, हम सभी कि और से आम आदमी पार्टी को सुभकामनाये , और जिस तरह के वादे देल्ही के मुख्यमंत्री साहब ने किये है हम सब कि उम्मीदे है कि वो इन उमीदो पर खरा उतरेगे।
शुक्रवार, 29 नवंबर 2013
Delhi Election 2013
एक बार फिर से सभी बरसती मेडक अपने अपने बिलो से बाहर आ गए है, बाहर जा कर देखा तो पता चला कि चुनाव आने वाले है, पिछले पाँच सालो से जिन नेताओ से आपने मिलने कि कोशिस करी और आप कि हर कोशिस बेकार गयी देखो मौसम कैसा बदला कि वो आप से मिलने आ पहुचे वो भी आप के द्वार, आप कि परेशानी सुनने का का समय अब जा कर मिला है उन को पिछले पाँच सालो मैं तो वो अपने और अपने जानने वालो कि समस्यांए सुन रहे थे!↓
हमारे देश की सबसे बड़ी समस्या ये है कि लोगो को अपने वोट कि कीमत का पता ही नहीं, उन को लगता है कि बस चुनाव और कोई भी जीते क्या फ़र्क़ पड़ता है, इस लिए या तो वो चुनाओ मैं भाग नहीं लेते है या फिर अपना वोट बिना सोचे समझे दे आते है, लोगो का मानना यह है कि नेताओ ने करना उन्होंने वो ही है जिस मैं उस का और उस के जान पहचान वालो का भला होगा, सरकारी मकान, सरकारी दुाकन, सरकारी गाड़ी, सरकारी फ़ोन, और न जाने क्या क्या फायदे मिलेंगे उन को अगर वो ये चुनाव जीत गए!
दोस्तों एक और बात हमारे देश कि एक और बड़ी विडम्बना है कि यहाँ पर सरकारी नौकरी पाने के लिए दुनिया जहान कि पढ़ाई करनी पड्ती है, कई टेस्ट पास करने पड़ते है फिर आखिर मैं इंटरविवे से गुजरना पड़ा है तब जा कर कही एक छोटी से सरकारी नौकरी मिलती है, पर देखो तमाशा कि ये नेता बंनने के लिए कोई पढाई नहीं कोई लिखाई नहीं और अगर आप कि किस्मत ने साथ दिया और आप को मोका मिला नेता बनने का तो ये पढ़ाई किये लोग आप के आगे पीछे, सोचो हम एक सरकारी बाबू को रखने के लिए इतने टेस्ट रखते है और जो इन सरकारी बाबुओ को ऑर्डर देता है वो जायदातर लोग जानते ही नहीं कि काम केसे किया जा है!
नोकरी के अंदर आप के रिटायरमेंट कि उम्र होती है पर नेतागीरी कि कोई उम्र नहीं जब तक मन नेतागिरी करे, सरकार कि सोच भी अजीब है सोचती है कि 60 के बाद आदमी किसी काम का नहीं, उस को घर बेजो पर उस को नेता बनाने के लिए कोई उम की समय सीमा नहीं!!!
शुक्रवार, 15 नवंबर 2013
SACHIN TUMHE BHULA NA PAYENGE
सचिन तुम्हे भुला न पाएंगे!!!
आज वो दिन भी आ गया जिस का न आने के लिए एस देश दुनिया के सब लोग प्राथना करते रहे पर एक बात कि समय किसी के लिए नहीं रुकता, आखिरकार आज सचिन अपने २४ साल के खेल जीवन को अलविदा कह दिया, ऐसा खिलाडी और ऐसा सादा जीवन बस आज मेरे पास सचिन के लिए कहने को कुछ भी नहीं है,
शायद मेरे पास यही शब्द है, सचिन तुम्हे भुला न पाएंगे!!!
गुरुवार, 10 अक्टूबर 2013
Sachin "Indian Pride"
जेसे ही आज सचिन ने अपने संन्यास की बात मीडिया के सामने कही दिल बेठ सा गया, मालूम है की जो आया है उस को जाना है पर दिल करता है की टाइम लोट जाये, सचिन के बिना क्रिकेट और क्रिकेट के बिना सचिन आधुरे है, आज अगर क्रिकेट विश्व जगत के पटल पर है इस का श्रेय जाता है क्रिकेट के भगवान कहे जाने वाले सचिन को!!!
एसी सादगी और उत्तम श्रेणी का खेल और उतना ही विवादों से दूरी एसा हर कोई नहीं कर सकता, इस चकाचोंद की जिन्दगी मैं हर कोई टाइम के साथ बदल जाता है पर अगर कोई नहीं बदला तो वो है सचिन यही उन एक बात है जो उन को सब से अलग करती है। कोई दो राय नहीं बदती उम्र किसी के इये भी परेशानी का सबक बन सकती है, पर सचिन ने इस उम्र मैं भी जिस तरह का खेल अपने चाहने वालो को दिखया है वो काबिले तारीफ है!
अगर आप बात करे एक दिवसीय मेचो की या फिर बात करे टेस्ट मेचो की या फिर टी 20 की सचिने ने अपने आप को काबिल साबित किया है, सचिने का होना ही विपक्षी टीम के लिए एक मनोविज्ञानिक दवाब रखता था, सायद ही कोई हो जो सचिन को अनदेखा कर सके, उनका आत्म-विस्वास काबिले तारीफ था!!!
मुझे याद आता है एक बात किसी प्रेस रिपोर्टर ने सचिन से पूछा अभी आप अपने क्रिकेट के जीवन के उचतम स्तर पर है आप सन्यास क्यों नहीं ले लेते, australia के कप्तान मार्क व और कई और दिगज खिलाडियों ने ऐसा ही किया ताकि उन का नाम हमेशा इजत के साथ किया जाये, तब सचिन ने कहा था की मैं कभी अपने देश के साथ गदारी नहीं कर सकता की जब मैं भुअत अच्छा खेल रहा हु तब मैं सन्यास ले लू सिर्फ ताकि लोग मुझे याद रखे की मैं अच्छा खेलता था नहीं मैं उस दिन सन्यास लूँगा जब मुझे लगेगा की मैं अब अपनी बनायीं हुई खेल की कसोटी पर खरा नहीं उतर रह… और इसे सब्द सिर्फ और सिर्फ एक महान खिलाडी हो बोल सका है,
एक ऐसा इन्सान जिस का जीवन समर्पित है खेल और लोगो के लिए, जब उन के चाहने कोई सचिन खेलते हुए नहीं मिलेंगे तो केसा लगेगा, पर ये तो होना ही था तो मैं तो सिर्फ ये कहूँगा सचिन आप जेसा न अभी तक कोई हुआ है और न सायद कभी ःओग… मेरी शुभकामनये सचिन के सथ… लेकिन हम आप को खेल के मैदान पर बड़ा याद करेंगे भगवन आपको लम्बी और निरोगी आयु दे… यही हम सब की सुभकामनाये है!!!
एसी सादगी और उत्तम श्रेणी का खेल और उतना ही विवादों से दूरी एसा हर कोई नहीं कर सकता, इस चकाचोंद की जिन्दगी मैं हर कोई टाइम के साथ बदल जाता है पर अगर कोई नहीं बदला तो वो है सचिन यही उन एक बात है जो उन को सब से अलग करती है। कोई दो राय नहीं बदती उम्र किसी के इये भी परेशानी का सबक बन सकती है, पर सचिन ने इस उम्र मैं भी जिस तरह का खेल अपने चाहने वालो को दिखया है वो काबिले तारीफ है!
अगर आप बात करे एक दिवसीय मेचो की या फिर बात करे टेस्ट मेचो की या फिर टी 20 की सचिने ने अपने आप को काबिल साबित किया है, सचिने का होना ही विपक्षी टीम के लिए एक मनोविज्ञानिक दवाब रखता था, सायद ही कोई हो जो सचिन को अनदेखा कर सके, उनका आत्म-विस्वास काबिले तारीफ था!!!
मुझे याद आता है एक बात किसी प्रेस रिपोर्टर ने सचिन से पूछा अभी आप अपने क्रिकेट के जीवन के उचतम स्तर पर है आप सन्यास क्यों नहीं ले लेते, australia के कप्तान मार्क व और कई और दिगज खिलाडियों ने ऐसा ही किया ताकि उन का नाम हमेशा इजत के साथ किया जाये, तब सचिन ने कहा था की मैं कभी अपने देश के साथ गदारी नहीं कर सकता की जब मैं भुअत अच्छा खेल रहा हु तब मैं सन्यास ले लू सिर्फ ताकि लोग मुझे याद रखे की मैं अच्छा खेलता था नहीं मैं उस दिन सन्यास लूँगा जब मुझे लगेगा की मैं अब अपनी बनायीं हुई खेल की कसोटी पर खरा नहीं उतर रह… और इसे सब्द सिर्फ और सिर्फ एक महान खिलाडी हो बोल सका है,
एक ऐसा इन्सान जिस का जीवन समर्पित है खेल और लोगो के लिए, जब उन के चाहने कोई सचिन खेलते हुए नहीं मिलेंगे तो केसा लगेगा, पर ये तो होना ही था तो मैं तो सिर्फ ये कहूँगा सचिन आप जेसा न अभी तक कोई हुआ है और न सायद कभी ःओग… मेरी शुभकामनये सचिन के सथ… लेकिन हम आप को खेल के मैदान पर बड़ा याद करेंगे भगवन आपको लम्बी और निरोगी आयु दे… यही हम सब की सुभकामनाये है!!!
बुधवार, 2 अक्टूबर 2013
------Lalu Yadav---- Political System
आखिरकार लालू यादव को भी जेल का मुह देखना पड़ा, आखिर वो कोन सी बात है की हमारे राजनेता कोई भी गलत काम करने से डरते नहीं है, ऑडिट रिपोर्ट बोलती है 950 का करोड़ का घोटाला है लेकिन सजा हुई सिर्फ 37 करोड़ तक के मामले मैं, और उस मैं भी राज्य के दो दो मुखिया (मुख्यमंन्त्री) मिले हुए !
नेतिकता तो लगता है सिर्फ किताबो की बाते रहे गयी है, कोई भी इस की बात नहीं करता और अगर करता भी है तो सिर्फ अपने स्वार्थ के लिए,नेतानो ने न सिर्फ लोगो की उम्मीदों को सिर्फ ख़तम किया बलिक उन के साथ धोखा किया कोई इस बात को क्यों नहीं समझता है! और हर बार हम उन दागी लोगो को फिर से अपना नेता चुन लेते है! इस मैं हमारी जनता की भी गलती है क्यों की वो अपने वोट रूपी दवाई का सही से इस्तमाल नहीं करता है!
जय प्रकाश के आन्दोलन से अपनी जड़े बनाने वाले और एक समाजवादी व्यक्ति से ऐसी उम्मीद कभी भी जनता ने नहीं की होगी, पर मुझे कभी कभी दो लाइन याद आ जाती है की ये तो इंडिया है यहाँ कुछ भी हो सकता है!
इन लोगो को काबू करने के लिए जो भी नियम कानून बनाये जाते है वो सब इन वो धरे के धरे रह जाते है, इस का सब से बड़ा कारण है सुस्त न्याय व्यवस्था, पहले तो FIR लिखने मैं इतना टाइम लग जाता है उस के बाद एक पूरी न्याय वयस्था, जिस के हीरो ही इसे नाकारा बना देते है, मैं बात कर रहा हु वकीलों की जिन का काम ही आज के टाइम पर सब गलत कामो को नयायालय मैं ठीक कर के बताना है, क्योकि इस की एवज मैं उन को बढ़िया फीस मिलती है, क्या करे वो भी बाप बड़ा न भैया सब से बड़ा रूपया!!!
उस के ऊपर से अगर कभी कभी कुछ लोग अच्छी बात कर लेते है तो उन को पीछे धकेल दिया जाता है, बड़ी मुस्किल से जन-प्रतिनधि कानून आ रहा था उस को रोकने के लिए सभी पार्टियों ने अपनी एडी छोटी का जोर लगा दिया, अगर ये पास हो, कांग्रेस ने तो हद ही कर दी जल्दी जल्दी सदन मैं लाये और राष्टपति के पास भेज दिया हस्ताक्षर के लिए, सब दागी नेताओ को डर लगने लगा की कही ये उन के गले की हड्डी न बन जाये !
मैं हर बार के तरह एक बार फिर से बोलना चाहता हु की अब की बार फिर से लोकसभा के चुनाव आ रहे है, एक और लोकतंत्र का पर्व आ रहा है, हमें इस बात को समझना होगा की सरकारे तो आजादी के बाद बड़ी बदल चुकी है, एक बार क्यों न व्यवस्था को बदलने को कोशिस की जाये, ताकि ये जो कुछ भी देश मैं गुंडाराज चल रहा है इस को अगर हम थोडा भी टिक कर सके तो ये हमारे लोकतंत्र की जीत होगी!!!
रविवार, 21 जुलाई 2013
Mid Day Meal Scheme In India
भारत सरकार के बड़े-बड़े दावे और उन दावो का दम निकालता सच, आज बात बिहार की और बिहार मैं उन बच्चो की जो आज भी जिन्दगी और मोंत के लिए लड़ रहे है, हमें सोचना है उन हरएक बच्चे के माता पिता के बारे मैं जिन्होंने अपने बच्चो को स्कूल भेजते हुए उनके उज्जवल भविष्य के बारे मैं सोचा था, पर उनको क्या मिला, अब ये हम सब के सामने है, और उन माँ बाप का दर्द उन के सिवा कोई नहीं समझ सकता जिन की बच्चे आज जिन्दगी और मोत के लिए लड़ रहे है।
रह-रह कर हर बार एक ही बात निकल कर आती है की आखिर जो कुछ हुआ उसकी जिमेवारी किसकी और जिस की जिमेवारी है क्या उसे सजा मिलेगी_______ तो ये एक एसा प्रश्न है जिस का जवाब बता पाना मुस्किल है। सरकार अपने मीड डे मील की स्कीम पर अपनी पीठ थपथपाती रहती है की ये वर्ल्ड की सबसे बड़ी स्कीम है जो बच्चो मैं पोषण देती है पर इस का सच आप के सामने है की वो बच्चो को कितना पोषण दे रहे है!!!
जो कुछ भी बिहार के छपरा के एक सरकारी स्कूल मैं हुआ उस के लिए सरकार (प्रसाशन) जिमेवार है, सरकार का काम सिर्फ योजनाये बनाने भर का नहीं है उसे इस बात का भी ध्यान रखना है की जो योजनाए वो बना रही है उस का क्रियान्वयन भी सही प्रकार से हो, रहा है या नहीं, अगर नहीं तो इस मैं क्या कमिया है और क्या और सुधार इस को ठीक करने के लिए किये जा सकते है उन सब को करना चहिये
ये बात नयी नहीं है की सरकारी स्कूल मैं मैं जो भोजन बच्चो को मीड डे मील के नाम पर जा रहा है उस की गुणवक्ता ठीक नहीं है और ये बात बार बार निकल कर आती रही है पर आज तक इस को सुधारने के लिए क्या-क्या कदम उठाये गए इस बात की जानकारी सायद ही किसी को हो।
ये हमारी फिदरत मैं हो गया है की हम घटना होने की कुछ दिन तक तो उस घटना को लेकर हल्ला मचाते है फिर कुछ दिन बात उस घटना को भूल जाते है, जिस से इस तरह की घटनाओ को पुनरावर्ती होती रहती है, और हमें एस बात को भी समझना होगा की ये स्कीम बहुँत बड़ी स्कीम है और एस के साथ बहुँत ज्यादा पैसा जुड़ा हुआ है इस लिए इस स्कीम पर और जायदा निगरानी रखने की जरूरत है ! और जो लोग भी इस मैं लापरवाही मैं पकडे जाये उन को सख्त स सख्त सजा मिलने चहिये ताकि वो हमारे (भविष्य) बच्चो की जिन्दगी के साथ न खेल सके…
रविवार, 7 जुलाई 2013
Maoist Problem in "India"
कुछ दिन पहले जो मध्य प्रदेश मैं माओवादियों का हमला हुआ उस से सारा देश स्तब्द है और बीच बीच मैं आपको और भी ऐसी ही ख़बरे मिलती रहती है, अब की बार हो हल्ला एस लिए जायदा हुआ की राजनीतिक दल के लोग मारे गए अगर यही आम आदमी मारा जाता तो सायद इतना हो हल्ला नहीं होता, और यही कारण है है हम इस समस्या का हल नहीं निकाल पा रहे है, हमारे देश मैं आम आदमी और राजनितिक लोगो के जान की कीमत अलग अलग है इस लिये आम आदमी मारा जाता है तो उस को कुछ मुवाब्जा दे कर शांत कर दिया जाता है और अब की बार राजनीतिक दल के लोग मरे गए, अब की बार इतना हल्ला हुआ!
इस देश मैं बड़े बड़े बुद्धिजीवी लोग रहेते है, पर कोई भी इस समस्या का हल नहीं निकल पा रहा है, माओवादियों को आतंकवादियों जेसा समझा जा रहा है, उनको ख़तम करने के लिए पुलिस और फोज का सहारा लिया जा रहा है, और मेरा मानना यह है की यही से हम दिशा भटक गए है इस से कभी भी इस समस्या का हल नहीं निकल सकता!!!
अब बात की आखिर ये लोग हथियार क्यों उठा लेते है क्यों ये लोग माओवादि बन जाते है इस के लिए एक छोटी सी बात को समझना होगा की आप आजकल एक खबर आम तरीके से पढ़ते होंगे की देश के किसी कोने मैं जंगली जानवरों ने इंसानी बस्तियों पैर हमला कर दिया, सब ने बोल की जंगली जानवर आये, पर ये नहीं सोचा की वो क्यों आये वो एस लिए आये क्यों की ये जमीन उन की है जिस पर आदमी अपना हक जाता रहा है, जानवर के पास एस की सिवा और कोई चारा नहीं है, वेसे तो आदमी अपने आप को बड़ा बुद्धिजीवी समझता है, क्या उस ने उन जगली जानवरों का घर उजाड़ने से पहले उन के लिए कोई दूसरा प्रबन्द किया, तो आपको जवाब मिलेगा नहीं तो इसी लिए जंगली जानवरों ने आप की बस्तियों पर हमला किया ये बात समझने की है ये तो बात थी जानवरों की यही बात लागु होती है इंसानों पर जब हम उन को उनकी ही जमीनों से बेदखल करेंगे और वो भी बिना उनको दूसरी जगह वय्स्थपित किये तो यही कारण है की जब जानवर इंसानी बस्तियों पर हमला कर सकता है तो इंसान जानवरों से तो जायदा समझदार है तो बात को समझना होगा की जब तक हम समस्या की मूल जड़ मैं नहीं जायेंगे तब तक ये जोयो की त्यों बनी रहेगी, सब से पहले हमे उन लोगो का दर्द समझना होगा की आखिर इसे कोन से हालत है की ये लोग हथियार उठाने मैं भी नहीं हिचकचाते_____
सदस्यता लें
संदेश (Atom)